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India Speaks Daily > Blog > Blog > स्वयंसेवी प्रयास > प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रवाद से संबंधित विषयों पर तत्काल उचित कदम उठाने का किया अनुरोध !
स्वयंसेवी प्रयास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रवाद से संबंधित विषयों पर तत्काल उचित कदम उठाने का किया अनुरोध !

Awadhesh Mishra
Last updated: 2019/01/03 at 12:12 PM
By Awadhesh Mishra 96 Views 15 Min Read
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जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक विरोधी देश में जातिवाद से लेकर भाषावाद, क्षेत्रवाद तथा तुष्टिकरण के साथ जनसंख्या नियंत्रण कानून तथा मजहबी मुद्दों पर राष्ट्रवादियों को भड़काकर लोक सभा चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहिए कि वे राष्ट्रवाद से संबंधित विषयों पर तत्काल उचित कदम उठाएं। इसी संदर्भ में पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उचित कदम उठाने का अनुरोध किया गया है।

माननीय प्रधानमंत्री जी,

भाजपा विरोधी राजनीतिक दल जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद और तुष्टिकरण का जहर घोलकर तथा अयोध्या, काशी, मथुरा, आर्टिकल 35A, 44, 370, धर्मपरिवर्तन और जनसँख्या नियंत्रण कानून के विषय पर राष्ट्रवादियों को भड़काकर लोकसभा चुनाव जीतना चाहते हैं, इसलिए आपसे निवेदन है कि राष्ट्रवाद से संबंधित निम्नलिखत 21 विषयों पर तत्काल आवश्यक कदम उठायें I

1. The Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991: भाजपा और अन्य दलों के भारी विरोध के बावजूद कांग्रेस सरकार ने 1991 में यह कानून बनाकर धार्मिक स्थलों की 15.8.1947 की यथास्थिति कायम कर दिया था I यदि 1991 में एक विशेष कानून बनाकर 1947 की यथास्थिति बहाल की जा सकती है तो 2019 में भी एक कानून बनाकर धार्मिक स्थलों की 8वीं शताब्दी की यथास्थिति बहाल की जा सकती है और इससे अयोध्या काशी मथुरा सहित अन्य सभी विवादित धार्मिक स्थलों का भी स्थाई समाधान हो जायेगा I इसलिए आपसे निवेदन है कि 1991 के इस विशेष कानून को समाप्त करने और एक नया कानून बनाने के लिए आवश्यक कार्यवाही करें I

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2. बाबा साहब अंबेडकर और अधिकांश संविधान निर्माता सबके लिए एक समान नागरिक संहिता चाहते थे, इसीलिए विस्तृत विचार-विमर्श के बाद संविधान में आर्टिकल 44 जोड़ा गया लेकिन आज भी हिंदू के लिए हिंदू मैरिज एक्ट, मुसलमान के लिए मुस्लिम मैरिज एक्ट तथा इसाई के लिए क्रिस्चियन मैरिज एक्ट लागू है I देश के एकता-अखंडता को मजबूत करने तथा सभी महिलाओं को सम्मान और न्याय दिलाने के लिए बाबा साहब का समान नागरिक संहिता का सपना साकार करना बहुत जरुरी है I

3. श्यामा प्रसाद जी का सपना था- “एक देश,एक विधान और एक संविधान” लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी “एक देश, दो विधान और दो संविधान” जारी है I संविधान में गलत तरीके से जोड़ दिए गए आर्टिकल 35A और अंशकालिक समय के लिए संविधान में जोड़े गए आर्टिकल 370 को आजतक समाप्त नहीं किया गया तथा कश्मीर में अलग संविधान भी लागू है I देश की एकता-अखंडता तथा आपसी भाईचारा को मजबूत करने के लिए श्यामा प्रसाद जी का “एक देश,एक विधान और एक संविधान” का सपना साकार करना बहुत जरुरी हैI

