जिस प्रकार आतंक अब विश्वव्यापी समस्या बन गई है उसी प्रकार आतंक और आतंकियों का समर्थन करने वाले रॉयटय जैसे मीडिया हाउस और पत्रकार पूरी दुनिया में फैले हुए है। यह वही रॉयटर है जिसने भारत को महिलाओं के मुद्दे के नाम पर बदनाम करने का अभियान चलाया था। इसमें एक खास बात यह है कि फेक स्टोरी के माध्यम से भारत को बदनाम करने के रॉयटर के इस फेक अभियान को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी साथ दिया था। उन्होंने रायटर के इस फेक स्टोरी को मोदी सरकार के खिलाफ काफी हवा दी थी। अब उसी रायटर के दो पत्रकारों को म्यांमार के खिलाफ रोहिंग्या आंतकियों की पैरोकारी करने के आरोप सही साबित होने पर सात साल के लिए जेल भेज दिया गया है। म्यांमार कोर्ट ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स के दोनों पत्रकारों को शासकीय गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन करने का दोषी पाया है। इसलिए दोनों पत्रकारों को जज ने सात साल की सजा देते हुए दोनों को जेल भेज दिया है।
मुख्य बिंदु
* कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश को महिलाओं के नाम पर बदनाम करने वाले रॉयटर की स्टोरी को दी थी हवा
* रोहिंग्या आतंकियों की पैरोकारी में म्यांमार को नुकसान पहुंचाने वाले दो पत्रकारों को मिली सात साल कैद की सजा
हमारे देश में पत्रकारों का एक ऐसा तबका है जिसे हर मसले में देश को बदनाम करने या रॉयटर जैसी न्यूज एजेंसियों द्वारा बदनाम करने के अभियान में सहयोग करने में ज्यादा मजा आता है। कुछ दिन पहले ही एक फेक रिपोर्ट के आधार पर देश को महिलाओं की स्थिति को लेकर बदनाम करने का अभियान चलाया गया था। इस अभियान में रॉयटर ने बगैर तथ्यों वाली खूब स्टोरी चलाई थी। रॉयटर की इस फेक स्टोरी को देश के लिबरल ब्रिगेड पत्रकारों के साथ राहुल गांधी ने भी खूब हवा दी थी। लेकिन आज उसी रॉयटर न्यूज एजेसी के आतंक परस्त पत्रकारों की कलई खुल गई है। म्यांमार में रॉयटर के दो पत्रकारों को देश गोपनीयता भंग कर वहां के रोहिंग्या आतंकियों की पैरवी करने के मामले में सात साल की कैद की सजा सुनाई गई है। इसके तहत दोनों आतंकी परस्त पत्रकारों को जेल भी भेज दिया गया है।
मजहबी चरमपंथ तथा इस्लामिक आतंक के खिलाफ अभी तक सबसे अधिक आक्रामक कार्यवाही करने वाले देशों का नाम लिया जाता था तो उसमें इजराइल तथा रूस का नाम ही आता था, लेकिन अब इस कड़ी में म्यांमार का भी नाम जुड़ गया है। म्यांमार सरकार ने आतंक परस्त रॉयटर के दो पत्रकारों को शासकीय गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन के दोषी होने के कारण जेल में डाल दिया है। इस कार्यवाही से म्यांमार सरकार सेक्युलर मीडिया के साथ सेक्युलर ब्रिगेड की आंखों का कांटा बन गयी है।
गौरतलब है कि रॉयटर्स पत्रकार वा लोन (32) और क्याव सोए ओ (28) रखाइन प्रांत में रोहिंग्या नरसंहार की रिपोर्टिंग कर रहे थे। वहीं दिसंबर 2016 में आतंक परस्त होने तथा म्यांमार का शासकीय गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन करने के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इसी मामले की सुनवाई के दौरान यंगून कोर्ट के जज ये ल्यून ने अपने फैसले में कहा कि दोनों पत्रकारों ने देश के उद्देश्यों को नुकसान पहुंचाने का काम किया है। इसलिए सीक्रेट एक्ट के उल्लंघन का दोषी ठहराया जाता है तथा दोनों को सात-सात साल जेल की सजा सुना दी। ये दोनों पत्रकार दिसंबर 2017 से ही जेल में हैं।
URL: Reuters journalist who defamed India reached Myanmar jail
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