राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में एक चुनावी भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाते हुए उसे असफल बताया था। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल गांधी के हर एक आरोपों का न केवल तथ्यपरक उत्तर दिया बल्कि यह भी साबित कर दिया कि राहुल गांधी अभी तक कुछ नहीं जानते हैं। हमारे यहां एक कहावत प्रचलित है कि “पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं।” राहुल गांधी को सांसद बने 14 साल हो चुके हैं। विपक्ष में बैठे हुए भी चार साल बीत गए हैं। पार्टी के बड़े नेता तो वै पैदाइसी हैं। इतने लम्बे समय से सांसद होने के बाद भी उन्हें संसद में 15 मिनट बोलने तक का वक्त ना मिला हो कह कर स्वयं की खिल्ली उड़ा चुके हैं!
ऐसे व्यक्ति से देश के प्रधानमंत्री और सरकार की तथ्यात्मक और तर्कसंगत आलोचना की अपेक्षा करना बुद्धिमत्ता नहीं कही जा सकती। लेकिन विडंबना है कि वह विपक्ष की सबसे बड़ी और बूढ़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इस नाते उनके तथ्य और तर्करहित उलजुलूल आरोपों का जवाब देना सत्ताधारी पार्टी यानि भारतीय जनता पार्टी और सरकार के मंत्रियों का प्रशासनिक और नैतिक जवाबदेही बन जाती है। ऐसे में मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों में शुमार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न केवल माकूल जवाब दिया बल्कि एक बार फिर राहुल गांधी के आईक्यू (मानसिक दशा) को देश के सामने ला दिया है।
मुख्य बिंदु
* वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल की समझ पर सवाल उठाते हुए सारे आरोपों का दिया बिंदुवार जवाब
* केंद्र सरकार पर तर्क और तथ्यरहित आरोप लगाकर अपनी ही भद पिटवाने में लगे हैं राहुल गांधी
इतने दिनो के संसदीय सफर में राहुल गांधी ने शायद ही कोई सार्थक बयान दिया हो जो किसी को याद रहा हो। हां उनकी करतूतें अवश्य लोगों के जेहन में ताजा होंगी कि वे कैसे सरेआम अपने ही पार्टी के नामित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक अध्यादेश को फाड़कर उन्हें अपमानित किया था? इसके अलावा देश में वे कई बार हास्य के पात्र भी बन चुके हैं? राहुल गांधी को खुद को अहोभाग्य समझना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी अपने नैतिक दायित्व के तहत उनके बे सिर-पैर के आरोपों का न सिर्फ संज्ञान लेती है बल्कि आरोपों का माकूल जवाब देती है।
1- राहुल का झूठ
* देश के शीर्ष 15 उद्योगपतियों का ढाई लाख करोड़ रुपये लोन माफ
अरुण जेटली का जवाब
सरकार ने किसी भी उद्योगपति का एक रुपया भी माफ नहीं किया है। हकीकत बिल्कुल उलट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने दिवालियेपन पर नया कानून इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड बनाया है जिसके परिणामस्वरूप जिन लोगों पर बैंकों की राशि बकाया थी वे उनकी कंपनियों को छोड़कर दिवालिया घोषित होने को मजबूर हुए हैं। अधिकांशत: ये लोन यूपीए सरकार के कार्यकाल में दिए गए थे।
2- राहुल का झूठ
* देश छोड़कर भाग चुके दो हीरा कारोबारियों को प्रत्येक को 35,000 करोड़ रुपये दिए हैं
अरुण जेटली का जवाब
यह बैंक फ्रॉड 2011 में शुरु हुआ, उस समय यूपीए-दो की सरकार थी। एनडीए के शासन में तो यह फ्रॉड पकड़ा गया है।
3- राहुल का झूठ
*अगर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आती है तो चीन में बनने वाले मोबाइल फोन भारत में ही बनेंगे।
अरुण जेटली का जवाब
* 2014 में जब यूपीए में सत्ता में था, तब भारत में सिर्फ दो मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां थीं। मोदी सरकार की नीतियों के चलते बीते चार साल में देश में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की संख्या बढ़कर 120 हो गयी है और इसमें 1,32,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
4- राहुल का झूठ
* देश में नौकरियां सृजित नहीं हो रही हैं।
अरुण जेटली का जवाब
* जीडीपी के ताजा आंकड़ों से पुन: यह बात साबित हो गयी है कि भारत दुनियाभर में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में डबल डिजिट वृद्धि हो रही है, मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार हो रहा है और निवेश बढ़ रहा है। ये सभी क्षेत्र ऐसे हैं जहां नौकरियां सृजित होती हैं।
