दंगा मामले में आरोपी औऱ मंडोली जेल में बंद कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां ने आरोप लगाया है कि जेल में उनके साथ मारपीट की जाती है औऱ यहां तक कि उनके कपड़े फाड़ दिए गए। इस पर कोर्ट ने उसे दूसरे बैरक में शिफ्ट करने का आदेश दिया।
पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत दिल्ली दंगा मामले में आरोपी हैं। उस पर इसी साल फरवरी माह में हुए दंगे को भड़काने से लेकर दंगे की साजिश रचने का आरोप है ।उसका कहना है कि मंडोली जेल में उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां ने कोर्ट को बताया कि आतंकी कहकर उनकी पिटाई की गई।
ज्ञात हो कि दूसरी बार इशरत जहां ने कोर्ट को जेल में यातना देने की बात बताई है। उन्होंने कहा कि पिछले चार महीने से जेल में उनपर अत्याचार किए जा रहे हैं। एक बार हाथ काट दिया गया और उनसे पैसे मांगे जाते हैं। उन्होंने तिहाड़ जेल में शिफ्ट किए जाने का आवेदन भी दिया था लेकिन कोरोना महामारी की वजह से उनकी अर्जी ठुकरा दी गई।
पूर्व पार्षद ने कोर्ट को बताया, ‘एक महीने में दूसरी बार जब सुबह 6:30 बजे साथी कैदियों ने मुझे भद्दी गालियां दीं और बुरी तरह पीटा।दिल्ली में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने इशरत जहां को गैरकानूनी गतिविधि कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया था। जज अमिताभ रावत ने इशरत जहां की अर्जी पर सुनवाई की। उन्होंने जेल प्रशासन को इशरत की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने जेल प्रशासन से कहा है कि उचित कदम उठाने के बाद कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए। इस पूरे प्रकरण को लेकर जस्टिस रावत ने मंडोली जेल के असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट को मामले की जांच करके कार्रवाई करने का अदेश दिया है। जज ने कहा, मैं अब और नहीं सुनना चाहता कि किसी की भी कैदी पिटाई करें।
जहां की तरफ से कोर्ट में पेश वकील प्रदीप तेवतिया ने कहा, एक कैदी पहले भी इशरत की पिटाई कर चुकी है। डेप्युटी सुपरिंटेंडेंट के पास इसकी शिकायत की गई थी। दो महिलाएं उनकी शेल में हैं जो कि पिटाई करती हैं। वह सुबह की नमाज पढ़ रही थीं तो उन महिलाओं ने आपत्ति जताई और पिटाई शुरू कर दी।
पूर्व पार्षद इशरत जहां ने यह भी बताया कि उन्हें चिकित्सकीय सहायता की जरूरत थी लेकिन उन्हें अस्पताल नहीं ले जाया गया और न किसी तरह का इलाज करवाया गया।
वकील का कहना है कि दंगे के ज्यादातर आरोपियों के साथ जेल में दुर्व्यवहार किया जा रहा है। कई बार साथी कैदी ऐसा करते हैं तो कई बार जेल प्रशासन उन्हें तंग और परेशान करता है। वे आरोपियों को सीधा आतंकवादी घोषित कर देते हैं। इसलिए इसकी कोर्ट द्वारा प्रॉपर मॉनिटरिंग करने की जरूरत है।
इसपर जस्टिस रावत ने कहा कि आरोपी केवल आरोपी है, वह दोषी नहीं है। जामिया के छात्र आसिफ इकबाल पर भी साजिश का मामला चल रहा है। उनका भी आरोप है कि जेल में अकसर उन्हें आतंकवादी कहकर संबोधित किया जाता है।
इस पर घटना का संज्ञान लेते हुए जेल प्रशासन ने इशरत जहां को दूसरी बैरक में शिफ्ट कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। इस बारे में जेल के डीजी संदीप गोयल का कहना है कि इशरत जहां और दूसरी महिला कैदियों में किसी बात को लेकर हल्का झगड़ा हुआ था। जिसे तूल देते हुए उसे हमले का नाम दिया जा रहा।
उनके अनुसार इस घटना के बाद विवाद को खत्म करने के लिए इशरत जहां और उन महिला कैदियों को अलग- अलग बैरकों में शिफ्ट कर दिया गया है। वहीं मामले में सह-अभियुक्त और आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रिजवान ने कहा कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामलों के ज्यादातर आरोपियों को जेल में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।
इतना ही नहीं ट्रायल से पहले ही उन्हें आतंकवादी घोषित किया गया है । इस मामले के एक अन्य आरोपी जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा ने कहा कि उनके परिवार के सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उनसे मिलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनके अनुरोध को मंजूरी नहीं मिली है।
तन्हा ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें जेल में बार-बार आतंकवादी कहा जाता रहा है ।अदालत ने इस पर कहा, एक आरोपी आरोपी होता है, दोषी नहीं। अदालत ने मामले की सुनवाई 5 जनवरी तय की है।
It’s only publicity stunt in order to play the victim hood card which the Islamic terrorists love.