1) राजनाथ सिंह ने टाइम्स नाउ से कहा, मेरा मामना है कि मुस्लिम को भाजपा द्वारा टिकट दी जानी चाहिए थी।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि संसदीय कमेटी को कोई ठीक उम्मीदवार नहीं मिला। लेकिन अगर टिकट दे दी जाती तो उसमें भी बीजेपी का कोई नुकसान नहीं था।
टिप्पणी- यह पीएम मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के उस बयान के उलट है, जिसमें उनका कहना था कि भाजपा जाती-मजहब के आधार पर नहीं, जीतने की स्थिति के आधार पर उम्मीदवार चुनती है।
2) इससे पहले राजनाथ सिंह का एक और बयान सामने आया था। उसमें राजनाथ सिंह ने कहा था कि अगर यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन ना करती को भारतीय जनता पार्टी 300 से ज्यादा सीटें जीत जाती।
टिप्पणी- यह अमितशाह के उस दावे के उलट बयान है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा 300 सीटें जीतेगी। यह पीएम के उस बयान के उलट भी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कमल ही कमल खिलेंगे।
आकलन- 1) या तो भाजपा बड़े मार्जिन से जीत रही है।यदि अमित शाह की अध्यक्षता में बड़ी जीत हासिल होती है तो भाजपा के यूपी के पुराने नेताओं का वजूद मिट जाएगा, जिससे उप्र के पुराने दिगग्ज भाजपाईयों में घबराहट है।
2) या फिर उप्र के पुराने भाजपाई नहीं चाहते कि भाजपा उप्र में जीते, शायद इसलिए मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए चुनाव के बीच में ऐसे बयान दिये जा रहे हैं!
3) या फिर भाजपा की हालत चुनाव में उतना सही नहीं है, इसलिए परिणाम से पूर्व बचाव के तरीके ये पुराने भाजपाई ढूंढ़ रहे हैं! लेकिन यहां सवाल है कि जब पूरा चुनाव पीएम मोदी ने अपने कंधे पर उठा रखा है, जीत-हार का श्रेय जब उन्हें ही मिलना है तो इन पुराने घाघ यूपी वाले भाजपाईयों को बचाव की क्या जरूरत आन पड़ी?
4) वरुण गांधी के बाद राजनाथ सिंह जी का बयान, यह दर्शा रहा है कि या तो भाजपा चुनाव में बहुत बेहतर करने जा रही है और अंदर ही अंदर मुख्यमंत्री का नाम तय हो चुका है, जिससे ये उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
5) शायद यह मुख्यमंत्री पूर्वांचल से आने वाला हो, और ये लोग बीच मतदान में बयान देकर पूर्वांचल की सीट को डैमेज करना चाहते हों ताकि इनकी भी संभावना बची रहे।
6) या फिर ये लोग सेक्युलरवाद (राजनाथ जी- मुसलमान को टिकट देना चाहिए) व दलितवाद (रोहित वेमुला अलाप) के जरिए भाजपा की हार की दशा में हिंदूवादी पीएम व अमितशाह (कब्रिस्तान-श्मशान और कसाब बयान) पर हार का पूरा ठीकरा फोड़ने की तैयारी में हैं!