विपुल रेगे। अब ये लगभग तय हो गया है कि टेलीविजन के प्रसिद्ध किरदार ‘शक्तिमान’ पर बनने जा रही फिल्म में अभिनेता रणवीर सिंह मुख्य भूमिका निभाएंगे। निर्माता मुकेश खन्ना कई दशकों से फिल्म उद्योग में कार्यरत हैं और जानते हैं कि किसी भी कलाकार की ऑफ स्क्रीन इमेज उसके फ़िल्मी किरदारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। शक्तिमान में उनकी मुख्य भूमिका की घोषणा होने के साथ ही करण कपूर के कार्यक्रम ‘कॉफी विद करण’ में रणवीर ने अपनी सेक्स लाइफ के किस्से भी सुनाए हैं। ये वाली टाइमिंग मुकेश खन्ना को मुश्किल में डाल सकती है।
कॉफी विद करण के सातवें सीजन के एक एपिसोड में रणवीर सिंह और अभिनेत्री आलिया भट्ट को आमंत्रित किया गया था। शो में करण जौहर ने अपनी आदत के चलते बोल्ड प्रश्न करना शुरु कर दिए। हालांकि रणवीर ने बिना झिझके अपनी सेक्स लाइफ का खुलासा किया और ये भी बताया कि वे अपनी वेनिटी वैन में भी शारीरिक संबंध बना चुके हैं। प्रश्न ये उठता है कि अपना नंगापन सरे आम दुनिया को दिखाने वाला अभिनेता क्या शक्तिमान के किरदार के लिए उपयुक्त होगा ?
ऐसा लगता है कि इतने वर्ष बाद मुकेश खन्ना स्वयं भूल चुके हैं कि शक्तिमान का चरित्र क्या था। शक्तिमान की शक्ति जपतप से आती थी। वह संपूर्ण भारतीयता में ढाला हुआ चरित्र था। शक्तिमान को ध्यान और तप के कारण शक्तियां मिली थी और वह इस कारण ही भारत के दर्शक वर्ग में बहुत लोकप्रिय हुआ था। जब भी मुकेश खन्ना से पूछा जाता था तो वे कहते थे कि शक्तिमान के किरदार के लिए हम बहुत उपयुक्त चयन करेंगे। अब उनसे पूछा जाना चाहिए कि ये कैसा उपयुक्त चयन हुआ ?
रणवीर के चयन को लेकर मीडिया लिख रहा है कि वे बच्चों में बड़े लोकप्रिय हैं। मुझे समझ नहीं आया कि ऐसी कौनसी फिल्म थी, जिसमे रणवीर को बच्चों का हीरो मान लिया गया है। आज मीडिया पहले से अधिक प्रखर है। सोशल मीडिया तो उससे भी अधिक तेज़ी के साथ आप तक पहुँच रहा है। ऐसे में करण जौहर के शो पर कही गई बातें मीडिया के माध्यम से क्या लोगों तक नहीं पहुंचेगी। शक्तिमान होने के लिए रणवीर की ऑन स्क्रीन इमेज के साथ ऑफ स्क्रीन इमेज भी वैसी होना आवश्यक है।
जब आप सार्वजनिक रुप से करोड़ों लोगों के सामने अपनी सेक्स लाइफ का खुलासा करते हैं तो अपनी ऑफ स्क्रीन इमेज का भी भट्टा बैठा देते हैं। ऐसे में आप जब शक्तिमान जैसे किरदार करेंगे तो वह ऑफ स्क्रीन इमेज आपके साथ चिपकी रहेगी। फिर होगा ये कि शक्तिमान का किरदार लोगों को सहज स्वाभाविक नहीं लगेगा। जब बेन किंग्सले ने रिचर्ड एटनबरो की ‘गाँधी’ की मुख्य भूमिका स्वीकार की तो उन्होंने निजी जीवन में मांस और शराब का त्याग कर दिया।
बेन किंग्सले ने गाँधी को भीतर से जीने का प्रयास किया और यही कारण है कि फिल्म में वे बिलकुल वास्तविक गाँधी नज़र आए। हालांकि बॉलीवुड के फिल्म निर्माता इन बातों को बेकार समझते हैं। इसलिए ही वे एक वर्ष में चार फ़िल्में बनाते हैं और इन चार में से एक भी ऐसी नहीं होती, जिसकी चर्चा अगले दशक के दर्शकों में भी होती रहे।