नई दिल्ली, 14 फरवरी 2025: बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘गार्जियन ऑफ हेरिटेज’ का आज नई दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम में भव्य विमोचन हुआ। प्रसिद्ध वियतनामी कलाकार डॉ चू बाओ क्वे की जीवनी पर आधारित इस पुस्तक के लेखक डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी हैं। किताब पारंपरिक वियतनामी लोक कलाओं को संरक्षित करने के प्रति डॉ क्वे की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। कार्यक्रम्र का आयोजन इ्ंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (आईबीआर) द्वारा विश्व हिंदी परिषद के सहयोग से किया गया।
इस भव्य कार्यक्रम में जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि राज्यसभा सांसद डॉ संगीता बलवंत और श्री राम चंद्र जांगड़ा ने विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। भारत के अग्रणी और प्रतिष्ठित प्रकाशक, डायमंड बुक्स के अध्यक्ष श्री नरेंद्र कुमार वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। इसके अलावा, सुश्री उटा हन्ना डेनहर्ट, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की प्रतिनिधि (सिंगापुर) और डॉ विपिन कुमार, महासचिव, विश्व हिंदी परिषद भी उपस्थित थे। यह आयोजन भारत-वियतनाम सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम का हिस्सा था, जो दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।

वियतनाम की कला एवं संस्कृति में अमूल्य योगदान देने वाले डॉ क्वे ने पारंपरिक वियतनामी कला रूपों के संरक्षण तथा प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके अथक प्रयासों को वैश्विक स्तर पर पहचाना गया जब वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें मानद प्रोफेसर की उपाधि से सम्मानित किया।
लेखक डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी ने डॉ क्वे की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह किताब मात्र एक जीवनी नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि कला की शक्ति कैसे किसी राष्ट्र की विरासत को संरक्षित कर सकती है।”
अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डॉ क्वे ने कहा, “कला किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है। लोक कलाओं का संरक्षण केवल इतिहास को संजोने तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझने और संजोने के लिए भी प्रेरित करता है।”
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, जो इस वर्ष अपनी 20वीं वर्षगांठ मना रही है, पिछले दो दशकों से भारत में रिकॉर्ड्स को संकलित और प्रकाशित कर रही है। यह अपनी वार्षिक रिकॉर्ड बुक, मासिक पत्रिका और साप्ताहिक टीवी शो के माध्यम से भारतीय रिकॉर्ड्स को जीवंत बनाए हुए है। इस अवसर पर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने डॉ क्वे को भारत-वियतनाम सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम का राजदूत नियुक्त किया।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ क्वे द्वारा वियतनामी सांस्कृतिक प्रस्तुति और उसके बाद भारतीय पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन से हुई। कार्यक्रम का समापन कला और विरासत संरक्षण के महत्व पर विचार-विमर्श के साथ हुआ, जिससे भारत और वियतनाम के सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक मजबूती मिली।
आयोजन में भारत और वियतनाम के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हुए। विशिष्ट अतिथियों की सूची में शामिल थे: एसोसिएट प्रोफेसर डॉ ता क्वांग डोंग, उप मंत्री, संस्कृति, खेल और पर्यटन मंत्रालय; मानद डॉक्टर, प्रोफेसर, रिकॉर्ड धारक व कलाकार चू बाओ क्वे, अध्यक्ष, नीति और विकास परामर्श परिषद, वियतनाम फेडरेशन ऑफ यूनेस्को एसोसिएशंस; श्री ट्रान वान मन्ह, स्थायी उपाध्यक्ष और महासचिव, वीएफयूए; श्री फाम तोआन वुओंग, महानिदेशक, एग्रीबैंक वियतनाम; डॉ गुयेन होआंग अन्ह (जूलिया); श्री गुयेन होआंग जियांग, निदेशक, बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (एग्रीबैंक) बक गियांग 2 शाखा; और श्री गुयेन जुआन थिएट, उपाध्यक्ष, उप महासचिव एवं कार्यालय प्रमुख, वियतनाम फेडरेशन ऑफ यूनेस्को एसोसिएशंस। अन्य अतिथियों में प्रमुख थे: श्री होआंग थाई तुआन अन्ह, श्री गुयेन कोंग वुओंग, श्री गुयेन दिन्ह होआ, श्री गुयेन होंग खान, श्री होआंग थान फुक, श्रीमती चू थी हैंग, श्री ट्रान विएट थांग, श्रीमती फाम थी वान, श्रीमती गुयेन थू ट्रांग, सुश्री बूई थी थू हिएन, सुश्री गुयेन थी तुओंग वान, सुश्री गुयेन थी मिन्ह थू, सुश्री गुयेन थुई हुओंग, श्री गुयेन होआंग जियान और सुश्री त्रिन थी मुई।

प्रोफेसर चू बाओ क्वे, जिन्हें वियतनाम की सांस्कृतिक विरासत के रक्षक के रूप में सराहा जाता है, अपने राष्ट्र की कलात्मक धरोहर को संरक्षित करने के लिए समर्पित रहे हैं। कठिन हालात से निकलकर, उन्होंने अपनी लगन और प्रतिबद्धता से वियतनाम की पारंपरिक क्वान-हो लोक गायन कला को पुनर्जीवित किया और नई पीढ़ी को सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने के लिए प्रेरित किया। उनकी संकल्पशक्ति ने भारत और वियतनाम के बीच सांस्कृतिक संबंधों को नया आयाम दिया। उनका कार्य उन ऐतिहासिक संबंधों से जुड़ा है, जो 7वीं शताब्दी में चाम सभ्यता के वक्त स्थापित हुए थे। उनके अथक परिश्रम ने इन प्राचीन संबंधों को पुनर्जीवित किया, जिससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा मिला। ‘गार्जियन ऑफ हेरिटेज’ डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित की गई है।

लेखक के बारे में
डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी (बीआरसी) ने 50 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें 35 स्वास्थ्य व जीवनशैली तथा 15 मस्तिष्क और स्मरणशक्ति पर आधारित हैं। हालांकि, ‘गार्जियन ऑफ हेरिटेज’ उनकी लिखी पहली जीवनी है। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के प्रधान संपादक और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन (वर्ल्डकिंग्स) के चेयरमैन के रूप में, उन्होंने रिकॉर्ड-कीपिंग में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हिम्स हॉस्पिटल्स एवं मेडिकल अकादमियों के जरिए उनके हैल्थकेयर वेंचर, वियतनाम, मलेशिया और नेपाल तक फैले हैं। गत एक दशक से, वह हर माह लगभग एक सप्ताह वियतनाम में बिताते रहे हैं, जहां उन्होंने भारत-वियतनाम के गहरे सांस्कृतिक संबंधों को अनुभव किया। डॉ क्वे के कार्यों के प्रति उनके गहरे सम्मान ने उन्हें इस प्रेरणादायक जीवनी को लिखने के लिए प्रेरित किया।