सीबीआई के विशेष निदेशक के रूप में राकेश अस्थाना की प्रोन्नति को कॉमन कॉज एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि जिस प्रकार अस्थाना की प्रोन्नति सीबीआई के विशेष निदेशक के रूप में की गई है इससे ब्रिटिश कोर्ट के सामने सीबीआई की प्रामाणिकता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। एनजीओ ने तो यहां तक प्रश्न खड़ा कर दिया है कि कि अस्थाना की नियुक्ति के माध्यम से माल्या को बचाने का खेल तो नहीं चल रहा है। क्योंकि जिस प्रकार अस्थाना ने ने माल्या का बयान लिया है इससे तो साफ जाहिर होता है कि माल्या को प्रत्यर्पण से बचाया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
* एनजीओ कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में अपने दाखिल हलफनामे में अस्थाना पर घूस लेने का आरोप लगाया है
* गुजरात स्थित स्टर्लिंग बायोटेक कंपनी में साल 2010 से 12 तक काम कर चुका है अस्थाना का बेटा अंकुश अस्थाना
मुख्य बिंदु
* एनजीओ कॉमन काउज ने सुप्रीम कोर्ट में अपने दाखिल हलफनामे में अस्थाना पर घूस लेने का आरोप लगाया है
* गुजरात स्थित स्टर्लिंग बायोटेक कंपनी में साल 2010 से 12 तक काम कर चुका है अस्थाना का बेटा अंकुश अस्थाना
धारा 161 के तहत दिए गए बयान प्रस्तुत करना यही दर्शाता है कि माल्या को बचाने का खेल चल रहा है। क्योंकि यह धारा उतना उपयुक्त नहीं। धारा 164 के तहत दर्ज बयान नहीं प्रस्तुत कर केस को कमजोर किया गया है, और माल्या को बचने का एक रास्ता दिया गया है।
Submitting only Statements under Sec 161 of CrPC which is not so valid & avoiding most valid statements under Sec 164 is nothing but crooked attempt to sabotage the case & provide escape route to Mallya. Question is why CBI team headed by Asthana not submitted Sec 164 statements https://t.co/PxYrwytTiF
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) August 3, 2018
इस मामले में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रिकन स्टडीज (एसओएएस) के प्रोफेसर लॉरेंस सेज का कहना है जिस प्रकार से अस्थाना को पदोन्नति देकर सीबीआई का विशेष निदेशक बनाया गया है इससे भारत की सबसे बड़ी जांच एजेंसी यानी सीबीआई की प्रामाणिकता पर सवाल उठ गया है। एक बार फिर यही धारणा बनी है कि भारत में जिस प्रकार आपराधिक जांच और कार्रवाई होती है उसी को दोहराया गया है। कॉमन कॉज एनजीओ ने याचिका दायर कर अस्थाना की पदोन्नति को चुनौती देते हुए दावा किया है कि इससे व्यक्तिगत प्रामाणिकता के साथ ही संस्थागत प्रामाणिकता के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है।
इस याचिका में कहा गया है कि अस्थाना की नियुक्ति पर भी आपत्ति दर्ज की गई थी। यह आपत्ति किसी और ने नहीं बल्कि सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा ने उठाई थी। उन्होंने कहा था कि चूंकि अस्थाना का नाम जिस भ्रष्टाचार से जुड़ा है उसकी अभी जांच चल रही है। उस समय जांच दल को गुजरात स्थित स्टर्लिंग बायोटेक तथा संदेसरा ग्रुप की मुंबई, बड़ोदरा तथा ऊटी की कंपनियों से जो डायरी मिली थी उसमें अस्थाना द्वारा घूस स्वीकार करने की बात सामने आई है।
इस मामले में जो अन्य हलफनामे दायर किए गए हैं उसमें अन्य आरोपों के साथ यह भी जोड़ा गया है कि अस्थाना के बेटे अंकुश अस्थाना स्टर्लिंग बायोटेक कंपनी में 2010 और 12 के बीच में सहायक प्रबंधक के रूप में काम कर चुके हैं। इससे यह साफ जाहिर होता है कि अस्थाना का इस दागी कंपनी के साथ निकट का संबंध था। इसके अलावा यह भी खुलासा हुआ है कि अस्थाना की बेटी की शादी के समारोह का आयोजन बड़ोदरा स्थित जिस फार्महाउस में हुआ था वह भी संदेशरा का ही था। इससे संबंधित खबर गुजरात के एक समाचार पत्र गुजरात समाचार में प्रकाशित हो चुकी है। अखबार ने लिखा था कि जिस प्रकार अस्थाना की बेटी की शादी का समारोह संदेशरा समूह के फार्महाउस में हुआ इससे साबित होता है कि अस्थाना का स्टर्लिंग ग्रुप से काफी निकट संबंध था।
URL: Rakesh Asthana’s appointment challenged by NGO Common Cause in Supreme Court
Keywords: vijay mallya, common cause ngo, bank Fraud, CBI, Rakesh Asthana, supreme court, विजय माल्या, कॉमन कॉज एनजीओ, बैंक घोटाला, सीबीआई, राकेश अस्थाना, सुप्रीम कोर्ट