कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता राहुल गाँधी पर फिल्म बन गई है और जल्द ही प्रदर्शित होने जा रही है। और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ये फिल्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाई जा रही बॉयोपिक की होड़ में बनाई जा रही है। ये भी एक नया प्रयोग होगा। अब तक बड़े सफल जननायकों, वैज्ञानिकों, शातिर अपराधियों पर बॉयोपिक बनाए गए हैं। ये पहली बार होगा कि एक ऐसे व्यक्ति पर फिल्म बनी है जो अब तक अपनी उपयोगिता सिद्ध नहीं कर सका है।
राहुल गाँधी के जीवन पर बनी फिल्म ‘माय नेम इज रागा’ का प्रोमो बाहर आया तो इसे बेहद तीखी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा है। पहली नज़र में ही टीजर को अस्वीकृत कर दिया गया है। मजबूत स्क्रीनप्ले की कमी साफ़ नज़र आ रही है। साथ ही मुख्य किरदार निभा रहे अश्विनी कुमार का अभिनय बहुत ही लचर दिखाई दे रहा है। प्रोमो देखकर लगा कि एक असफल राजनेता को नायक बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
यदि ‘माय नेम इज रागा’ की तुलना अनुपम खेर की ‘एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर से और नवाजुद्दीन सिद्दीकी की ‘ठाकरे’ से की जाए तो ये बहुत लचर फिल्म प्रतीत हो रही है। साफ़ जाहिर है कि मोदी के बॉयोपिक का जवाब देने और आगामी चुनाव में राहुल गाँधी की छवि निखारने के लिए ये फिल्म बनाई गई है। रुपेश पॉल द्वारा निर्देशित ये फिल्म आगामी अप्रैल में प्रदर्शित होने जा रही है लेकिन बॉक्स ऑफिस पर इसका भविष्य बेहद कमज़ोर दिखाई देता है। आख़िरकार ये फिल्म राहुल गाँधी पर बनाई गई है, जो न केवल हंसी के पात्र बने हुए हैं बल्कि एक प्रकरण में जमानत पर छूटे हुए आरोपी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक सफल राजनेता हैं और इसलिए उन पर एक नहीं दो फिल्मे बनाई जा रही हैं। निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा एक फिल्म बना रहे हैं ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’। मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर ऐसे बच्चे की कहानी है जो प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर अपनी मां के लिए टॉयलेट बनाने में मदद मांगता है। यह बच्चा झुग्गी झोपड़ी में रहता है और उसे डर है कि शौचालय का अभाव उसकी मां को मुश्किल में डाल सकता है। ऐसी उकृष्ट फिल्मों से ‘माय नेम इज रागा’ की तुलना करना भी बेकार है।
URl: My Name Is Raga is the latest political biopic ahead of the 2019 general elections.
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