विपुल रेगे। ख्यात लेखक चेतन भगत कोरोना काल में भारत की सरकार के प्रयासों को कोस रहे हैं। अंग्रेज़ी में सोचने वाले चेतन को बाबा रामदेव का मज़ाक उड़ाना आज के दौर का फैशन लगता है। उनको लगता है कि नई शताब्दी के सबसे चर्चित बाबा पर ट्विटरिया बंदूक तानकर वे इस खेल में प्रासंगिक बने रह सकते हैं। वैसे भी लेखन की दूकान चल नहीं रही तो अख़बारों में सरकार विरोधी लेखन से काम चलाना पड़ता है। जब डीआरडीओ ने ऑक्सीजन की आवश्यकता कम करने के लिए एक दवा की मंजूरी दी तो पता चला कि यही फार्मूला तो बाबा रामदेव की पतंजलि ने इसी वर्ष फरवरी में प्रस्तुत कर दिया था।
चेतन भगत ने अपने ट्वीटर अकाउंट से 7 मई को एक ट्वीट किया था। उस ट्वीट का आशय ये था कि आज के इस दौर में ऐसा एक भी ट्वीट दिखाई नहीं देता, जिसमे लिखा हो कि कोरोनिल की तत्काल आवश्यकता है। स्पष्ट है कि चेतन भगत ने रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल दवा पर कटाक्ष किया है।
इसके बाद ब्लूम्सबरी के कंस्ल्टिंग एडिटर आनंद रंगनाथन 8 मई को एक ट्वीट करते हैं। उन्होंने लिखा ‘2deoxy-D-ग्लूकोज, 2DG के लिए EUA के लिए DRDO को बधाई। एक एंटी-कैंसर दवा, इसका एमओए वायरस-संक्रमित कोशिकाओं में ग्लाइकोलाइसिस को रोक सकता है।’ साथ ही उन्होंने पतंजलि की सराहना करते हुए बताया कि 2DG के बारे में सबसे पहले पतंजलि ने बताया था कि ये फार्मूला सीधा वायरस पर अटैक करता है।
उस समय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को गंभीरता से नहीं लिया। अब पता चला है कि पतंजलि वाले ही फार्मूले को लेकर डीआरडीओ ने डॉ. रेड्डी लेबोरेट्रीज के साथ मिलकर ये दवा बनाई और अब लॉन्च भी कर दी। क्या अब चेतन भगत जैसे लोग बाबा रामदेव का मज़ाक उड़ाने के लिए क्षमा मांगेंगे?
क्या उन्हें ये नहीं दिखाई देता कि कोरोना से हो रहे महासमर में बाबा रामदेव और उनका पतंजलि संस्थान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चेतन भगत टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक बड़ा सा लेख लिखते हैं। उसमे वे लिखते हैं कि भारत का हेल्थ सिस्टम चरमरा गया है। राहुल गाँधी की तरह वे अपने देश की प्रतिष्ठा को अपने ऐसे लेखों से धूमिल करने में लगे है।
वे लिखते हैं ‘देश के तौर पर हमने बड़ी गलती की है।’ क्या चेतन जानते हैं कि 121 करोड़ लोगों के देश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेहतर कैसे की जाती है, जबकि केंद्र की सहायताएं धरातल तक पहुँचते-पहुँचते ऑक्सीजन चोरों के हाथ में आ जाती है। वे सरकार के खिलाफ लिखते हैं। वे रामदेव का मज़ाक बनाते हैं। क्या वे देश के अधिकृत ऑक्सीजन चोरों के विरुद्ध अंग्रेज़ी अख़बार में ऐसे लेख लिख सकते हैं।
अब जबकि सिद्ध हो गया है कि पतंजलि इस गेम चेंजर दवा का फार्मूला पहले ही सरकार को दे चुकी थी, तो चेतन भगत ट्वीटर पर क्षमा मांगेंगे या खेद प्रकट करेंगे ? क्या स्वास्थ्य मंत्रालय विचार करेगा कि आयुर्वेद के पुरातन सशक्त कंधों पर कोरोना से लड़ने का भार डाल सके। बाबा रामदेव ने सिद्ध कर दिया कि आयुर्वेद हर विकट स्वास्थ्य परिस्थिति में भारतवर्ष को उबार सकता है।
बाबा रामदेव की कोरोनीन से लाखों लोगों का जीवन बचा है मैं खुद अनेक लोगों को इसका प्रयोग करा कर के स्वास्थ्य लाभ दिलवाया है यह दवा अद्भुत है