5- राहुल का झूठ
* कांग्रेस की सरकार बनने पर गांवों और खेतों को शहरों से जोड़ा जाएगा।
अरुण जेटली का जवाब
* मध्य प्रदेश की जनता ने जब 2003 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया, उस समय भारत में सबसे खराब सड़कें एमपी में ही थीं। कांग्रेस के सत्ता से उखड़ने की प्रमुख वजह ही खराब सड़कें थीं।
6- राहुल का झूठ
* किसानों को नहीं, बल्कि उद्योगपतियों को लोन मिल रहा है।
अरुण जेटली का जवाब
* आज जो फंसा कर्ज यानी एनपीए है उसमें से अधिकांश यूपीए-दो के कार्यकाल के दौरान 2008-14 की अवधि में दिए गए थे। 2014 के बाद मोदी सरकार इस लोन की वसूली के लिए एक के बाद एक कदम उठा रही है।
जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए सारे आरोपों का जवाब देने की शुरुआत राहुल की समझ और ज्ञान पर कटाक्ष करते हुए की। उन्होंने कहा कि जब भी संसद के भीतर या बाहर राहुल को सुनता हूं तो हर बार खुद से सवाल पूछता हूं कि आखिर राहुल जानते कितना हैं? और जानेंगे कब? लेकिन हर बार जिज्ञासा बढ़ ही जाती है। जेटली ने कहा कि या तो उन्हें उचित जानकारी नहीं दी जाती है या फिर वे खुद तथ्यों की परवाह नहीं करते। जेटली ने राहुल गांधी के केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री पर लगाए गए सभी छह आरोपों का बिंदुवार जवाब दिया।
जेटली ने कहा कि राहुल गांधी का यह बयान पूरी तरह गलत है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री पर देश के शीर्ष 15 उद्योगपतियों का ढाई लाख करोड़ रुपये लोन माफ करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसी भी उद्योगपति का एक पैसा तक माफ नहीं किया है। बल्कि मोदी सरकार ने दिवालियेपन पर नया कानून इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड बनाया है। इसकी वजह से जिन पर बैंकों के कर्ज बकाये थे वे उनकी कंपनियों को छोड़कर दिवालिया घोषित होने को मजबूर हुए हैं जबकि ज्यादातर कर्ज यूपीए सरकार के दौरान दिए गए थे।
जेटली ने किसानों की बजाय उद्योगपतियों को लोन मिलने के राहुल गांधी के आरोप पर कहा कि आज जितने भी फंसे कर्ज है उनमे से अधिकांश यूपीए-2 के कार्यकाल 2008-14 के दौरान दिए हुए हैं। वहीं मोदी सरकार यूपीए द्वारा दिए लोन की वसूली के लिए कदम-दर-कदम उठा रही है। देश छोड़कर भागे दो हीरा व्यापारियों को 35-35 हजार करोड़ रुपये देने के आरोप पर जेटली ने कहा कि ये आरोप भी गलत हैं, बल्कि सच्चाई तो ये है कि ये बैंक फ्रॉड 2011 में शुरू हुआ था। तब केंद्र में यूपीए-2 की ही सरकार थी। असल में इस घोटाले का खुलासा तो एनडीए सरकार ने ही पकड़ा है।
अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरकार के मेड इन भारत के कंसेप्ट को विफल बताते हुए कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो चीन में बनने वाले मोबाइल फोन भारत में ही बनने लगेंगे। राहुल के इसी आरोप पर जेटली ने कहा कि उन्हें सही जानकारी तक नहीं दी जा रही है। जेटली ने कहा कि जब देश में यूपीए सरकार थी तब मोबाइल फोन बनाने की महज दो यूनिट थी जबकि मोदी सरकार के इस चार साल के कार्यकाल में पूरे देश में मोबाइन बनाने को 120 यूनिट काम कर रही हैं। जिसमें एक लाख बत्तीस हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जिस अध्यादेश को फाड़ा था उस अध्यादेश से दागी लालू प्रसाद यादव भारतीय राजनीति से बेदखल होने से बच जाते लेकिन राहुल गांधी ने उस अध्यादेश को फाड़कर हमेशा के लिए लालू यादव को राजनीतिक अंधकार में ढकेल दिया। लेकिन वही राहुल गांधी एम्स में जाकर लालू यादव से मिलते हैं, उनके मूर्ख बेटे और बेटी को अपने घर पर खाना-खाने को बुलाते हैं। इसे राजनीतिक अपरिपक्वता नहीं तो और क्या कहेंगे? जब करीब 15 सालों तक सांसद रहते हुए भी उन्हें न देश की समस्याओं के बारे में ठीक से पता है न देश में क्या हो रहा है उसकी समझ है? ऐसे राहुल गांधी देश चलाने का सपना देख रहे हैं।
URL: Rahul Gandhi knows nothing about the country nor will he know
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