4. लोहिया जी कहते थे कि जबतक मंत्री और संतरी, क्लर्क और कलेक्टर, सिपाही और कप्तान तथा पार्षद और सांसद के बच्चे एक साथ नहीं पढ़ेंगे तबतक समता, समानता और समान अवसर की बात करना एक पाखंड है I संविधान का आर्टिकल 16 भी सबके लिए समान अवसर की बात करता है और समान पाठ्यक्रम लागू किये बिना सभी बच्चों को समान अवसर उपलब्ध कराना नामुंकिन है I पठन-पाठन का माध्यम भले ही अलग हो लेकिन पाठ्यक्रम तो पूरे देश में एक समान होना चाहिए लेकिन “एक देश-एक कर” की भांति “एक देश-एक शिक्षा बोर्ड” लागू करने के लिए आजतक गंभीर प्रयास नहीं किया गया I गरीब बच्चों को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए देश के प्रत्येक विकास खंड में एक केंद्रीय विद्यालय या नवोदय स्कूल खोलना भी बहुत जरुरी हैI

5. सरदार पटेल का सपना था “एक देश, एक नाम, एक निशान और एक राष्ट्रगान” लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी दो नाम (भारत और इंडिया), दो निशान (तिरंगा और कश्मीर का झंडा) और दो राष्ट्रगान (जन-गन-मन और वंदेमातरम) जारी हैI संविधान या कानून में राष्ट्रगीत का कोई जिक्र नहीं है और संविधान सभा के 24.1.1950 के प्रस्ताव के अनुसार “वंदेमातरम” भी हमारा राष्ट्रगान है I देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए सरदार पटेल का का सपना साकार करना तथा “वंदेमातरम” को “जन-गन-मन” के बराबर सम्मान देना बहुत जरुरी हैI

6. दीनदयाल जी धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक वर्गीकरण के खिलाफ थेI भारतीय संविधान या किसी भी भारतीय कानून में अल्पसंख्यक की परिभाषा नहीं है फिर भी लक्षदीप के96% मुसलमान अल्पसंख्यक और 2% हिंदू बहुसंख्यक कहलाते हैंI भारत को छोड़ दुनिया के किसी भी सेक्युलर देश में धर्म के आधार परअल्पसंख्यक – बहुसंख्यक वर्गीकरण नहीं किया जाता है और दुनिया के सभी देशों में 5% से कम जनसँख्या वाले समुदाय को ही अल्पसंख्यक माना जाता हैंI धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक – बहुसंख्यक का विभाजन समाप्त करने के लिए संविधान के आर्टिकल 25-30 में संशोधन करना बहुत जरुरी है और इसके लिए सत्यपाल सिंह जी ने 2016 में प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किया था लेकिन इस बिल पर आजतक बहस नहीं हुयीI

7. गांधीजी का सपना था शराब-मुक्त और नशा-मुक्त भारत I संविधान का आर्टिकल 47 भी यही कहता है अर्थात संविधान निर्माता भी शराब-मुक्त और नशा-मुक्त भारत चाहते थेI शराब और नशे के कारण अपराध और रोड एक्सीडेंट बढ़ रहा है, बीमारी और बेरोजगारी बढ़ रही है, लाखों परिवार बर्बाद हो चुके हैं तथा महिलाओं और बच्चों की जिंदगी नर्क बन गयी है, इसलिए भारत को शराब-मुक्त और नशा-मुक्त देश घोषित करना बहुत जरुरी हैI

8. बहुमत के अभाव में जस्टिस वेंकटचलैया आयोग के सुझावों को अटल जी लागू नहीं कर पाये और कांग्रेस ने मनरेगा जैसे चुनिंदा लोकलुभावन सुझावों को ही लागू कियाI दो साल तक विस्तृत विचार-विमर्श के बाद आयोग ने 248 सुझाव दिया था लेकिन इन पर संसद में चर्चा ही नहीं हुयीI आयोग के 24वें सुझाव के अनुसार जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना बहुत जरुरी हैI

