सारा कुमारी । ( रामभक्त ) हिंदू को हिंदू ही मारे, हिंदू हुआ असहाय । रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तो हिन्दू कहां को जाएं।
गांधी और नेहरू को चुनकर, हिन्दू लगा सुताय।पार्टिशन की आंधी में अपना, सब कुछ दिया गंवाय।
सालों से ये खेल चल रहा, फिर भी समझ ना आएं।बुद्धि को क्या जंग लगी, जो हर कोई भरमाए।
कालनेमी से आते नेता, साधु का रुप धराऐं ।भोली – भाली हिन्दू जनता, बहुमत से इन्हें जिताएं।
सत्ता को पाते ही नेता का, रुप बदल ही जाएं।जो हिन्दू – हिन्दू करते थे, अब हिन्दू से जान छुड़ाएं।
सबको झोली भर – भर दें, हिन्दू कुछ ना पाएं।नेता – नेता करते – करते, वो ख़ाली हाथ रह जाएं।
बाकी सबको एक करें, पर हिंदू को बंटवाए।ऐसे हिन्दू ह्रदय सम्राट, बस जाति – जाति चिल्लाएं।
पार्टी की मजबूरी है, तो संगठन दिया बनाएं।हिन्दू के संसाधन को लूटे, औरों पर सब लुटाएं।
नेताओं को छोड़ के हिन्दू, जो रामभक्त बन जाएं।भारत हिन्दू राष्ट्र बनें, भगवा ध्वज फहराए।
जय हिन्द जय भारत