जब कोई पत्रकार राजनीति की राह पकड़ता है तो वह पत्रकारिता की ओर मुड़ता नहीं, लेकिन आशुतोष अपनी नई मंशा के साथ पत्रकारिता की ओर रुख क्या किया है अपनी नई राजनीतिक मंजिल की तलाश में जुट गए हैं। तभी तो आते ही राहुल गांधी की डुगडुगी बजानी शुरू कर दी है। उन्होंने हाल ही में शुरू की अपनी वेबसाइट ‘सत्य हिंदी’ में ‘क्या झुकने के लिये कहा गया तो रेंगने लगा है मीडिया?’ शीर्षक से जो आलेख लिखा है उससे तो साफ है कि वे राहुल गांधी की ओर से बैटिंग करने में जुट गए हैं। नहीं तो जिस एडिटर्स गिल्ड की आलोचना इसलिए की जाती है कि उसने एएनआई की मुख्य संपादक स्मिता प्रकाश के खिलाफ राहुल गांधी की अमर्यादित टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया दी ही नहीं, उसने तो इसके बहाने राहुल की आलोचना करने वालों को आईना दिखाया है और राहुल गांधी को बचाया है। लेकिन आशुतोष हैं कि इस बहाने पूरे मीडिया को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। लेकिन रोहित सरदाना ने उन्हे आईना दिखा दिया है।
मीडिया रेंगने नहीं लगा है @ashutosh83b जी. पत्रकारों में भी बरसो से चले आ रहे ‘एकतरफ़ा नैरेटिव’ और ‘मठाधीशी’ को चुनौती देने वाली पीढ़ी खड़ी हो गई है. इसलिए कुछ लोगों को बुरा लगने लगा है. https://t.co/FAKKFUN6GC
— रोहित सरदाना (@sardanarohit) January 7, 2019
आम आदमी पार्टी से निकले आशुतोष के इस आलेख पर रोहित सरदाना ने उन्हें मीडिया की हकीकत बयां किया है। उन्होंने आशुतोष के नाम से ट्वीट करते हुए उन्हें बताया है कि मीडिया रेंगने नहीं लगा है बल्कि मीडिया में आई नई पीढ़ी पूरानी मठाधिशी को धत्ता बताना शुरू कर दिया है। एकतरफा नैरेटिव सेट करने वाले ‘घाघों’ को चुनौती देने के लिए नई पीढ़ी नए विचारों के साथ खड़ी हो गई है। इसलिए आशुतोष जैसों को बुरा लगने लगा है।
आप पास्ता बना लेती हैं?
आपको भारतीय खाने में क्या पसंद है ?
आपके अपनी सास से कैसे सम्बंध थे? रसोई में क्या पकता था?
आपका पालतू कुत्ता पिद्दी कैसा है? कभी मिलवाइए।
समोसा कैसा लगा ? https://t.co/HxzA8rC2dv
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) January 7, 2019
रोहित सरदाना ही क्यों सुधीर चौधरी ने भी आशुतोष को एक बड़े पत्रकार की प्रश्नावली याद दिलाते हुए आईना दिखाया है। जिस वरिष्ठ पत्रकार स्मिता प्रकाश के खिलाफ टिप्पणी करने वाले राहुल गांधी के बचाव में आशुतोष उतरे हैं, सुधीर चौधरी ने उसी राहुल गांधी की मां से पूछे गए सवालों के बारे में बताया है। आशुतोष को बताना चाहिए कि क्या किसी बड़े पत्रकार ‘गांधी फैमिली की रानी’ से इसी प्रकार के प्रश्न पूछने चाहिए? ऐसे में क्या राहुल गांधी स्मिता प्रकाश पर सवाल खड़े करने के योग्य भी हैं?
बहस जारी रहेगी! छुट्टी पर हूँ, लौट कर अगला भाग. वैसे सर्दी किसी को अच्छी लगती है, किसी की जान पे बन आती है. नैरेटिव की कहानी भी ऐसी ही है. किसी को लगता है अब बैलेन्स हुआ, किसी की दुकानदारी ठप्प हो रही उसी बैलेन्स के चक्कर में! https://t.co/xRK2c37LAp
— रोहित सरदाना (@sardanarohit) January 7, 2019
सरदाना ने आशुतोष के नैरेटिव स्थापित करने के मामले का जवाब देते हुए लिखा है कि जहां तक नैरेटिव स्थापित करने की बात है तो यह मामला बहुत पुराना है जो सालों से स्थापित रहा है। अभी तो स्थापित नैरेटिव को नए नैरेटिव से चुनौती मिली है। कई लोगों का तो मानना है कि अब तो इसमें संतुलन आया है। हां यह बात दिगर है कि संतुलन बैठाने की स्थिति में कइयों की दुकानदारी बंद हो गई है।
आशुतोष ने अपने आलेख में जो एक बात लिखी है वह यह कि राहुल गांधी जितना मीडिया ट्रायल किसी और का नहीं हो रहा है। मीडिया एक प्रकार से राहुल गांधी पर ज्यादती कर रहा है। लग रहा है कि आप में इतने दिनों तक रहने के बाद आशुतोष को भी झूठ बोलने तथा अपना ही पक्ष देखने की आदत हो गई है। तभी तो उन्हें देश में मोदी और शाह का मीडिया ट्रायल दिखा ही नहीं। असल में वे उसे देखना नहीं चाहते थे।
निश्चित खड़े किया जाता है! मोदी/शाह से ज़्यादा मीडिया ट्रायल राहुल गांधी का हुआ हो तो बताइए? बाक़ी रही बात स्मिता प्रकाश जी के इंटरव्यू की, तो बग़ल में हंटर रख के तो सवाल किए नहीं जा सकते! सवाल पूछने वाले ने सवाल पूछे, जवाब देने वाले की मर्ज़ी वो जैसे जवाब दे! https://t.co/nP4uuv8Poa
— रोहित सरदाना (@sardanarohit) January 7, 2019
तभी तो सरदाना ने अपने ट्वीट के माध्यम से आशुतोष को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर देश में मोदी और शाह से ज्यादा ट्रायल राहुल गांधी का हुआ हो तो बताइये। सरदाना ने आशुतोष को पत्रकारिता की एक विधा साक्षात्कार के बारे में बताने की चेष्टा की है। क्या आशुतोष यह नहीं चानते कि आप अपने मेहमानों से सवाल पूछने के हकदार हैं, उनसे आप अपनी मर्जी के मुताबिक जवाब बुलवा नहीं सकते हैं। जहां तक स्मिता प्रकाश के मोदी के साथ लिए गए साक्षात्कार की बात है तो उन्होंने मोदी से अपनी मर्यादा में रहते हुए वे सारे सवाल किए जो किए जाने चाहिए थे। उनके प्रश्नों का जवाब देने की जवाबदेही मोदी की थी। मोदी के जवाब के लिए स्मिता कैसे जिम्मेदार मानी जा सकती है।
URL : Rohit Sardana showed the miror to Ashutosh on narrative of media!
Keyword : narrative of media, Editors Guild, Rohit Sardana, Ashutosh, सत्य हिंदी, राहुल गांधी