केरल में इस समय विजयन सरकार सबरीमाला मंदिर के प्रति आस्था रखने वाले हिंदुओं को क्रिश्चियन पुलिस अधिकारियों से पिटवा रही है, लेकिन वह इसका परिणाम नहीं जानती। केरल सरकार की शह पर ही शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे भगवान अयप्पा के उपासकों पर वहां की पुलिस बेरहमी से लाठी बरसा रही है। क्या बूढ़े और क्या बच्चे सभी पुलिस की लाठी से घायल हो रहे हैं। राज्य सरकार की इस क्रूरतापूर्ण रवैये को देखकर कई पूर्व कॉमरेड भी विचलित हो गए हैं। उन्होंने तो देश के प्रधानमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। पीएमओ से इस स्थिति को नियंत्रित करने को कहा गया है।
केरल सरकार शायद इस अत्याचार का परिणाम नहीं जानती। हिंदू पर अत्याचार करने वाली सरकार का अस्तित्व ही मिट जाती है। यकीन न हो तो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार का उदाहरण ले सकती है। अयोध्या मामले में भी मुलायमय सिंह यादव ने हिंदू कारसेवकों पर गोली चलवाई थी, जिसमें कई कारसेवक शहीद हो गए थे। परिणाम आज सबके सामने है। आज उसी मुलायम सिंह यादव का कोई नामलेवा नहीं है।
@cpimspeak Police oppression and brutal lathi charge against peacefully protesting Hindus in Sabarimala. The police team led by IG Manoj Abraham, a Christian stooge, lynched innocent devotees including elderly women. @PMOIndia must intervene, take control of the situation. pic.twitter.com/6FTVjL2F3Q
— Ex-Comrade ☭ (@excomradekerala) October 17, 2018
सीएम विजयन के लिए “वाटर लू” साबित होगा सबरीमाला प्रकरण
विजयन सरकार को नहीं भूलना चाहिए कि निलक्काल, कन्याकुमारी और अयोध्या में जो लड़ाई लड़ी गई वही लड़ाई आज सबरीमाला में लड़ी जा रही है। उन लड़ाइयों का परिणाम क्या निकला? जो परिणाम अन्य जगहों की लड़ाई का निकला वही परिणाम यहां भी निकलेगा। अगर विजयन सरकार इसी प्रकार हिंदुओं पर क्रूरता करती रही तो हो सकता है सबरीमाला उसके लिए ‘वाटर लू’ साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री विजयन को सोचना चाहिए कि यहां पर सिर्फ वेटिकन से आदेश नहीं मिलता। आज कई सत्ता केंद्र हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि इस निर्दयता का परिणाम काफी गंभीर होगा जो उन्हें ही भुगतना पड़ेगा।
The last communist govt in Kerala @CMOKerala , don’t forget the the battles we fought in Nilakkal, Kanyakumari & Ayodhya. What’s happening in #Sabarimala is Vijayan’s Waterloo, it’s not under the command of just one Wellington but there are many. The repercussions will be graver pic.twitter.com/gqwvZi0L6R
— Ex-Comrade ☭ (@excomradekerala) October 17, 2018
सबरीमाला मामले को मीडि़या ने प्रतिष्ठा का मामला बना दिया
सबरीमाला मामले को तूल देने में मीडिया की अहम भूमिका है। मीडिया ने ही इसे अब प्रतिष्ठा का मुद्दा बना दिया है। मीडिया की वजह से यह आज अहम के टकराव का मुद्दा बन गया है। यहां विशेषकर रिपब्लिक टीवी और उसके मुख्य एंकर अर्णब गोस्वामी का नाम लेना उचित होगा। रिपब्लिक टीवी ने जिस प्रकार कुछ तथाकथित सुधारवादी और प्रगतिशील महिलाओं को अपने चैनल पर बैठाकर इसे तूल दिया है उससे यह मामला दिनानुदिन गरम होता चला गया है। जिसे सबरीमाला मंदिर और अयप्पा भगवान से कुछ लेना देना नहीं है वही सबसे अधिक चिल्ला कर नारी अधिकार की बात करती दिखती है।
अर्णब गोस्वामी ने तो इस मामले में खुद को एक पक्ष ही बना लिया है। जबकि उस इस मामले की जानकारी से दूर-दूर तक का कोई रिश्ता नहीं है।
तभी एस गुरमूर्ति ने इस मामले पर किए ट्वीट में लिखा है कि इसे मीडिया ने प्रतिष्ठा और अहम के टकराव का मुद्दा बना दिया है। मीडिया ने एक, दो या फिर तीन महिलाओं के अधिकार बनाम लाखों महिलाओं की सहिष्णुता का मुद्दा बना दिया है। गुरुमूर्ति ने अपने ट्वीट में लिखा है कि जो कुछ महिलाएं वहां जाने की जिद्द पर अड़ी हैं वे महज लोकप्रियता हांसिल करने के लिए ये सब कर रही हैं। वे आस्था या धर्म की लड़ाई नहीं लड़ रहीं हैं। वे सिर्फ आस्था को शर्मिंदा करने के लिए जाने की जिद्द पर अड़ी हैं।
#Sabarimala for the media now it is prestige battle. Just ego clash. From women's rights it has now become one or two or three women's rights Vs a million women's forbearance. Those women who go there it is just publicity stunt. No faith. No religion. Just to shame faithfuls.
