आजादी से पूर्व 1946 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शिविर में पहुंच कर 500 स्वयंसेवकों को संबोधित कर चुके हैं। संघ विरोध पर अपनी पूरी राजनीति करने वाले प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी चीन से मात खाने के बाद आरएसएस के स्वयंसेवकों को गणतंत्र दिवस की परेड में आमंत्रित किया था। यही नहीं, 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी ने चुनाव जीतने के लिए आएसएस की मदद ली थी, इसके बावजूद वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बात-बात में आरएसएस को कोसते रहते हैं। अब कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी स्वयंसेवकों को संबोधित करने के लिए नागपुर RSS मुख्यालय जा रहे हैं! आखिर राहुल गांधी को सद्बुद्धि कब आएगी? बहरलाल प्रणव मुखर्जी द्वारा 7 जून को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में तृतीय वर्ग का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके स्वयंसेवकों को संबोधित करने की सूचना से ही कांग्रेस कांग्रेस पार्टी असहज है!
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आजीवन प्रचारक बनने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले तृतीय वर्ष के प्रशिक्षुओं को पूर्व राष्ट्रपति तथा कांग्रेस के पुराने दिग्गज नेता प्रणब मुखर्जी समापन भाषण देंगे। आरएसएस ने समापन भाषण देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब दा को आमंत्रित किया है। आरएसस शुरू से आजीवन प्रचारक के लिए तीन साल का कोर्स आयोजित करता आ रहा है। तृतीय वर्ष पूरा करने वाले प्रशिक्षुओं के लिए विदाई संबोधन करने वालों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक शामिल हैं। इस बार सात जून को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित किया गया है। आरएसएस संचालित इस कोर्स को पूरा करने के बाद हर प्रशिक्षु आरएसएस के ‘होल टाइमर’ (आजीवन प्रचारक) बन जाते हैं।
मुख्य बिंदु
* संघ शिक्षा वर्ग के तृतीय वर्ष के प्रशिक्षुओं की विदाई के मौके पर करेंगे संबोधन
* पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी तक कर चुके हैं संबोधन
पूरे देश से 45 साल से कम उम्र के करीब 800 स्वयंसेवक आरएसएस मुख्यालय नागपुर में आयोजित अंतिम साल के शिविर में भाग लेते हैं। हालांकि शुरू में इसका नाम अधिकारी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम था लेकिन अब इसका नाम संघ शिक्षा वर्ग हो गया है। वैसे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा आरएसएस के कार्यक्रम को संबोधित करने की घोषणा सही समय आने पर की जाएगी, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रणब दा को आमंत्रित कर दिया गया है।
वैसे भी आरएसएस मुख्यालय में आयोजित शिविर में प्रधानमंत्री से लेकर सरकार के मंत्री तक शिरकत करते रहे हैं। दो दिन पहले रक्षामंत्री निर्मला सीतारामण ने प्रशिक्षुओं की सुविधाओं का मुआयना करते हुए करीब 5 घंटे बिताए। इस दौरान उन्होंने जहां तृतीय वर्ष के प्रशिक्षुओं को संबोधित किया वहीं सह सर-कार्यवाह भैया जी जोशी के साथ बातचीत भी की।
ऐसे में इस बार तृतीय वर्ष के प्रशिक्षुओं को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब दा का संबोधन उसके वृहद अनुभव को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। 82 साल के मुखर्जी कांग्रेस से साल 1969 में तब से जुड़े हैं जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा में भेजने में मदद की थी। तभी से वे इंदिरा गांधी के विश्वस्त सिपहसालार में गिने जाते रहे हैं। तभी तो 1982-84 के दौरान उन्हें पहली बार ही केंद्रीय मंत्री के रूप में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी थी।
हालांकि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस से उनका मनमुटाव भी हुआ। तभी तो 1986 में उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस के रूप में अपनी अलग पार्टी भी बनाई, लेकिन 1989 में ही कांग्रेस में मिल गई। इसके बाद देश के 13वें राष्ट्रपति बनने से पहले साल 2012 तक वे कांग्रेस के ट्रबलशूटर रहे। बाद में साल 2012 से 2017 तक राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की है।
ऐसा नहीं कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ आरएसएस का संपर्क पहली बार हो रहा हो। इससे पहले भी कांग्रेस के कई दिग्गज नेता आरएसएस के संपर्क में रहे हैं। 1962 में चीन युद्ध के समय आरएसएस के स्वयंसेवकों की देश के प्रति निष्ठा, अनुशासन और लगन को देखते हुए प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 26 जनवरी 1963 को गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए उन्हें आमंत्रित किया था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने तो 1984 के आम चुनाव में आरएसएस की मदद ली थी!
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद साल 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को मिली ऐतिहासिक जीत में RSS का भी सहयोग था। उस चुनाव में राजीव गांधी ने आरएसएस से सहयोग मांगा था और आरएसएस ने सहयोग किया भी था। इस संदर्भ में तत्कालीन संघ प्रमुख और राजीव गांधी के बीच गुप्त बैठक का खुलासा भारतीय राजनीतिक के इतिहास में पहली बार राशिद किदवई की किताब ‘ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द पीपुल बिहाइंड द फॉल एंड द राइज ऑफ द कांग्रेस’ में हुआ है।
हैचेट इंडिया से प्रकाशित राशिद किदवई की किताब 24 Akbar Road: A Short History Of The People Behind The Fall And Rise Of
The Congress के मुताबीक इसका खुलासा पहली बार साल 2007 में कांग्रेस के ही नागपुर के तत्कालीन सांसद बनवारीलाल पुरोहित किया। उन्होंने स्वीकार किया कि राजीव गांधी और तत्कालीन सरसंघ चालक बालासाहेब देवरस की गुप्त बैठक उन्होंने ही कराई थी। राजीव गांधी ने ही देवरस जी से बातचीत होने के बारे में पूछा था। राजीव गांधी और देवरस की बैठक पर कांग्रेस में भी किसी ने आपत्ति नहीं की थी।
URL: RSS invite former president Pranab Mukherjee to be Chief Guest at oath event of pracharak
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