रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोक सभा में कड़े शब्दों में जो चीन को चेतावनी दी, उससे चीन बुरी तरह बौखला गया है और उसने अब भारत को युद्ध तक की धमकी दे डाली है.
चीन का सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ जिसे वहां की सरकार का माउथ पीस यानि मुखपत्र माना जाता है, उसने एक ओपीनियन पीस प्रकाशित किया है जो कि कथित तौर पर उसके एडिटर इन चीफ द्वारा लिखा गया है. इस पीस की हेडलाइन ही यह है कि भारत और चीन के बीच बार्डर पर जो तनाव की स्थिति है, वह सर्दियों में भी बनी रहने की संभावना है.
यानि चीन भारत को खुल्लम्खुल्ला धमकी दे रहा है कि वह मास्को में निर्धारित हुए पांच सूत्रीय एंजेंडा के बाद भी अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आयेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को भारत चीन लद्दाख बार्डर मुद्दे को लेकर लोक सभा में वक्तव्य दिया था जिसमे उन्होने विस्तार से बताया कि किस प्रकार हर बार चीन ने नियम, कानून, समझौतों का उल्लंघन करते हुए बार्डर पर भारत को उकसाया.
रक्षा मंत्री ने पूरे घटनाक्रम का विस्तृत ब्यौरा देते हुए कहा, “अप्रैल माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन की सेनाओं की संख्या तथा उनके हथियारों में इजाफा देखा गया। मई महीने के प्रारंभ में चीन ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारे सैनिकों के परंपरागत पैट्रोलिंग पैटर्न में रुकावट डाली जिससे फेसऑफ की स्थिति पैदा हुई। हमने चीन को डिप्लोमेटिक तथा मिलिट्री चैनल्स के माध्यम से यह अवगत करा दिया, कि इस प्रकार की गतिविधियां, यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास है। यह भी साफ कर दिया गया कि ये प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।”
उन्होने साथ ही भारतीय सेना के जवानों के अदम्य साहस और शौर्य की भी प्रशंसा की और कहा कि ऐसे तनाव भरे माहौल में भारतीय सैनिकों ने सिर्फ बहादुरी से ही नहीं बल्कि समझदारी से भी काम लिया. जहां शौर्य दिखाने की ज़रूरत थी, वहां शौर्य दिखाया और जहां संयम की आवश्यकता थी, वहां संयम बरता.
चीन के ग्लोबल टाइम्स अखबार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंंह के वक्तव्य को लेकर जो ओपीनियन पीस प्रकाशित हुआ है, उससे चीन का ‘चोर की दाढ़ी में तिनका वाला हाल’ साफ पता चलता है. यदि चीन ने लद्दाख बार्डर पर किसी प्रोटोकांल का उल्लंघन नहीं किया है और उसके मंसूबे इतने पवित्र हैं, तो फिर वह रक्षा मंत्री के बयान पर इतना भड़्क क्यों रहा है?
और तो और, यह ओपीनियन पीस भारतीय सेना के लांजिस्टिक्स और सरकार उनके खान पान वगैरह को लेकर जो भी इंतज़ाम करती है, इन सब चीज़ों के बारे तक में झूठी , मनगढंत अफवाहें फैला रहा है. किसी एक्स्पर्ट को कोट करते हुए लेख में कहा गया है कि जैसे जैसे सर्दियां कर्रीब आ रही हैं, वैसे वैसे भारतीय सेना के लिये एक बड़ी समस्या खड़ी होती जा रही है क्योंकि इससे सेना के रख रखाव का, उन्हे वहां डिप्लाय करके रखने का खर्चा बहुत अधिक बढ जायेगा, और चूंकि भारत में इस समय आर्थिक मंदी चल रही है, इसीलिये भारत सरकार इस प्रकार का खर्चा वहन करने की स्थिति में नहीं है. भारतीय नेता समझते हैं कि भारत इस समय चीन के साथ युद्ध करने की स्थिति में नहीं है.
सिर्फ यही, ग्लोबल टाइम्स की इस बेहद ज़हरीले और दुराग्रहों से ग्रस्त ओपीनियन पीस ने भारत के लोगों की एकता में फूट डालने के उद्देश्य से बेहद घृणात्मक बातें कहीं. यही तथाकथित एक्स्पर्ट आगे कहते हैं कि भारतीय सेना के जितने भी सैनिक होते हैं, ज़्यादातर नीची जाति के होते हैं. इसीलिये वे अगर मरते भी रहें तो सरकार को इसकी कोई खास चिंता नहीं है.
अब आप खुद ही बताइये कि भला किसी देश को दूसरे देश के बारे में ऐसी ज़हर बुझी अफवाहें फैलाने की अनुमति मिलनी चाहिये? रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में जो कुछ भी कहा, वह सब तथ्यों के आधार पर बार्डर पर बने हालात तक सीमित था. उन्होने चीन के लोगों के बारे में या उनकी सेना के लोगों के बारे में कोई भी व्यक्तिगत स्तर पर आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की. लेकिन ग्लोबल टाइम्स अखबार ने जो सब लिखा है, उसकी सीधी सीधी मंशा भारत के लोगों को भड़्काकर आपस में लड़्वाना है जातिवाद के नाम पर. और यह इतना अधिक निंदनीय है कि अब चीनी एप्स को प्रतिबंधित करने के बाद भारत सरकार को चीनी मीडिया पर बैन लगाने के विषय पर भी अवश्य सोचना चाहिये.