सारे हिंदू – राजा , नेता , सद्गुण विकृति से पीड़ित ;
दुष्टों को हर बार क्षमाकर ,राष्ट्र को करते रहते पीड़ित ।
पृथ्वीराज था इसी से पीड़ित और भाजपा भी पीड़ित ;
तुष्टीकरण बढाते जाते , बहुसंख्यक न बचेगा जीवित ।
अपनेवोटर भाड़में जायें,इन्हें तोअल्पसंख्यक से मतलब;
मंदिर का पैसा ले जाते और चलाते उनका मकतब।
हिंदू की मेहनत खा जाते , उनको दूध मलाई देते ;
सांपों को ये दूध पिलाते , बाद में जो हमको डंसते।
बलिदान चढ़ाते हिंदू हित का , गुंडों को दें मेवा ;
उनके आगे पूंछ हिलाते , करते उनकी सेवा ।
ये तो नहीं है सद्गुण विकृति , ये तो है कायरता ;
चारों ओर सुरक्षा घेरा , फिर भी कायर डरता ।
क्या ये सारे धिम्मी हो गये ? देते रहते जजिया ;
सच तो यही बात है लगती , खड़ी करो इनकी खटिया ।
क्यों है हिंदू इतना सीधा ? चाट रहे मुंह कुत्ता ;
या फिर हिंदू अभी भी सोया, मुंह पर टांग उठाये कुत्ता ।
दोनों बातें ठीक नहीं है,सब कुछ जानो और जग जाओ;
मेहनत की जो तेरी कमाई ,उसको इन गुंडों से बचाओ ।
खुलकर अपनी बात रखो और सड़कों पर आ जाओ ;
अपनी पूरी शक्ति दिखाकर , गुंडों पर छा जाओ ।
दम कितनी है इन गुंडों में ; अच्छी तरह से जानो ;
तेरे दुश्मन हिंदू धिम्मी , उन सबको पहचानो ।
सबसे बड़े हैं दुश्मन तेरे , धिम्मी जो हैं कहाते ;
राष्ट्रद्रोह ये ही करते हैं , सेक्युलरिस्ट कहलाते ।
हर पार्टी में छाये हुये हैं , चला रहे एजेंडा ;
गजवा-ए-हिंद करायेंगे ये , छुपा हुआ एजेंडा ।
बहुसंख्यक हिंदू न जानते , अब तक हैं अनजान ;
हिन्दू नेता इतना डरते , निकल रही है जान ।
सब ऐसे नेता पहचानो , उनको पदों से हटाओ ;
परम – साहसी नेता लाओ , अपना राष्ट्र बचाओ ।
“वंदे मातरम- जय हिंद”
रचनाकार :ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”