अर्चना कुमारी। उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस के नेतृत्व में 14 राजनीतिक दलों द्वारा दायर की गई उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का मनमाने ढंग से इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था। बताया जाता है कि प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने याचिका पर विचार करने के लिए अनिच्छा जताते हुए कहा कि नेताओं की शिकायतों को सुनने के लिए अदालतें हमेशा मौजूद रहती हैं, जैसे वे आम नागरिकों के मामले में रहती हैं। उच्चतम न्यायालय की पीठ ने टिप्पणी की है कि नेताओं को आम नागरिकों की तुलना में अधिक छूट नहीं मिलती।
एक बार जब हम यह स्वीकार कर लेते हैं कि नेता भी आम नागरिकों के बराबर हैं और उन्हें अधिक छूट नहीं है, तो हम कैसे कह सकते हैं कि तब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकती जब तक कि तीन आयामी जांच से संतुष्टि नहीं हो जाती। याचिका पर विचार करने में शीर्ष अदालत की अनिच्छा को भांपते हुए राजनीतिक दलों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। इसके बाद उच्चतम न्यायालय के पीठ ने आदेश दिया, अधिवक्ता इस स्तर पर याचिका वापस लेने की अनुमति चाहते हैं। याचिका तदनुसार वापस ली गई मानते हुए खारिज की जाती है।
पीठ ने कहा, आप कृपया तब हमारे पास आएं जब आपके पास कोई व्यक्तिगत आपराधिक मामला या मामले हों।किसी मामले के तथ्यों से संबंध के बिना सामान्य दिशानिर्देश देना खतरनाक होगा। इससे पहले याचिका दाखिल करने के समय शुरुआत में, सिंघवी ने कुछ आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि विपक्षी नेताओं को 2014 से 2022 तक संघीय जांच एजेंसियों द्वारा लक्षित किया गया है और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामलों में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उन्होंने दावा किया, 2014 और 2022 के बीच, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 121 नेताओं के खिलाफ जांच की गई है, जिनमें से 95 प्रतिशत नेता विपक्षी दलों से हैं। दावा किया कि सीबीआई ने 124 राजनीतिक नेताओं की जांच की है और इनमें से 108 विपक्षी राजनीतिक दलों के हैं। इस पर पीठ ने कहा कि यहां तक कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत मीडिया के पास अधिक शक्तियां नहीं हैं और राजनीतिक व्यक्ति भी नागरिक हैं और एक नागरिक के रूप में वे समान नियमों के अधीन हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वह किसी विशेष मामले में कोई विशेष राहत का अनुरोध नहीं कर रहे हैं और देश में 42 प्रतिशत मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टियां केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ्तारी से पहले और बाद की प्रक्रियाओं के संभावित दिशानिर्देश का अनुपालन चाहती हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस नेता सिंघवी द्वारा 24 मार्च को तत्काल सुनवाई के लिए संयुक्त याचिका उल्लेखित की गई थी।
वकील शादान फरासत के माध्यम से दायर याचिका में कुछ आंकड़ों का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया गया कि ये चौंकाने वाली और असंवैधानिक स्थिति दिखाते हैं।कांग्रेस के अलावा, इस संयुक्त कदम में द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिवसेना (यूबीटी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस शामिल थीं।