भारत सिंह । लोग वर्तमान में #RSS के सेकुलर व्यवहार से नाखुश हैं और कह रहे हैं कि RSS बदल गया है अब वो कट्टर हिन्दू संघ नहीं रहा है । परंतु सच तो यह है कि RSS हमेशा से ही सेकुलर था , उसे बनाने वाले कट्टर हिन्दू ,, राष्ट्रवादी भी थे । जिनका मानना था कि यदि भारत देश को बचाना है , उसकी अखंडता को बनाएं रखना तो उन्हें हिंदुवाद का त्याग करना होगा ।
उनका मानना था कि यदि सभी भारतीय सेकुलर नहीं बने तो भारत देश में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई झगड़ों के कारण गृहयुद्ध होगा जिससे भारत को भंयकर क्षति होगी । और जब तक भारत पूरी तरह खंड खंड नहीं हो जाता तब तक ये गृहयुद्ध नहीं रूकने वाला है। अपनी इसी डरी हुई मानसिकता के कारण RSS हिंदुओं को सेकुलर और धिम्मी ( डरपोक ) बनाने पर तुला हुआ है ।
आसान शब्दों में “RSS का मानना है कि कोई भी व्यक्ति देशभक्त और हिंदुवादी दोनों एक साथ नहीं हो सकता है ।”और RSS का सारा तथाकथित ज्ञान हिंदुओं के लिए ही है । अन्य के लिए नहीं है। इसके लिए #RSS ने शुरूआती समय में अनेकों त्याग किए है। यानि हिंदुओं को मरने दिया है।
उदाहरण – जब हैदराबाद के निजाम ने हिंदुओं पर अत्याचार किया तो #सावरकर ने #RSS से हिंदुओं को बचाने के लिए सहायता मांगी परंतु RSS ने कोई सहायता नहीं की और 100 लोगों को भेजकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर वापस आ गए इस पर सभी हिंदुवादी लोगों ने RSS की जमकर आलोचना की तो उन्होंने तत्कालीन अखबार में बयान दिया कि ” RSS एक राष्ट्रवादी संगठन है , RSS कोई हिंदुवादी संगठन नहीं है , RSS हिंदुओं की रक्षक सेना नहीं है।”
और अभी भी RSS ऐसे त्याग किए जा रहा है कश्मीर पंजाब बंगाल मेघालय तमिलनाडु छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश आदि में हिंदुओं के मरने पर वह मौन है और जो लोग हिंदुओं के लिए बोल रहे हैं उन्हें RSS चुप करवाने की कोशिश कर रहा है एवं RSS मुस्लिम और ईसाईयों की भागीदारी व उन्हें मिलने वाली सुविधाएं बढा़ रहा है। और हिंदुओं को देवी देवताओं को भूलने को कह रहा है ताकि हिंदू सेकुलर बने ।
RSS बिना युद्ध लड़ें शांति प्राप्त करना चाहता है जो कि इतिहास में तो कभी नहीं हुआ । तो अब क्या होगा ? RSS का मानना है कि धर्म युद्ध से विनाश होता है जबकि इन्हें ये नहीं पता कि धर्म युद्ध न करने से अधिक विनाश होता है।
RSS उस मूर्ख और मनहूस की तरह है जो किसी का भला भी करना चाहे तो भी उसका बुरा हो जाय। आपने वह कहावत सुनी होगी मूर्ख मित्र से अच्छा बुद्धिमान शत्रु है । वो RSS जैसे लोग/ संगठन को ही देखकर कहीं गई है ।
अच्छा हुआ RSS , रामायण महाभारत आदि के समय नहीं हुआ वरना उन्हें भी समझौता करने को कहता ।
✍️ भारत सिंह