एक ऐसे समय में जब न सिर्फ भारत बल्कि संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहा है, इस सब से हमें एक आवश्यक सीख भी मिल रही है. और वह यह है कि इंसान चाहे क्षण्भंगुर माया के जाल में कितना भी उलझ जाये, ऐसे संकट के समय में आंतरिक शक्ति अर्जित करने के लिये ऐसी विषयवस्तु की ओर रूख करना पड़्ता है जो कि शाश्वत हो और जो इंसान के घबराये हुए मस्तिष्क के टूटे हुए तारों को पुनह जोड़ उसके चित्त को शांति और प्रसन्न्ता प्रदान करती हो.. कुछ ऐसा हे करने की चाह में देश के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने लोगों की इच्छा को देखते हुए दूरदर्शन पर एक बार फिर से रामानंद सागर द्वारा निर्देशित रामायण सीरियल को प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है. सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेदकर के ट्वीट के अनुसार आज सुबह 9 बजे इस धारावाहिक का प्रथम एपिसोड टेलिकास्ट भी हो चुका है. रात 9 मजे रामायण का एक बार पुनह प्रसारण किया जायेगा.
सूचना और प्रसारण मंत्री ने रामायण के प्रसारण को लेकर जैसे ही ट्वीट किया, वैसे ही लोग उनके ट्विट्र थ्रेड पर महाभारत समेत और भी पुराने धारावाहिकों की वापसी की मांग करने लगे. जैसे ही रामायण धारावाहिक का प्रसारण आज सुबह 9 बजे शुरू हुआ, वैसे ही भारी ट्रैफिक के कारण दूरदर्शन की वेबसाइट क्रैश कर गयी. यही नहीं, अंग्रेज़ी में ‘ रामायण आंन दूरदर्शन’ गूगल सर्च इंजन का टांप सर्च भी बना.
बी आर चोपरा का ‘रामायण ‘ धारावाहिक जब 1980 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित होता था, तो लोगों के घरों में टीवी देखने वालों का तांता सा लग जाता था. ये वो दौर था जब केबल टी वी ने लोगों की टी वी स्क्रीन पर आधिपत्य नहीं जमाया था. यहां तक कि टी वी तक सब मध्यम्वर्गीय परिवारों के घरों में उपलब्ध नहीं था. तो मोहल्ले में जिसके घर भी टी वी होता था, उसके यहां जमावड़ा लग जाता था. हालांकि टी वी पर धार्मिक विषयों से जुड़े धारावाहिकों का प्रसारण आज भी होता है लेकिन जो बात 1980 के दशक के रामायण और महाभारत में थी, वह बात इन धारावाहिकों में कहां देखने को मिलती है. तब तकनीकी रूप से निर्देशन शायद इतना प्रभावशाली था लेकिन अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की जो अदकारी थी, वो जिस प्रकार से इन धार्मिक किरदारों को पूरी तरह आत्मसात कर लेते थे, उनका जो शुद्ध उच्चारण था, यह सब चीज़ें आजकल के धार्मिक धारावाहिकों में कम ही देखने को मिलती हैं. और सबसे बड़ी बात उस समय लोगों की मानसिकता ही कुछ और थी. वे रामायण जैसे धारवाहिक को बड़े ही आदर के भाव से देखते थे और इससे मानवीय मूल्यों की गहरी सीख लेते थे. इसे यू नही देखते थे कि जैसे बस कोई टी वी सीरियल देख रहे हों. आज लोगों की सोच भले ही अलग हो सकती है लेकिन कोरोना वांयरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये लगे लंकडाउन के चलते लोग एक बार फिर अतीत की समरसता और सादगी की ओर वापस लौटना चाहते हैं. ये लोगों के लिये एक संकेत है कि वह आधुनिकता और ग्लोबलाइज़ेशन की दौड़ में कहीं बहुत आगे निकल गये हैं और इस सब के बीच ऐसे मुश्किल के समय में अपने चित्त की शांति बनाये रखने के लिये उन्हे फिर उन्ही पुराने रास्तों पर वापस लौटना होगा.