कांग्रेस के दरबारी इतिहासकारों में रोमिला थापर, हरफान हबीबी और रामचंद्र गुहा का नाम प्रमुखता से शामिल है। वैसे तो कई और दरबारी इतिहासकार हैं, लेकिन मोदी सरकार आने के बाद जितनी तेजी से इन तीनों ने अपना मानसिक संतुलन खोया है, उसके क्या कहने? रामचंद्र गुहा मानसिक संतुलन खोते हुए दक्षिण भारत को एक नया देश बनाने की बात करते हैं और रोमिला थापर इंदिरा गांधी द्वारा थोपे गए आपातकाल के समर्थन में उतर पड़ती हैं।
भीमा कोरेगांव हिंसा तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश के आरोप में पांच शहरी नक्सलियों की गिरफ्तारी क्या हुई, कांग्रेस की दरबारी रोमिला थापर आपातकाल के समर्थन में उतर आईं। वामियों कांगियों ने एक ट्रेंड बना रखा है कि झूठा नैरेटिव सेट करने के लिए किसी अच्छी चीज को इतनी बुरी चीज से तुलना कर दो कि वह अच्छा नही रह पाए।
मुख्य बिंदु
इतिहास में गलत नैरेटिव सेट करने वाली रोमिला थापर अब कांग्रेस की हक अदायगी करने उतरी
वैसे भी रोमिला थापड़ शुरू से इसी प्रकार के गलत नैरेटिव सेट कर कांग्रेस और सत्ता की कृपापात्र बनी रही हैं। पहले इतिहास के माध्यम से गलत नैरेटिव सेट करती रहीं और अब राजनीति के माध्यम से। तभी तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के लिए वर्तमान कार्यकाल को इंदिरागांधी के आपातकाल से करने का प्रयास किया है। एक लोकप्रिय लोकतांत्रिक सरकार को बदनाम करने के लिए रोमिला थापर ही इतना नीचे गिर सकती हैं। वर्तमान कार्यकाल को बदनाम करने के लिए वह आपातकाल तक का समर्थन कर सकती हैं।
मालूम हो कि गिरफ्तार माओवादी समर्थकों के समर्थन में उतरे लिबरल ब्रिगेड ने उन्हें छुड़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले पांच लोगों में से एक रोमिला थापर भी हैं। ये लोग देश और वर्तमान केंद्र सरकार के खिलाफ षड्यंत्र करने में जुटे हैं। इसका खुलासा उनके बयान से ही हो जाता है। थापर ने कहा है कि पिछले चार साल में देश में भय और डर का माहौल बढ़ा है। वह आगे कहती है कि अगर ऐसा ही और पांच साल रहा तो कैसे चलेगा? ध्यान रहे इनकी नजर नक्सली समर्थकों की गिरफ्तारी से ज्यादा आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मुद्दा सेट करना है। तभी तो मोदी के कार्यकाल की तुलना इंदिरा गांधी के आपातकाल से करने लगी है।
जिस प्रकार कांग्रेस के इशारे पर उन्होंने गलत इतिहास स्थापित किया था उसी प्रकार अब कांग्रेस की हक अदायगी के लिए वर्तमान राजनीतिक स्थिति बदलने का प्रयास कर रही हैं। अगर ऐसा नहीं तो रोमिला थापर को जानना चाहिए कि जितने नक्सली समर्थकों को गिरफ्तार किया गया है उनमें से तीन की तो जेल जाने की पृष्ठभूमि रही है। जहां तक सुधा भारद्वाज की बात थापर कर रही हैं तो उनपर पैसे उगाहने तथा नक्सलियों का ब्रेन वाश करने का आरोप है। इस मामले में रिपब्लिक टीवी ने खुलासा भी किया था।
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