देश को कैसे गुमराह और हिंदुओं का कैसे अपमान किया गया है, यह आज पता चल रहा है! दशकों रामजन्मभूमि, अयोध्या की सुनवाई में अदालत के अंदर फर्जीवाड़ा चलता रहा और किसी को पता ही नहीं चला!
इस फर्जी वादे में आधुनिक मीडिया की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध दिखाई पड़ रही है, किसी एक मुद्दे पर पूरी मीडिया बिरादरी एक तरफ चल देती है उसका ताज़ा उदाहरण परसों हुई शिया वक्फ बोर्ड की प्रेस वार्ता! वक्फ बोर्ड की प्रेस वार्ता को न इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने कवर किया न अखबार ने! इस खबर को दरकिनार करते हुए आधुनिक भारतीय मीडिया अपने मालिक के प्रति वफादारी का पक्का सबूत दिया है!
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रस्ताव रखा गया कि विवादित भूमि पर राम मंदिर बने। मुसलमानों के लिये मस्जिद,जो मस्जिदे अमन होगी! जो लखनऊ के हुसैनाबाद में घंटा घर के सामने बने। यह समझौता सुप्रीम कोर्ट में 18 नवंबर को दाखिल हो चुका है। शिया वक्फ बोर्ड व हिंदू मंदिर निर्माण पक्ष के बीच सहमति हो चुकी है।
राममंदिर पर हिंदू मुसलिम समझौता- वसीम रिजवी-शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष का पक्ष- 19 नवंबर 2017
-सुन्नी वक्फ बोर्ड अवैध रजिस्ट्रेशन के जरिये, इसमें पैरोकार बना था।
-1944 में सुन्नी वक्फ बोर्ड का अवैध रजिस्ट्रेशन दाखिल हुआ था। दूसरे केस में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
– 1528 में मंदिर तोड़ कर मीर बांकी ने मसजिद का निर्माण कराया था। वह छह हजार सैनिक लेकर आया था और अपने सैनिकों की नमाज पढने के लि, मसजिद बनवाया था। उस वक्त वहां मुसलिम जनसंख्या नहीं थी। मसजिद बनी तो कत्लेआम हुआ।
– उसके बाद से वहां का प्रशासक मीर बांकी रहा, फिर उसके बाद से उसके प्रशासक उसके ही वंशज रहे। 1945 तक शिया प्रशासन रहे।
– 1944 में उप्र में कमिश्नर के तहत बहुत से जमीन का रजिस्ट्रेशन शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड के नाम पर हुआ। 26 फरवरी 1944 को यह रजिस्ट्रेशन हुआ था। उसी में रामजन्मभूमि की जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड के नाम कर दिया गया, इसकी उपेक्षा करते हुये कहा कि उसका डमिस्ट्रेशन शिया के पास है।
– दूसरे केस में वह नोटिफिकेशन में वह रजिस्ट्रेशन चैलेंज हुआ। बनारस के दोषीपुरा के मामले में भी वह नोटिफिकेशन चैलेंज हुआ। उसमें कई शिया प्रोपर्टी को सुन्नी कर दिया था, जिससे सुन्नी बोर्ड हार गया।
-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मानक के अनुसार 26 फरवरी 1944 का रजिस्ट्रेशन अवैध है।
– सुन्नी वफ बोर्ड उसी रजिस्ट्रेशन के आधार पर अब तक जमीन पर दावा करते हु, मुकदमा लड़ रहा है। जब वह रजिस्ट्रेशन ही सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया तो अब उनका दावा रह ही कहां जाता है?
– हाईकोर्ट ने तीन भागों में प्रोपर्टी बांटा- ,एक तिहाई निर्माही अखाड़े को, एक तिहाई हिंदू पक्ष को, एक तिहाई मुसलिम पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट- 2010 का फैसला।
– उसी आॅर्डर में 26 फरवरी 1944 का रजिस्ट्रेशन खारिज किया गया है।
-वक्फ संपत्ति का कब्जा कस्टोडियन को ही दिया जाता है। इसलि, अयोध्या का मंदिर शिया वफ बोर्ड को ही मिलेगा।
-शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या की उस जमीन पर दावा है
-प्रस्ताव रखा गया कि विवादित भूमि पर राम मंदिर बने। शिया वक्फ बोर्ड उस अधिकार को समाप्त करता है। मुसलमानों के लिये,मस्जिद, जो मस्जिदे अमन होगी , जो लखनऊ के हुसैनाबाद में घंटा घर के सामने बने। यह समझौता सुप्रीम कोर्ट में 18 नवंबर को दाखिल हो चुका है। शिया वक्फ बोर्ड व हिंदू मंदिर निर्माण पक्ष के बीच सहमति हो चुकी है।
-जिनका अधिकार नहीं है, कानूनन, उनका पंजीकरण सुप्रीम कोर्ट से अवैध हो चुका है। मुसलिम पर्सनल बोर्ड का कोई अधिकार नहीं है और बिना अधिकार के कहते हैं कि हम बातचीत नहीं करना चाहते।
-शिया वक्फ बोर्ड को कभी भी किसी तरह की काॅपी या दावा नहीं किया गया है। हमको मालूम ही नहीं था कि हम भी इसमें पार्टी हैं और हमारे नाम पर फर्जी वकील हमेशा वहां पेश किया जा रहा है।
-21 मार्च 2017 में अदालत ने कहा कि आपसी समझौते से बातचीत की जा,। जब फाइलों के मुआयने किये गए तो पता चला कि शिया वक्फ बोर्ड इसमें पार्टी है, लेकिन जो शिया वक्फ बोर्ड की ओर से वकील खड़ा किया गया है, उसे शिया बोर्ड ने कभी कोई वकालतनामा नहीं दिया। वह जाली वकील खड़ा किया गया है।
-शिया बोर्ड से छुपाकर यानी असली दावेदार से छिपा कर बाबरी कमेटी ,क्शन कमेटी, सुन्नी वक्फ बोर्ड आदि अपना दावा कर रहे हो। शिया की ओर से अदालत की आंख में धूल झोंकने के लि, फर्जी वकील खड़ा कर रहे हैं। इसकी जांच केंद्र व राज्य सरकार करा,। इस इश्यू पर जांच जरूर होनी चािह, कि शिया वफ बोर्ड की ओर से जो वकील खड़े थे, उसे अधिकृत किसने किया? इसकी जांच सरकार करा,।
-अदालत में केवल यह तय होना है कि सुन्नी का कोई अधिकार है या नही?
– 5 दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या पर नियमित सुनवाई होनी है।
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