
समान DNA का प्रभाव! RSS के लिए गणवेश बना रहा है सैयद अली!
अर्चना कुमारी । मुस्लिम समुदाय समुदाय अक्सर कहता हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उन लोगों का विरोधी है क्योंकि वह भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहता है। हिंदू राष्ट्र बनने के बाद भारत में रहने वाले उनकी स्थिति दोयम दर्जे की हो जाएगी । कथित इस डर की वजह से यह समुदाय न केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बल्कि उनकी राजनीतिक संगठन भारतीय जनता पार्टी का भी विरोध करते रहे हैं।
प्रधानमंत्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेई से लेकर नरेंद्र मोदी तक अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए कई योजनाएं बनाएं और उनका पालन किया लेकिन वह उनका दिल कभी नहीं जीत पाए। इक्के दुक्के उदाहरणों को छोड़ दिया जाए तो आमतौर देश का एक भी मुसलमान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी का प्रशंसा करते हुए नहीं दिखाई देगा।
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लेकिन इस बीच देश के मुसलमानों को हिंदू-मुस्लिम मुद्दों से खुद से अलग होकर राष्ट्रवादी बनने की प्रेरणा देने वाले तथा हिंदू और मुस्लिम को एक डीएनए का बताने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने एक तरह का नया पहल शुरू किया। इसके तहत वह देश के नामी-गिरामी विभिन्न उलेमाओं तथा मुस्लिम धर्मगुरुओं से मिल चुके हैं। उन्होंने इस दौरान कई मदरसों तथा मस्जिदों का भी दौरा किया । उनके इस कदम का किसी ने स्वागत तो किसी ने आलोचना भी किया ।
इतना ही नहीं इस दिशा में एक और कदम उठाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने गणवेश बनाने के लिए ठेका भी मुसलमानों को तक दे रखा है । सूत्रों के अनुसार बताया जाता है कि RSS के लिए 40 लाख पैंट/ शर्ट का ऑर्डर, एक मुस्लिम व्यक्ति सैयद अली को दिया गया है, इनकी सीतापुरी ( जनकपुरी के पास) 3 फैक्टरी हैं । इनको लगभग 200 करोड़ का ऑर्डर दिया गया था, 2016 में और अभी भी यह कार्य आर एस एस के लिए कर रहे हैं ।
अरमान इंटरप्राइजेज के नाम से उनका व्यवसाय चलता है जबकि उनसे एक सकारात्मक रिपोर्ट बनाने के लिए इंडिया स्पीक्स डेली ने संपर्क किया लेकिन उन्होंने इस बात की पुष्टि तो की कि वह आर एस एस के लिए गणवेश तैयार कर रहे हैं लेकिन उन्होंने इस बारे में आगे बताने से कुछ भी इंकार कर दिया। उनको काफी समझाया बुझाया गया ,तब वह अपने फैक्ट्री के कारीगरों के गणवेश सिलते फोटोग्राफ तथा वीडियो भेजा लेकिन उन्होंने इस बारे में बातचीत करने से साफ मना कर दिया ।
जबकि हम समाज को बताना चाहते थे कि मुसलमान के लिए r.s.s. अछूत नहीं है और इसका फायदा इस समुदाय के व्यवसायियों को भी मिल रहा है लेकिन सैयद अली को इस बारे में जानकारी देना शायद मंजूर नहीं। आर एस एस पहले कभी मुसलमान समाज के लिए अछूत था लेकिन बदलते समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खुलकर मुसलमानो का सहयोग लेना चाहता है ताकि यह समाज आर एस एस के प्रति अपना दुराग्रह का रवैया छोड़ दे।
लेकिन क्या मुसलमान आर एस एस को मन से स्वीकार कर पाएगा । यह दीगर बात है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत की उमर इलियासी से मुलाकात के बाद उन्होंने मोहन भागवत को ‘राष्ट्रपिता’ और ‘राष्ट्र-ऋषि’ तक करार दिया था। गौरतलब है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित मस्जिद पहुंचकर ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख डॉक्टर उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की थी। डॉक्टर इलियासी से मुलाकात के बाद मोहन भागवत आजादपुर स्थित मदरसे में भी गए थे और वहां पहुंचकर बच्चों से बात भी की थी ।
वैसे RSS के एक पदाधिकारी ने ISD पर खबर छपने के बाद मैसेज भेज कर इस पर स्पष्टीकरण दिया। पहले उनका कहना था कि “ये संघ के गणवेश की पैंट नहीं है। अंत में (Video) देखिए अंदर काली जेब है। संघ की पैंट में अंदर भी ब्राउन जेब होती है।”
फिर उनका कहना था, “मात्र एक पैंट खरीद कर, इस स्टोरी में लगे वीडियो से मिलान कर पता लगाया जा सकता था। अंदर की पॉकेट और ऊपर की बेल्ट इन दो को देख कर पता चल सकता है। आप जैसे स्वयंसेवक (हालांकि ISD के प्रधान संपादक संदीप देव संघ के स्वयंसेवक नहीं हैं।) को संघ के नेतृत्व से अधिक इक मुस्लिम व्यापारी पर विश्वास है।”
फिर उनका दूसरा मैसेज आया कि “इस प्रकार सेंट्रलाइज्ड ऑर्डर नहीं दिया जाता है। सब प्रांत अपने हिसाब से ऑर्डर देते हैं।”
ISD के प्रधान संपादक संदीप देव ने उन पदाधिकारी से बार-बार कहा कि आप अपना फैक्चुअल स्टेटमेंट दे दीजिए, हम उसे छापेंगे और वीडियो में भी बताएंगे। लेकिन उनकी ओर से उसके बाद कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। संघ का इस पर जब भी स्पष्टीकरण आएगा, एक मीडिया संस्थान के नाते हम उसे प्रमुखता से छापेंगे।
हमने उन पदाधिकारी से साफ कहा कि हमें यह खबर संघ के ही एक सत्यनिष्ठ स्वयंसेवक से मिली थी, जिसके बाद हमारे रिपोर्टर ने सैय्यद अली से बात कर न केवल इसकी पुष्टि की, बल्कि सैयद अली से फोटोग्राफ और वीडियो भी हासिल करने में सफलता हासिल की।
इस खबर के छपने के बाद से शायद सैय्यद अली पर अज्ञात तरीके से दबाव डाला गया, जिसके बाद से वो ना तो हमारे रिपोर्टर का फोन उठा रहे हैं, ना बात कर रहे हैं। अलग नं से फोन करने पर वो हर नं को ब्लॉक भी करते जा रहे हैं।
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