पृथ्वी के भविष्य से दो प्रकार के मशीनी मानव वर्तमान में भेजे जाते हैं। भविष्य में मानवता को बचाने वाला नायक अभी नन्हा बच्चा है और उसे पहले ही मार दिया जाना है ताकि भविष्य में पृथ्वी पर मशीनों का साम्राज्य कायम रह सके। अस्सी के दशक से ये कहानी कई पीढ़ियों को लुभाती रही है। शुक्रवार को टर्मिनेटर फ्रेन्चाइजी की ‘टर्मिनेटर : डार्क फेट‘ रिलीज हुई है। टिम मिलर द्वारा निर्देशित इस फिल्म को विश्वभर में मिक्स रिस्पॉन्स मिल रहा है। भारत में इसे धीमी ओपनिंग मिली है लेकिन माउथ पब्लिसिटी के बल पर इसके और अच्छा करने की उम्मीद दिखाई दे रही है।
‘टर्मिनेटर जेनेसिस‘ में हमने देखा था कि मानवता स्काईनेट से छुटकारा पा चुकी है। जॉन कोनोर ने स्काईनेट को ख़त्म कर पृथ्वी का भविष्य बदल दिया है। डार्क फेट में कहानी कुछ अलग है। मानवता के सामने स्काईनेट से भी अधिक खतरनाक दुश्मनआ चुका है। जॉन कोनोर को बचपन में ही मार दिया गया है। भविष्य की ताकतें रेव-9 नाम के टर्मिनेटर को पृथ्वी पर भेजती हैं।उनका निशाना डेनिलिया है।
डेनेलिया का बेटा भविष्य में रोबोट की इस उन्नत प्रजाति से मानवता की रक्षा करेगा इसलिए टर्मिनेटर उसे वर्तमान में ही मार देना चाहते हैं। 200 किलो वजनी टी-800 टर्मिनेटर पृथ्वी पर कहीं जंगलों में छुपा हुआ है। रेव-9 अब तक के टर्मिनेटर्स में अत्याधुनिक है। ये इतना शक्तिशाली है कि उससे बचकर भागा ही जा सकता है, उससे मुकाबला नहीं किया जा सकता।
पिछली दो ठंडी फिल्मों के बाद टर्मिनेटर के निर्माताओं ने ‘डार्क फेट’ में स्पार्क दिखाया है। इस फिल्म के बाद लगता है कि अस्सी के दशक से चली आ रही ये लोकप्रिय सीरीज नई प्राणवायु पा सकती है। कहानी को रिबूट किया गया है और अब तक अर्नाल्ड श्वाजनेगर के लिए गुंजाइश बनाकर रखी गई है। अर्नाल्ड इस सीरीज की ऑक्सीजन है। इस फिल्म में वे नई ऊर्जा और जोश के साथ नज़र आए हैं।
सराह कोनोर के रूप में लिंडा हेमिलटन पुनः दिखाई देती है। लिंडा अस्सी के दशक में सीरीज की पहली फिल्म में मुख्य भूमिका में दिखाई दी थी। मेकेंजी डेविस और नतालिया रेयेस को साथ लेकर नई कहानी शुरू हुई है। दोनों ही अभिनेत्रियों ने चरित्र के अनुरूप काम किया है।
टर्मिनेटर ने समय के साथ अपना रूप बदल लिया है लेकिन अब भी इसके निर्माता बूढ़े शेर अर्नाल्ड के भरोसे पर है। सोचना होगा कि अर्नाल्ड के न रहने पर सीरीज आकर्षण कैसे बरक़रार रख सकेगी। जिस तरह से कहानी को रिबूट किया गया है, उससे आगे कई भाग बनने की संभावनाएं दिखाई देती हैं।
लेकिन अब अर्नाल्ड का विकल्प खोजना ही होगा। निःसंदेह अर्नाल्ड अब भी चुस्त हैं और आगे की कुछ फिल्मों में दिखाई दे सकते हैं। इस फिल्म का सबसे बड़ी कमी यही है कि टर्मिनेटर सीरीज को अब तक अपना नया टिकाऊ टर्मिनेटर नहीं मिल सका है।
रेव-9 को देखकर जजमेंट डे के टी-1000 की याद आना स्वाभाविक है। टी-1000 आग-पानी में सर्वाइव कर जाता था। उसे नाइट्रोजन भी नष्ट नहीं कर सकती थी। डार्क फेट का रेव-9 भी इसी तरह डिजाइन किया गया है। उसके शरीर में एक रोबो भी है जो जरूरत के समय उससे अलग होकर उसकी सहायता करता है। रेव-9 के सारे ही सीक्वेंस कमाल के हैं। गेब्रियल लूना ने रेव-9 का किरदार निभाया है। अभिनय में केवल अर्नाल्ड और लिंडा ही उनके सामने टिक पाए हैं। इस पूरी फिल्म में एकमात्र गेब्रिएल ही हैं, जिनके कारण फिल्म में रूचि बनी रहती है।
फिल्म के वीएफएक्स अद्भुत है। विशेष रूप से गेब्रिएल के एक्शन सीक्वेंस दर्शनीय लगते हैं। अर्नाल्ड में अब भी वही पुराना जज्बा दिखाई देता है। स्टंट करने में आज भी उनका कोई तोड़ नहीं है। इस बार एक मनोरंजन और रोमांचक पेशकश के लिए टर्मिनेटर निर्माताओं की प्रशंसा की जानी चाहिए लेकिन विश्वभर में इसे वह ओपनिंग नहीं मिली, जिसकी ये हकदार थी। भारत में भी इसे अच्छी ओपनिंग नहीं मिली है। हालांकि देखा गया है कि टर्मिनेटर सीरीज यहाँ हमेशा ही अच्छा प्रदर्शन करती रही है।
इस सप्ताहांत एक कसी हुई साइंस फिक्शन देखनी हो तो डार्क फेट का टिकट कटाने में कोई परेशानी नहीं है। एक अच्छी कहानी, स्मूद निर्देशन और अच्छे कलाकारों से सजी ये फिल्म टिकट के पुरे पैसे वसूल कराती है। बूढ़े शेर अर्नाल्ड और युवा टर्मिनेटर गेब्रिएल की भिड़ंत वाकई देखने लायक है।