अंबा शंकर वाजपेयी। बीजेपी के केंद्र में सत्तासीन होते ही इस देश में को बांटने का जो काम क्रिस्चियन मिशनरीज ने अस्मिता की राजनीति (दलित राजनीति) मिनिओरिटी राजनीति का चोला पहनकर यही प्रकट किया गया कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से इस देश में दलितों, मुस्लिमों (अल्पसंख्यकों),रिलीजियस मिनिरोटी सुरक्षित नहीं है, उनके हित सुरक्षित नहीं है और यह ब्राह्मणवादी फासिस्ट सरकार आज भी उनका दमन और शोषण कर रही है।
ज्ञात हो की केंद्र में मोदी सरकार के आते ही सबसे IIT मद्रास वाला मामला प्रकाश में आया था जिसमे आंबेडकर-पेरियार स्टडी सर्किल पर प्रतिबन्ध लगाया गया, उसके बाद FTII वाला मामला चला लगभग एक साल लेकिन बात नहीं बनी। अपनी योजना को अंजाम गिरोह दिया हैदराबाद में रोहिथ वेमुला की हत्या के बाद जिसमे यही सिद्ध किया की मोदी सरकार की दमनकारी,शोषणकारी नीतियों के कारण एक दलित छात्र ने आत्महत्या कर लिया इसको एक राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया गया और evangelical एक्टिविटीज के पितामह प्रो.सुखदेव थोराट के नेतृत्व में एक रोहिथ एक्ट की मांग की गयी कि भारत के केंदीय विश्व-विद्यालयों में इस एक्ट लागू किया जाये जिसके माध्यम से दलितों, अल्पसंख्यकों का शोषण, दमन रोका जा सके। जब बात हैदराबाद में नहीं बनी और रोहिथ दलित नहीं निकला (जैसा की मीडिया और वामपंथी गिरोह सिद्ध कर चुके थे) तो वामपंथी गिरोह ने JNU में नजीब प्रकरण लेकर आ गए और नजीब को खुद ही गायब कर, ABVP पर दोषारोपण कर दिया की इन्होने उसको किडनैप कर लिया है। नजीब को ‘गिरोह’ रोहिथ वेमुला पार्ट-2 बनाने की भरपूर कोशिश की, कोर्ट-कचेहरी-पुलिस सब जगह मुंह की खाए और आजतक नजीब मिला ही नहीं।
यहाँ भी बात नहीं बनी तो अभी कुछ दिन पहले JNU को 15 दिनों तक बंधक बनाये रखा। JNU के प्रशासनिक भवन के चारो तरफ वामपंथी गिरोह-माओवादी स्टाइल में किसी भी प्रशानिक अधिकारी, स्टाफ को भवन के अन्दर नहीं जाने दिया क्योंकि JNU के कुलपति जी ने वामपंथी गिरोह के 9 सदस्यों को अकादमिक काउन्सिल में बाधा उत्पन्न करने में दोषी पाया और उन्हें सस्पेंड कर दिया था। बाद में वामपंथी गिरोह ने पुनः 9 फ़रवरी वाली घटना के बाद वाला एक मूवमेंट शुरू किया और JNU के वामपंथी गिरोह का नेतृत्व कर रहे थे अजय पटनायक और निवेदिता मेनन! बाद में मेनन को शो-कॉज नोटिस मिला। जब JNU के कुलपति महोदय टस से मस नहीं हुए तो गिरोह ने ‘JNU’ में स्ट्राइक कर दी और बलपूर्वक किस भी विद्यार्थी, अध्यापक, स्टाफ को स्कूल बिल्डिंग के अन्दर नहीं जाने दिया!
“जब मै स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की बिल्डिंग के अन्दर जाने के लिए गेट के पास गया तो गेट बंद था और गेट के नीचे बैखौप आज़ादी पाए वामपंथी गिरोह की पूतनाएं बोली की आप अन्दर नहीं जा सकते है मैंने कहा क्यों बोली की हम चूतियां हैं का जो यहाँ पर बैठे है। मैंने कहा की इसमें कोई शक है क्या”? उसके बाद वे मेरे ऊपर भड़क पड़ी की तुम ब्राह्मणवादी क्या जानो सामाजिक न्याय! बात और बढती की JNU की सिक्यूरिटी मुझे ले गयी की सर आप मत भिड़ो इनसे नहीं तो ये आप पर GSCASH कर देगी! उसी दिन प्रो.मकरंद परांजपे से गिरोह की बहुत बहस हुई। जब इन्होने प्रसाशनिक भवन को खाली नहीं किया तो इस मूवमेंट को लीड करने वाले गिरोह के 14 सदस्यों के खिलाफ ‘JNU’ के कुलपति ने खिलाफ FIR करवा दी।
मामला चल ही रहा था कि दिल्ली विश्वविद्धालय के रामजस में ‘गुरमेहर कौर’ वाला मामला आया। गिरोह ने जहाँ तक हो सके वहां तक यही कोशिश की कि कैसे भी मोदी सरकार को बदनाम किया जाए कि इस सरकार के रहते दलित, अल्पसंख्यक, महिला के हित सुरक्षित नहीं है? उनका आज भी शोषण, दमन होता है उनको बोलने तक की आज़ादी नहीं है। और जब आज ‘JNU’ का एक छात्र Rajini Krish (मुथू कृष्णन) ने आत्महत्या की तो वामपंथी गिरोह उस आत्महत्या या हत्या को Institutional Murder या रोहिथ वेमुला पार्ट-3 की पटकथा लिखने का दौर जोर-शोर से शुरू कर दिया गया है। बकौल उमर खालिद “dalit research scholar and Ambedkarite activist forced to end his life today”। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले 10 सालों में (UPA सरकार के दौरान) एवेंगिकल एक्टिविटीज को अकादमिक संस्थानों में प्रोफेसर सुखदेव थोराट और गैंग-कांचा इलैहा ने भारत के केन्द्रीय विश्वविद्धालय में infiltrate (घुसपैठ) करा गया दिया है । उन्होंने IIT तक को नहीं छोड़ा जहाँ पर आंबेडकर-पेरियार स्टडी सर्किल,अम्बेडकर-फुले स्टडी सर्किल के माध्यम से इस तरह की योजना की अंजाम दिया है और JNU में वामपंथी गिरोह के अलावा BAPSA (बिरसा आंबेडकर फुले स्टूडेंट एसोसिएशन) इस तरह की एक्टिविटीज को अंजाम देने में रात दिन लगे हुए हैं ताकि मानवाधिकार एजेंसीज, अन्तराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह बाते जा सके की आज भी भारत में दलितों का शोषण,दमन हो रहा है जैसा की 3000 या कभी कभी 5000 सालों से होता आ रहा है, इसलिए दलितों को या मूलनिवासियों को धार्मिक आज़ादी (Religious Freedom-धर्मान्तरण) या स्वनिर्णय का अधिकार (आज़ादी) दे दिया जाये।
मोदी सरकार के आने से पिछले 60 सालों से भी ज्यादा वामपंथी, बड़ी बिंदी गिरोह का अकादमिक, सांस्कृतिक संस्थानों में एकछत्र राज्य रहा है। आज भी है और उनकी सत्ता इन्ही संस्थानों के माध्यम से चलती है। इन्ही संस्थानों के माध्यम से गिरोह अपनी विचारधारा को भारत के मानस पटल पर अंकित करने का असफल प्रयास करता आ रहा है।
साभार: अंबा शंकर के फेसबुक वाल से