9. संविधान के आर्टिकल 312 के अनुसार जजों के चयन के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)की तर्ज पर भारतीय न्यायिक सेवा (IJS) शुरू करना चाहिएI सुप्रीम कोर्ट ने स्पस्ट कहा है कि विशिष्ट सेवाओं में आरक्षण नहीं होना चाहिए और केवल योग्यता के आधार पर ही चयन होना चाहिएI जज भी विशिष्ट सेवा में ही आते हैं और यदि जज अयोग्य होगा तो लोगों के साथ न्याय नहीं कर पायेगाI वर्तमान समय में निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति के लिए राज्य स्तर पर परीक्षा का आयोजन होता है जिससे प्रत्येक राज्य में जजों की क्षमता और गुणवत्ता अलग-अलगहोती है और न्यायिक फैसले में अत्यधिक अंतर होता है इसलिए IJS शुरू करना बहुत जरुरी है।

10. आर्टिकल 343 के अनुसार हिंदी हमारी राजभाषा है अर्थात लोकसेवकों को हिंदी का ज्ञान होना जरुरी है इसलिए नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाओं में हिंदी का एक प्रश्नपत्र अनिवार्य होना चाहिएI 90% भारतीय हिंदी समझते हैं इसलिए हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करना चाहिए।

11. संविधान के आर्टिकल 348 के अनुसार जबतक संसद एक कानून नहीं बनायेगी तबतक सुप्रीम कोर्ट का सभी कार्य अंग्रेजी में होगा I लगभग 90% भारतीय अपने दैनिक जीवन में हिंदी का उपयोग करते हैं और देश को आजाद हुए 70 साल बीत गया है लेकिन एक कानून बनाकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हिंदी का प्रयोग अनिवार्य नहीं किया गया।

12. संविधान के आर्टिकल 351 के अनुसार हिंदी-संस्कृत का प्रचार-प्रसार करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है इसलिए शिक्षा अधिकार कानून में संशोधन कर 6-14 साल के सभी बच्चों के लिए हिंदी-संस्कृत विषय का पठन-पाठन अनिवार्य करना चाहिएI देश की एकता-अखंडता को मजबूत करने तथा भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए हिंदी-संस्कृत भाषा का पठन-पाठन सभी बच्चों के लिए बहुत जरुरी है लेकिन शिक्षा अधिकार कानून में आजतक संशोधन नहीं किया गया।

13. अंग्रेजों द्वारा 1860 में बनाई गयी भारतीय दंड संहिता, 1872 में बनाया गया एविडेंस एक्ट और कई अन्य कानून आज भी लागू हैं इसीलिए लोगों को बहुत देर से न्याय मिल रहा हैI 25 साल से अधिक पुराने सभी कानूनों की समीक्षा तथा अपराधियों का नार्को, पॉलीग्राफ और ब्रेनमैपिंग टेस्ट अनिवार्य करने के लिए एक कानून की अत्यधिक जरुरत है।

14. घुसपैठ हमारे देश की एक प्रमुख समस्या हैI भारत में रहने वाले चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या घुसपैठिये बहुत तेजी से जनसँख्या विस्फोट कर रहे हैं इसलिए पूरे देश में इनकी पहचान करना तथा स्वदेश भेजने तक इन्हें जेल में रखना बहुत जरुरी हैI घुसपैठियों और उनके मददगारों की 100% संपत्ति जब्त करने तथा उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए तत्काल एक कठोर और प्रभावी कानून की जरुरत है ।

15. अलगाववाद और कट्टरवाद की फंडिंग हवाला के जरिये कैश में होती हैं इसलिए इसे जड़ से समाप्त करने के लिए 100 रुपये से बड़े नोट तत्काल बंद करना चाहिए और 10 हजार रुपये से महँगी वस्तुओं के कैश लेन-देन पर प्रतिबंध लगाना चाहिएI अलगाववादियों, चरमपंथियों और उनके मददगारों की 100% संपत्ति जब्त करने तथा उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए एक कठोर और प्रभावी कानून की तत्काल आवश्यकता है।

16. घूसखोरी, कमीशनखोरी, जमाखोरी, मिलावटखोरी और कालाबाजारी को समाप्त करने के लिए एक लाख रूपये से महंगी वस्तुओं और संपत्तियों को आधार से लिंक करना चाहिए तथा बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति के मालिकों की 100% संपत्ति जब्त करने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए तत्काल एक कठोर और प्रभावी कानून बनाना चाहिए।

