विनीत नारायण। पांच बार बीजेपी से और एक बार समाजवादी पार्टी से सांसद रह चुके 66 साल के बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी टालने के पीछे 2024 का चुनाव है. ज़रा सी चाबी घुमाई, तो बीजेपी को पूर्वांचल की दस सीटों पर ज़ोर का झटका धीरे से लग सकता है.
नेपाल बॉर्डर से लेकर सरयू- घाघरा नदी तक के बेल्ट में बृजभूषण की तूती बोलती है। क्रिमिनल केस से सम्बंधित पचासों एफआईआर हो चुके हैं इस बाहुबली पर. जेल यात्रायें भी कई बार हुई हैं. मगर, इस समय बृजभूषण शरण सिंह को जेल भेजना बीजेपी के लिए गले की हड्डी बन गई है.
बृजभूषण शरण सिंह के क्रिमिनल करियर में सबसे भयानक कालखंड था दाऊद इब्राहिम से सम्बन्ध, जिस वजह से वो जेल गए और टाडा भी लगा था. अटल बिहारी वाजपेयी में इनकी “प्रतिभा” को पहचाना था. आशीर्वाद मिला अटल जी का, टाडा से भी पार पा गए बृजभूषण शरण सिंह.
यह किस्सा है साल 1996 का। दाऊद के बहनोई इब्राहिम कासकर को अरुण गवली गैंग के शूटर्स ने मार दिया था। बदले में डी-कंपनी के छोटा, राजन, छोटा शकील, सुभाष ठाकुर और अन्य ने जेजे हॉस्पिटल शूटआउट में गवली के शूटर्स शैलेश हालदनकर और विपिन की हत्या कर दी थी। इस शूट आउट में मुंबई पुलिस के दो सिपाही भी मारे गए थे.
बृजभूषण और यूपी पुलिस के एक इन्स्पेक्टर वीरेंद्र राय पर आरोप लगा कि डॉन दाऊद इब्राहिम के शूटर्स को ठहरने का इंतज़ाम इन दोनों ने कराया था। बृजभूषण टाडा के तहत जेल में बंद रहे। टाडा मामले में अभियोग लगाए जाने के बाद बृज भूषण सिंह को टिकट से वंचित कर दिया गया था, तो उनकी पत्नी केकती देवी को भाजपा ने गोंडा से मैदान में उतारा था। और वह चुनाव जीत गईं।
उससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बृजभूषण को पत्र लिखकर हिम्मत दी थी. उस पत्र में वाजपेयी जी ने बृजभूषण को आजन्म जेल की सजा काटनेवाले सावरकर जी का स्मरण करने को कहा था. उस पत्र से सत्ता के गलियारे में बृजभूषण के लम्बे हाथ का अंदाज़ा लगा सकते हैं. 1998 से 1999 के कालखंड में अटलजी पीएम थे, बृजभूषण शरण सिंह टाडा से मुक्ति पा गए. अटल जी का वरदहस्त था, सीबीआई ने भी जांच में क्लीन चिट दे दी थी, और वह कोर्ट से भी “बाइज्जत” बरी हो गए थे।