— S Gurumurthy (@sgurumurthy) October 17, 2018
अगर वर्जित महिलाओं का प्रवेश हुआ तो मंदिर को बंद कर दिया जाएगा
सबरीमामला मंदिर में महिला प्रवेश के बढ़ते विवाद के बीच मंदिर के पुजारी तांत्री कंडारारू ने कहा है कि अगर भगवान अयप्पा के मंदिर में वर्जित महिलाओं का प्रवेश हुआ तो मंदिर को ही बंद कर दिया जाएगा। सबरीमाला मंदिर में बुधवार को तुलम पूजा करने के लिए सन्निधानम पहुंच मंदिर के पुजारियों से जब पत्रकारों ने बात की तो उन्होंने कहा कि अगर मंदिर में महिलाओं का प्रवेश शुरू हुआ वे लोग मंदिर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर देंगे। मालूम हो को इस मंदिर में 10 साल से लेकर 50 साल तक की महिलाओं के लिए प्रवेश वर्जित था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की इस परंपरा को खत्म कर महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सबरीमाला मंदिर पहली बार खुला है। जब से मंदिर खुला है तभी से वहां महिलाओं के प्रवेश को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है। कुछ महिलाएं जहां मंदिर में प्रवेश करने पर अड़ी हुई हैं वहीं मंदिर की परंपरा को कायम रखने के समर्थन में उतरी महिलाएं वहां शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रही है। केरल पुलिस ने इन्ही प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर कई प्रदर्शनकारियों को घायर कर दिया है।
If 'women' start coming to Sabarimala temple, it will be shut down: Tantri Kandararu Rajeevaru https://t.co/JhnuMdk7fD via @DailyhuntApp
— RVAIDYA2000 (@rvaidya2000) October 18, 2018
यह लड़ाई प्रगतिवादियों और प्रगतिविरोधियों के बीच का है : स्वामी
वैसे इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमनियन स्वामी ने कहा है कि सबरीमाला मंदिर की लड़ाई आस्था और धर्म से जुड़ा नहीं बल्कि यह प्रगतिवादियों और प्रगतिविरोधियों के बीच की लड़ाई है। उन्होंने तो यहां तक कहा है कि हिंदू धर्मशास्त्र में भी सुधार किया जा सकता है।
इस मामले में उनके हवाले से एएनआई ने अपने ट्वीट में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है, लेकिन अब आप उसे अपनी परंपरा बता रहे हैं। इस हिसाब से देखें तो तीन तलाक भी तो उनकी परंपरा ही है। लेकिन जब तीन तलाक को खत्म किया गया तब तो सभी लोग उसकी प्रशंसा कर रहे थे, लेकिन वही हिंदू आज सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ सड़क पर उतर रहे हैं। स्वामी ने कहा है कि यह लड़ाई हिंदू प्रगतिवादी और प्रगतिरोधियों के बीच की है।
प्रगतिवादियो या सुधावादियों का कहना है कि सभी हिंदू एकसमान है इसलिए जातिप्रथा खत्म होनी चाहिए। क्योंकि आज बौद्धिकता पर सिर्फ ब्राह्णण का ही आधिपत्य नहीं रह गया है। आज ब्राह्मण भी सिनेमा कर रहे हैं और व्यापार जैसे व्यवसाय में उतर चुके हैं। कहां लिखा हुआ है कि जाति जन्म आधारित है? शास्त्र में भी संशोधन किया जा सकता है।
Supreme Court has made a decision, but now you are saying that it's our tradition. Triple Talaq is also a tradition in that way, everybody was applauding when it was abolished. The same Hindus have come on the streets now: Subramanian Swamy. #SabarimalaTemple pic.twitter.com/8GZvM4kDTN
— ANI (@ANI) October 17, 2018
इसलिए सबरीमाला मंदिर में सभी को प्रवेश का अधिकार है। इसके लिए जो लोग विरोध में हैं वे दरअसल हिंदू प्रगति के विरोधी हैं। क्योंकि हिंदुओं में जाति मिटेगी तभी हिंदू एक होगा और देश समृद्ध होगा। इसलिए मीडिया को भी इसे आस्था और अधिकार का मामला नहीं बनाना चाहिए।
URL: Sabarimala Row- Christian policeman beating Hindu women by the order of Communist Government
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