दुनिया के देशो में हिंदुस्तान किंवदंतियों के मामले में सबसे धनी देश है। इतिहास के बड़े व्यक्तित्वों के बारे में चाहे वे बुद्ध हो या अशोक, देश के चौथाई से अधिक लोग अनभिज्ञ है। इसके विपरीत देश के तीन सबसे बड़े पौराणिक नाम राम,कृष्ण और शिव सबको मालूम है। न सिर्फ उनके नाम की बल्कि उनके काम की भी जानकारी कमोबेश सबको है।
भारतीय इतिहास की आत्मा और देश के सांस्कृतिक इतिहास के लिए यह अपेक्षाकृत निरर्थक बात है कि भारतीय पुराण के यह महान लोग धरती पर पैदा हुए भी थे या नहीं! संभावना की साधारण कसौटियों पर इनकी जीवन कथा को कसना उचित नहीं है। सत्य का इससे अधिक आभास क्या मिल सकता है की पचास या शायद सौ या शायद इससे भी अधिक शताब्दियों से भारत की हर पीढ़ी के दिमाग पर इनकी कहानी अमिट रूप से लिखी हुई है!
करोडो लोगो के सुख-दुःख इनमे घुले हुए है, किसी जाती या कौम की किंवदंतियां उसकी चाह, इच्छा और आकांछाओं का प्रतीक होती है। राम, कृष्ण और शिव भारत की इकछाओ और रंगीन सपने के प्रतीक है। भारतीय आत्मा के इतिहास के लिए ये तीन नाम सबसे सच्चे है और व्यक्तित्वों के श्रेणी में सबसे महानतम है।
जैसे पत्थर और धातुओ पर इतिहास लिखा मिलता है, वैसे ही इनकी कहानिया लोगो के मानस पर अंकित है, जो मिटाई नहीं जा सकती। राम,कृष्ण और शिव भारत में पूर्णता के तीन महान स्वप्न है मगर सबका रास्ता अलग अलग है। राम की पूर्णता मर्यादित व्यक्तित्व में है। कृष्ण की पूर्णता उन्मुक्त या सम्पूर्ण व्यक्तित्व में है और शिव की पूर्णता असीमित व्यक्तित्व में है परंतु इनमे से हर एक पूर्ण है ।
प्रख्यात समाजवादी दिवंगत डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जी की कलम से।
नोट: उर्पयुक्त विचार लोहिया ने अपनी पुस्तक Wheel of History में प्रकट किये थे जिसे मैंने टाइप कर के आप लोगो को भेजा है।
साभार: विशाल तिवारी जी