राम मंदिर का भूमि पूजन समारोह शुरू हो चुका है. इस स्वर्णिम अवसर पर ऐसा आभास हो रहा है जैसे संपूर्ण आकाश में शंख नाद की सैंकड़ों प्रतिध्वनियां गूंज उठी हों, जैसे संपूर्ण ब्रह्मांड इन दिव्य स्वर लहरियों से आह्लादित हो एक नया इतिहास रच रहा हो.
सबसे अधिक खुशी की बात तो यह है कि राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह के इस शुभ अवसर पर सिर्फ भारत में ही उत्सव नहीं मनाया जा रहा है. बल्कि राम मंदिर की महिमा विदेशों में भी जा पहुंची है.
अमरीका में बसे भारतीयों ने भी अभी कुछ समय पहले ही वहां बड़ी धूमधाम से राम मंदिर निर्माण के इस शुभ अवसर का स्वागत किया. वाशिंगटन डी सी के कैपिटल हिल एरिया में बहुत से भारती या तो भगवा कपड़े पहने या फिर अपनी पारंपरिक वेष भूषाओं में सजे धजे बाहर निकले . भगवा झंडों को हवा में लहराते हुए ‘जय श्री राम’ का उच्चारण करते हुए यह लोग मार्च करते हुए आगे बढे.
अमरीका की कैलिफोर्निया, टेक्सस, फ्लोरिडारिडा एवं वाशिंगटन शहरों के मंदिरों में भी राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह के शुभ अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है.
विश्ब भर में भारतीय ही नहीं बल्कि अंग्रेज़ भी अयोध्या में राम मंदिर के भव्य निर्माण को लेकर अत्यंत प्रसन्न हैं. पूरे विश्व में ऐसे कितने ही लोग हैं जो हिंदु धर्म के ज्ञान और दर्शन से इतना अधिक प्रभावित हुए हैं कि उन्होने न सिर्फ अपनी जीवन-शैली इस धर्म के सिद्धांतों के अनुरूप ढाल ली है, अपितु वे पूरे विश्व को हिंदू धर्म और संस्कृति की महानता से अवगत करा रहे हैं.
अमरीकी मूल की रेनी लिन्न हिंदू धर्म से जुड़ी एक्टिविस्ट हैं, लेखक हैं को कि पूरे विश्व में हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करती हैं और हिंदू धर्म के खिलाफ छिड़े दुराग्रहों की भी खुलकर आलोचना करती हैं. रेनी ने राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह के अवसर पर ट्वीट किया है. इसके अलावा एक और विदेशी महिला इंग्लेश बहेन नाम से अपना यू ट्यूब चैनल चलाती हैं जिसके माध्यम से वे हिंदू धर्म और संसकृति के विभिन्न पहलुओं से जुड़े वीडियोज़ बनाती हैं. चैनल पर उन्होने वैदिक रीति से संपन्न हुई अपने खुद के विवाह समारोह का वीडीयो भी अपलोड किया है. इन्होने भी इस शुभ अवसर पर ट्वीट किया है.
एक ऐसे समय में जब कम्यूनिज़्म द्वारा किये गये प्रोपोगैंडा से प्रभावित होकर भारत का पढा लिखा हिंदू युवा खुद की ही संस्कृति और सभ्यता को अपनाने से झेंप रहा है, अपने आप को उससे जुड़ा हुआ नही दिखाना चाहता इस भय में कि यद वह ऐसा करेगा तो उसे पिछड़ा हुआ, रूढिवादी और अन सेक्युलियर करार दे दिया जायेगा, ऐसे समय में ये विदेशी महिलायें जिस प्रकार से हिंदू धर्म के नव जागरण में लगी हैं, यह वाकई प्रशंसनीय है. और वैसे भी हिंदू धर्म में क्या देशी, क्या विदेशी. हिंदू धर्म और सभ्यता का तो सार ही है वसुधैव कुटुम्बकम और सर्वधर्म संभाव, यानि सब को साथ लेकर चलना.