विपुल रेगे। अभिनेता और हाल ही में फिल्म निर्देशक बने रणदीप हुड्डा का ‘इतिहास ज्ञान’ अनुपम है। वह उनके ट्वीट से झलकता है तो उनकी फिल्म के ट्रेलर से भी उद्घाटित होता है। रणदीप अपनी आगामी फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ को लेकर चर्चा में है। तीन दिन पहले रिलीज हुए ट्रेलर को व्यूज तो मिले लेकिन विवाद भी साथ लाए। रणदीप हुड्डा को आने वाले दिनों में अपने ‘इतिहास ज्ञान’ का प्रमाण देना पड़ सकता है।
सोमवार को रणदीप हुड्डा की ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ का ट्रेलर रिलीज हुआ। ट्रेलर रिलीज होते ही विवादों में फंस गया। ट्रेलर में लिखा आता है कि सावरकर सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और खुदीराम बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा थे। इस दावे के बाद बोस के पोते चंद्र कुमार बोस सामने आए और इसे गलत ठहरा दिया। एक अन्य बंगाली अभिनेत्री स्वास्तिका मुखर्जी ने भी दावे पर सवाल उठाए हैं। फिल्म में खुदीराम बोस के भी सावरकर से प्रेरित होने का दावा किया गया है।
इस दावे को देखे तो खुदीराम का जन्म 3 दिसंबर 1889 को हुआ। उनसे छह वर्ष पूर्व 28 मई 1883 को सावरकर का जन्म हुआ था। सावरकर जी को सन 1914 में अंडमान जेल भेजा गया था। उस समय वे 28 वर्ष के युवा थे। जबकि खुदीराम बोस 11 अगस्त 1908 को अठारह वर्ष की आयु में बलिदान हुए थे। यानी खुदीराम सावरकर जी को जेल भेजे जाने से बहुत पहले ही संसार से जा चुके थे।
चंद्र कुमार बोस ने हुड्डा के दावे पर सवाल करते हुए पूछा है ‘क्षमा करें मोस्ट वॉन्टेड नेता और स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे। वह एकमात्र फ्रंट-लाइन नेता थे और 18 अगस्त 1945 को हमारे देश की आजादी के लिए उन्होंने अपना बलिदान दे दिया था।’ नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्वामी विवेकानंद से प्रेरित थे, जो उनके गुरु थे। इसके अलावा वह देशबंधु चितरंजन दास से प्रेरित थे, जो उनके राजनीतिक गुरु थे।’ उन्होंने रणदीप से भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सही और सच्चे इतिहास को पेश करने का आग्रह किया है।
चंद्र कुमार बोस कहना है, ‘पर्दे पर इतिहास को गलत तरीके से पेश करना युवाओं के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा।’ जब ये फिल्म शुरु हुई थी, महेश मांजरेकर को डायरेक्टर घोषित किया गया था लेकिन अब रणदीप का नाम निर्देशक के रुप में दिखाई दे रहा है। सन 2022 में महेश ये फिल्म बीच में छोड़ गए। विवादों का पता नहीं चल सका लेकिन निर्माता ने एक ऑफिशियल अनाउंसमेंट कर दी थी। फिल्म की रिसर्च टीम ने यदि ऐसी गलतियां की हैं तो कथानक में भी बहुत से झोल हो सकते हैं, जो रिलीज पर ही पता चलेंगे।
उधर दक्षिण से एक और फिल्म की घोषणा हुई है, जो वीर सावरकर पर आधारित है। राम चरण तेजा ये फिल्म लेकर आ रहे हैं। फिल्म का नाम ‘द इंडिया हाउस’ है। ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ के ट्रेलर को शानदार प्रतिसाद मिल रहा है लेकिन इतिहास की बारीकियों में ये फिल्म चूक कर गई है। फिल्म पर दो बातों का विपरीत असर होगा। पहला तो एक निर्देशक की आधी छोड़ी गई फिल्म को रणदीप ने निर्देशित किया है और उन्हें निर्देशन का अनुभव नहीं है। दूसरा इतिहास को लेकर पर्याप्त शोध नहीं किया गया होगा तो इसका नकारात्मक असर होगा।
कुल मिलाकर रणदीप हुड्डा के लिए डगर कठिन हो चली है। इसके अलावा उनका एक ट्वीट भी बहुत कहर बरपा रहा है। अपने ट्वीट में उनका कहना है कि ‘जाट एक जाति नहीं बल्कि एक नस्ल है। आगे वे लिखते हैं जाट हर धर्म के होते हैं और मुस्लिम भी। मुस्लिम जाटों को रणदीप धर्म और जात से ऊपर मानवीय बताते हैं। इस पुराने पापी ट्वीट के बाहर आने के बाद उनकी और उनकी फिल्म की मुश्किलें और बढ़ जाने वाली है। रणदीप का ‘इतिहास ज्ञान’ उनका पहले निर्देशकीय ज़हाज़ के तले में बड़ा सा छेद कर सकता है।