राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बृहस्पतिवार को टेरर फंडिंग केस में जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर और दिल्ली में नौ स्थानों पर छापे मारे। जांच एजेंसी ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के उस पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम खान के ठिकानों पर भी छापे मारे हैं, जिसने खुद को मुसलमानों का मसीहा बताते हुए पिछले दिनों यह विवाद खड़ा कर दिया था कि भारत में मुसलमानों के साथ अत्याचार हो रहा है और यदि इसकी शिकायत अरब या अन्य मुस्लिम देशों से कर दी जाए तो भारत में जलजला आ जाएगा।
इस कट्टरपंथी जिहादी के बचाव में एक और कट्टरपंथी आम आदमी पार्टी का विधायक अमानतुल्लाह खान अपने समर्थकों के साथ उतर आया और उसने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को काम करने से रोका, जिसके बाद उसके खिलाफ शाहीन बाग पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अनुसार कुछ गैर सरकारी संगठनों और ट्रस्टों द्वारा धर्मार्थ गतिविधियों के नाम पर भारत और विदेशों से धन जुटाने और फिर कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों के लिए उपयोग करने के मामले को लेकर पुख्ता जानकारी मिली थी और यह छापेमारी इसी कार्रवाई की तहत की जा रही है।
जांच में शामिल एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी( NIA) श्रीनगर और दिल्ली में छह एनजीओ और ट्रस्टों के 9 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। जिन ट्रस्टों और एनजीओ के ठिकानों पर कार्रवाई चल रही है, उनमें फलाह-ए-आम ट्रस्ट, चैरिटी अलायंस, ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन, जेएंडके यतेम फाउंडेशन, साल्वेशन मूवमेंट और जेएंडके वॉयस ऑफ विक्टिम्स (जेकेवीवीवी) के दफ्तर शामिल हैं। इनमें चैरिटी अलायंस और ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन दिल्ली में स्थित हैं और दिल्ली के जामिया नगर में चैरिटी एलायंस के कार्यालय की तलाशी ली जा रही है।
चैरिटी एलायंस के प्रमुख जफरुल इस्लाम खान हैं, जो द मिल्ली गजट के संपादक भी हैं। इससे पहले एनआईए ने बुधवार को श्रीनगर और बांदीपुर में 11 स्थानों पर और बेंगलुरु में एक स्थान पर छापा मारा था। एनआईए ने जम्मू और कश्मीर सिविल सोसाइटी के कोर्डिनेटर खुर्रम परवेज के निवास और दफ्तर में भी तलाशी ली है । इसके अलावा खुर्रम परवेज के साथी परवेज अहमद बुखारी, परवेज अहमद मटका और बेंगलुरु स्थित सहयोगी स्वाति शेषाद्रि, परवीना अहंगर के ठिकानों पर भी छापे मारे हैं। सनद रहे कि एनआईए ने 8 अक्टूबर को आईपीसी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की कई धाराओं के तहत इस बाबत केस दर्ज किया था और उसी के तहत ये कार्रवाई की जा रही है।
सूत्रों का दावा है कि छापे के दौरान दोष साबित करने वाले कई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सामान जब्त किए गए हैं जबकि जिनके कब्जे से आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं उनमें खुर्रम परवेज (जम्मू-कश्मीर कोअलिशन ऑफ सिविल सोसाइटी के समन्वयक), उनके सहयोगी परवेज अहमद बुखारी, परवेज अहमद मट्टा और बेंगलुरु में सहयोगी स्वाति शेषाद्रि तथा एसोसिएशन ऑफ पैरेंट्स ऑफ डिसैपियर्ड पर्सन्स की अध्यक्ष परवीना अहंगर आदि शामिल हैं।
एनआईए ने कहा है कि कुछ तथाकथित गैर-सरकारी संगठनों और ट्रस्टों से संबंधित एक मामले में छापे मारे जो धर्मार्थ कार्यों के नाम पर भारत और विदेशों से पैसे जुटा रहे थे और उनका इस्तेमाल जम्मू और कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने में कर रहे थे जबकि कम से कम तीन अन्य एनजीओ पर जम्मू कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के लिये कथित तौर पर धन मुहैया कराने के मामले में छापे मारे गए और इन एनजीओ की स्थापना वर्ष 2000 में की गई थी।
एनआईए के मुताबिक इन एनजीओ को अज्ञात दानदाताओं से धन मिल रहा था, जिसका इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिये धन मुहैया कराने में किया जा रहा था। सूत्र बताते हैं कि जिन लोगों के यहां छापा मारा गया उनमें एक नाम दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख जफरुल इस्लाम का भी है और उनके सभी लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है, जिसका संबंध उनके NGO और ट्रस्ट से है। जफरुल इस्लाम के यहां छापेमारी के समय आप विधायक अमानतुल्ला खान अपने समर्थकों के साथ आ धमके और उन्होंने जांच एजेंसी के कर्मियों को काम करने से रोका तथा उनके साथ धक्का-मुक्की कर दी।
पुलिस का कहना है कि आप विधायक ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा किए गए छापेमारी का विरोध किया था । जिसकेे बाद उसके तथा समर्थकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 186, 353, 34 और 189 के तहत शाहीन बाग़ पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया गया । इतना ही नहीं अमानतुल्लाह खान और उनके समर्थकों पर एनआईए टीम के रेड कर लौटते समय सड़क जाम किए जाने के भी आरोप लगाए गए हैं जबकि एनआईए के डीएसपी ने शाहीन बाग थाने में यह मामला दर्ज कराया । इससे पहले जफरुल इस्लाम के जामिया नगर स्थित आवास पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भी छापेमारी की थी।
उस समय स्पेशल सेल ने जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ देशद्रोह के तहत मामला दर्ज किया था। उन पर आरोप लगा था कि वह अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कथित तौर पर भड़काऊ बयान दिया था। जिसके बाद उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए (देशद्रोह) और 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर दो समूहों में वैमनस्यता को बढ़ावा देना और समानता व सौहार्द को नुकसान पहुंचाने की धारणा से काम करने ) के तहत मामला दर्ज किया गया था ।
दरअसल वसंत कुंज के रहनेवाले एक व्यक्ति की शिकायत पर पुलिस ने यह प्राथमिकी दर्ज की थी और शिकायत में कहा गया था कि जफरुल इस्लाम इस्लाम ने ट्विटर और फेसबुक पर एक सोशल मीडिया पोस्ट किया जो कि भड़काऊ है और इसका मकसद सौहार्द को बिगाड़ना और समाज में भेदभाव पैदा करना है।स्पेशल सेल ने जांच में पाया कि जफरुल इस्लाम ने 28 अप्रैल को सोशल मीडिया पर कहा था कि भारत में मुसलमानों को दबाया जा रहा है।
इतना ही नहीं, धमकी भरे लहजे में लिखा था कि अगर भारतीय मुसलमानों ने भारत में धर्म के नाम पर हो रहे कथित अत्याचार के खिलाफ अरब और मुस्लिम देशों से शिकायत कर दी तो कट्टर लोगों को जलजले का सामना करना होगा। हालांकि जफरुल इस्लाम खान ने 28 अप्रैल को दिये अपने बयान को लेकर माफी मांग ली थी लेकिन बाद में उसने किसी तरह की माफी मांगे जाने सेेे इनकार किया था। इस बार भी टि्वटर पर जफरुल इस्लाम कह रहा है कि उसे फसाया जा रहा है लेकिन एनआईए ने उसके दावों की पोल खोलते हुए कहा कि जफरुल इस्लाम की गतिविधि संदेहास्पद है और पूरे मामले की छानबीन की जा रही है।
बहुत बढिया