हम सब को पल भर के लिये प्रद्युम्न का माँ बाप बन कर सोचना चाहिये….
पूण्यप्रशुन जैसे नामचीन पत्रकार मैदान में है इसके लिये उनकी तारीफ की जानी चाहिए। आज की तारीख में इस मामले से बड़ा कोई मामला हो नहीं सकता। मीडिया को इसे गंभीर मुद्दा बनाना चाहिये।अपने मासूमो के लिये किस पर भड़ोसा किया जाय? क्या जिस चालाकी और धूर्तता से बस कंडक्टर को अभियुक्त बनाया जा रहा है वो बात पचने लायक है?
आज देश में सबसे बड़ी समस्या हमारी शिक्षा व्यवस्था है। लूट और डकैती का सबसे बड़ा जरिया। हम अपने बच्चों को एक सा शिक्षा नहीं दे सकते लेकिन शिक्षा माफिया और शिक्षा के ठेकेदार नेता और सरकार की मिली भगत से सपनो की कीमत प्राइवेट स्कूल में लगाईं जाती है। सरकारी स्कूलों के बत्तर हालत इसके लिये जिम्मेबार है और यह सब पांच दशक से एक सरकारी साजिश का हिस्सा रहा है। अब ये खत्म होना चाहिये। लाशों से वामपंथ और दक्षिण पंथ के नाम पर खेलने के आदि बन चुके हम सब को उस मासूम की लाश पर तो द्रवित होना होगा। क्या सच में ड्राइवर ने स्कूल के अंदर बच्चे को मारा या स्कूल का पैसा पुलिस और ड्राइवर के मुंह से बोल रहा है?
कुछ भी हो हमारी सरकारे दशकों से प्रायवेट स्कूल के सामने समर्पण करती रही है और वो मनमर्जी से फी बढ़ा कर लूटते रहे। इतना आसान है इतने नामचीन स्कूल के अंदर ड्राइवर का बाथरूम में बच्चे की हत्या करना। मामला कुछ भी हो इसके लिये ड्राइवर से ज्यादा स्कूल प्रशाशन जिम्मेदार। अब उस मासूम के शहादत से देश के तक़दीर की सुरक्षा की गारंटी तय होने चाहिये। हम सब को एक मिनट के लिए प्रद्युम्न के माँ बाप बन कर सोचना चाहिये। यह माहौल सोशल मीडिया का सबसे अहम मुद्दा बनना चाहिये। उम्मीद है राम रहीम और हनी का सेक्स और डेरे का क्राइम को बेचने के बदले मीडिया मासूम के मौत और मासूमित की तक़दीर को गंभीरता से लेगा.