भारत के विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर ने अब स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि कश्मीर के जिस हिस्से पर पाकिस्तान ने कब्ज़ा कर रखा है, वो निश्चित तौर पर जम्मू और कश्मीर का ही अभिन्न अंग है और भारत को ये पूरा भरोसा है कि एक न एक दिन ये हिस्सा भारत के मानचित्र का हिस्स बनेगा.
धारा 370 हटने के मसले पर इस्लामिक देश सहित ब्रिटेन और अमरीका भारत के साथ
विदेश मंत्री के इस बयान से पाकिस्तानी खेमे में हड़्कम्प मच गया. है. जम्मू और कश्मीर पर से धारा 370 हटाने के मसले को लेकर पाकिस्तान बार बार अंतराष्ट्रीय समुदाय में भारत की छवि बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है और उसे बार बार मुंह की खानी पढ़ रही है. चीन के अलावा विश्व का कोई भी ऐसा देश नहीं है जो इस मसले को लेकर पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा हो. यहां तक कि इस्लामिक देशों ने भी इसे भारत और पाकिस्तान का आपसी मामला बताकर कश्मीर मसले से दूरी बना ली है. पिछले माह कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के कुछ समय बाद ही यूनाइटेड अरब एमिरेट्स ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने सबसे उंचे सिविलियन आंनर से नवाज़ा था. ये इस बात का ठोस प्रमाण है कि इस्लामिक देशों ने भी कश्मीर को लेकर पाकिस्तान द्वारा लगातार किये जाने वाले प्रोपोगैंडा को ज़रा भी गम्भीरता से नहीं लिया.
उधर बिटेन के सांसद बाब ब्लैक्मैन ने पिछले शनिवार को लंदन में कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र संघ में ये मुद्दा उठाने की बात करने से पहले कश्मीर के उस हिस्से से अपनी सेना हटानी चाहिये जिसपे उसने गैरकानूनी ढंग़ से कब्ज़ा किया हुआ है. ब्लैक्मैन लंदन में वहां पर बसे कश्मीरी पंडितों की रैली को संबोधित कर रहे थे. जबसे भारत ने जम्मू और कश्मीर से धारा 370 को हटाया है, तब से ब्लैक्मैन कई बार भारत के इस फैसले के समार्थन में अपना मत रख चुके हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जांनसन ने भी अपने वक्तव्यों में यही कहा है कि जम्मू और कश्मीर भारत और पाकिस्तान का आपसी मसला है. जहां तक अमरीका की बात है , वहां के राष्ट्रपति डांनल्ड ट्रम्प यह स्पष्ट कर चुके हैं कि अमरीका इस मामले में बिल्कुल हस्त्क्षेप नहीं करेगा.
पाकिस्तान का साथ देना चीन की व्यापारिक और कूटनीतिक मजबूरी
जहां तक चीन की बात तो जम्मू और कश्मीर मसले को लेकर पाकिस्तान की हां में हां मिलाना उसकी मजबूरी है. चीन के अति महत्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रोजेक्ट की एक सबसे अहम कड़ी चीन पाकिस्तान एकांनामिक कारिडोर है जो कि कश्मीर के उस हिस्से से होकर गुज़रती है जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्ज़ा है. भारत ने इसे लेकर अपनी असहमति कई बार जताई है और भारत चीन की तमाम कूटनीतिक कोशिशों के बावजूद अभी भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बना है.
पाकिस्तान को ज़रूरत है अपने आंतरिक हालात सुधारने की
सबसे अहम बात यह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच वार्तालाप का अहम मुद्द्दा कश्मीर से धारा 370 का हटना नहीं है बल्कि यह है कि पाकिस्तान आखिर कब तक आतंकवाद का एक गढ़ बना रहेगा और भारत की धरती पर निरंतर हमले करने वाले आतंक्वादियों को शय देता रहेगा. पाकिस्तान की अर्थ्व्यवस्था बुरी तरह से चरमराई हुई है, वह पूरी तरह कर्ज़ में डूबा है. तो पाकिस्तान को पहले अपनी आंतरिक स्थिति सुधारने का प्रयास करना चाहिये. अभी कुछ दिन पहले इंटरनेट पर वायरल हुए एक वीडियो में एक पाकिस्तानी लड़के ने मीडिया को इंटरव्यू देते समय यह कहा था कि पाकिस्तान को पहले अपनी अर्थ्व्यवस्था भारत के बराबर करनी होगी, तभी वो इस मुकाम पर पहुंच पायेगा कि अंतराष्ट्रीय समुदाय में कश्मीर को लेकर कोई उसकी बात सुने भी.
