विपुल रेगे। किसी गीत की धुन चुरा लेना और चोरी पकड़ी जाने पर उसे इंस्पिरेशन कहना हिन्दी संगीत उद्योग की आदत हो चली है। पिछले दिनों एक ऐसा गाना आया, जो अपने संगीत और शब्दों के चलते युवा वर्ग को बहुत पसंद आया। संगीतकार तनिष्क बागची ने फिल्म मुंबई सागा के लिए यह गाना कंपोज किया था। गीत को ख्यात गीतकार मनोज मुंतशिर ने लिखा और इसे इमरान हाश्मी पर फिल्माया गया था। इस गीत के साथ नब्बे के दशक का इतिहास भी जुड़ गया है। नब्बे के दशक का गीत और नब्बे के दशक की एक छोटी सी प्रेम कहानी इस गीत का एसेंस है।
इस फिल्म में इमरान हाश्मी ने इंस्पेक्टर विजय सावरकर की भूमिका निभाई थी। फिल्म के इस गीत में उस छोटी सी लव स्टोरी का पता चलता है, जो नब्बे के दशक में घटी थी। हालांकि फिल्म में निभाई भूमिका से इस कहानी का कुछ लेना-देना नहीं है। निर्देशक ने इसे स्वप्न गीत की तरह इस्तेमाल किया था, जो दर्शक को फिल्म की ओर खींचने के लिए फिल्म के प्रमोशनल गीत के रुप में रिलीज किया गया था।
इस गीत में एक इंस्पेक्टर तीन गुंडों से मुठभेड़ में बचते हुए एक होटल में प्रवेश कर जाता है। यहाँ एक शादी का आयोजन हो रहा है। एक लड़की की उसकी इच्छा के विरुद्ध विवाह किया जा रहा है। संयोग से इंस्पेक्टर उस लड़की के कमरे में ही जा पहुंचता है। विपरीत परिस्थितियों में भी इन दोनों में प्रेम पनपता है। इंस्पेक्टर लड़की को लेकर वहां से भागकर एक लाइब्रेरी में पहुँचता है।
इंस्पेक्टर का पीछा कर रहे गुंडे वहां पहुंचकर गोली चलाते हैं और छोटी सी प्रेम कथा का अंत हो जाता है। वह लड़की मारी जाती है। ये कहानी सत्य का आधार लिए हुए हैं। नब्बे के दशक में एक पुलिस इंस्पेक्टर विजय दांडेकर के साथ ये घटना हुई थी। दांडेकर उस घटना से इतने व्यथित हुए कि उन्होंने जीवन भर शादी नहीं की। उस समय दांडेकर अंडर कवर काम कर रहे थे। इस गीत में उस सच्ची कहानी की एक झलक दर्शकों को मिलती है।
अब गीत की बात करें तो तनिष्क बागची ने नुसरत फ़तेह अली खान की गाई एक कम्पोजिंग को जस का तस उठा लिया है। इस चोरी के गीत को मनोज मुंतशिर ने अपने शब्द दिए हैं। ये गाना युवा वर्ग में बहुत लोकप्रिय हो रहा है। इसे अब तक लाखों व्यूज मिल चुके हैं। हालांकि ये गीत नुसरत की उस जादुई धुन का बड़ा ही कमतर वर्जन माना जा सकता है। नुसरत की महफ़िल में ये गीत अपना पूरा शबाब बिखेरता है।
वहां उस मंच पर शायरी है, इश्क है, सूफियाना छुअन है और राग-रागिनियों की बैठक है। उसके मुकाबले में आधुनिक वाद्ययंत्रों पर तैयार की गई इसकी कॉपी बेजान सी लगती है। इस बेजान कॉपी के साथ विजय दांडेकर की कहानी का वीडियो न होता तो शायद इसकी इतनी चर्चा भी नहीं होती। वैसे भी शास्त्रीय संगीत के पारखी सुनकारों से इतर आज के आम सुनकार हल्का संगीत ही पसंद करते हैं। युवा वर्ग को रागों के एसेंस ही पसंद आते हैं।
जब नुसरत ने मूल गीत पेश किया था तो वह पाकिस्तान के किसी शहर की आम महफ़िल थी। वहां नुसरत और उनकी शीरी आवाज़ ही असली ग्लैमर थी और यहाँ भी इस स्टाइलिश वीडियो में नुसरत ही असली ग्लैमर हैं। उस जादुई धुन को हटा दीजिये, सिफ़र ही बाकी बचेगा और बचेगी विजय दांडेकर की छोटी सी प्रेम कथा।
आदरणीय संदीप देव जी,
मैं आपका बहुत सम्मान करता हूं और ISD का रेगुलर पाठक हूं. Vipul rege जी ने इस आलेख के माध्यम से मनोज Muntasir पर जो सवाल उठाए हैं और नुसरत फतेह अली, सूफियाना और नुसरत की सीरी आवाज का जो महिमामंडन किया है उस पर मुझे आपत्ति है.
1- पहली बात तो यह चोरी नहीं है रीमिक्स है जो इन दिनों दुनिया भर के म्यूजिक डायरेक्टर कर रहे हैं, चोरी उसे कहते हैं जो अनु मलिक और नदीम करता है.
2- दूसरी बात Vipul ji को सूफी म्यूजिक की कौ म
लगती है, तो न्यूज़ पढ़ ले पिछले 1 हफ्ते से सूफी समाज पाकिस्तान में कौन सा म्यूजिक सुना रहा है इमरान खान से लेकर पूरा यूरोपियन समूह डरा बैठा है.
3- तीसरी बात सूफी संगीत कोई संगीत नहीं है यह भारत का प्राचीन folk संगीत है , जिसको converted Hare Tiddo ने बहुत तोड़ मरोड़ दिया वरना आसमानी किताब में म्यूजिक की सजा मौत है.
Vipul जी को हरे टिंड्डा ki आईडियोलॉजी के बारे में पढ़ने की जरूरत है.
Sandeep ji,
आप से निवेदन है की मनोज Muntasir अच्छा काम कर रहा है . Usको प्रोत्साहन की जरूरत है कम से कम कोई तो है जो बॉलीवुड के Hare Tidda दलों के बीच में बाहुबली के bhakti Jaise song लिखता है उसके खिलाफ एजेंडा ना चलाया jaye प्लीज
Support All Hindu artist
Bycot hare tidde and theirs paid promoter or murkh patrakar.
Thanks and regards
Narendra kumar
Journalist
@Narendra journalist सही बोल रहे हैं संदीप जी, मनोज मुन्तसिर तो सिर्फ गाना लिखता है, यह पैसा लगाकर गाना बनाने का काम तो T series जैसी कम्पनियों का काम है। जो गाना बनाने के नाम पर गाना चोरी का काम करती है।
@PradeepBhandariTHEHITMAN समर्थन करने के लिए धन्यवाद प्रदीप जी