17. अंधविश्वास, कालाजादू और चमत्कार के सहारे सनातन धर्म को अलग-2 पंथों में तोड़ा जा रहा है और धर्म-परिवर्तन भी किया जा रहा हैI धर्मांतरणद्वारा विदेशी शक्तियां हिंदुओं को अल्पसंख्यक बना रही हैंI लक्षदीप-मिजोरम में हिंदू 2%, नागालैंड में 8%, मेघालय में 11%, कश्मीर में 28%, अरुणाचल में 29% और मणिपुर में 30% बचे हैं इसलिए अंधविश्वास, कालाजादू और पाखंड फ़ैलाने वालों तथा धर्मांतरण कराने वालों की 100% संपत्ति जब्त करने और उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने के लिए एक कठोर केंद्रीय कानून की जरुरत है।

18. जबतक हवाला कारोबारियों, नशे के तस्करों तथा मानव तस्करों और इनके मददगारों की 100% संपत्ति जब्त कर आजीवन कारावास नहीं दिया जायेगा तबतक इन समस्याओं पर भी नियंत्रण असंभव है इसलिए इन कानूनों में तत्काल संशोधन की जरुरत है।

19. चुनाव सुधार के लिए वेंकटचलैया आयोग, विधि आयोग और चुनाव आयोग के सुझावों को लागू करना चाहिएI सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाना तथा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा का निर्धारण करना भी बहुत जरुरी है।

20. पुलिस सुधार पर सुप्रीम कोर्ट का 2006 का ऐतिहासिक फैसला आजतक लागू नहीं किया गया I जबतक अंग्रेजों द्वारा 1860 में बनाया गया पुलिस एक्ट समाप्त नहीं किया जाएगा और सोराबजी समिति द्वारा 2006 में बनाया गया मॉडल पुलिस एक्ट लागू नहीं किया जाएगा तबतक पुलिस प्रभावी और स्वतंत्र रूप से अपना कार्य नहीं कर पायेगी।

21. मौलिक कर्तव्य के प्रचार-प्रसार के लिए वेंकटचलैया आयोग और जस्टिस वर्मा समिति के सुझावों को आजतक लागू नहीं किया गया जबकि देश की एकता-अखंडता और आपसी भाईचारा मजबूत करने के लिए सभी नागरिकों को अपने मौलिक कर्तव्य का ज्ञान होना बहुत जरुरी है।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

जनसँख्या धर्मांतरण और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, चुनाव सुधार पुलिस सुधार और न्यायिक सुधार तथा भारतीय संविधान और वेंकटचलैया आयोग के सुझावों को शत-प्रतिशत लागू किये बिना रामराज्य अर्थात स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, साक्षर भारत, सबल भारत, समृद्ध भारत, सुरक्षित भारत, समावेशी भारत, स्वावलंबी भारत, स्वाभिमानी भारत, संवेदनशील भारत तथा अलगाववाद और अपराध-मुक्त भारत का सपना साकार नहीं हो सकता है।

महात्मा गांधी, सरदार पटेल, बाबासाहब, लोहिया जी, श्यामाप्रसाद जी, दीनदयाल जी और अटल जी का जन्मदिन तो प्रतिवर्ष बड़े धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन उनके सपनों को साकार करने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किया गया जबकि इन महापुरुषों के सपनों को साकार किये बिना भारत माता की जय नहीं हो सकती है।

विकास जरूरी है और आपके नेतृत्व में खूब किया गया लेकिन राष्ट्रवाद भी बहुत जरूरी है, इसलिए आपसे निवेदन है कि राष्ट्रवाद से संबंधित उपरोक्त 21 विषयों पर कार्यवाही करने के लिए संबंधित मंत्रालयों को आवश्यक निर्देश दें ।

धन्यवाद और आभार

अश्विनी उपाध्याय

URL : Request for urgent action on nationalism related issues from PM Modi !

Keyword : a letter to PM Modi, nationalism, population controll act, nationalist, Election-2019, प्रधानमंत्री, राष्ट्रवादी मुद्दे।

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TAGGED: A letter to PM, Election 2019, Nationalism, nationalist, population control act
Awadhesh Mishra January 3, 2019
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