सारा कुमारी । (सनातन ही जीवन) SM के प्रादुर्भाव से आजकल हर तरफ़ चर्चा हो रही है, वाद विवाद हों रहा है, एक तरह का वाक युद्ध हो रहा हैं। हर आम आदमी को बोलने का मौका मिल गया है, तो हर कोई ये साबित करने में लगा है, मेरा धर्म अच्छा है, मेरा मजहब सबसे बढ़िया है, मैं जिसको मानता हूं, वो ही बेस्ट हैं।
एक मजहब जो 2000 वर्ष पूर्व आया, और एक मात्र 1400 साल पूर्व, परन्तु सनातन संस्कृति हजारों साल पुरानी है, और जैसे कोई दवाई या कोई टीका, lab में सालो के रिसर्च, के बाद आती हैं, तभी वो मानव जाति के फायदे के लिए काम करती हैं।वैसे ही सनातन संस्कृति सालो के trial and error के बाद इस रूप में हमारे सामने आया है , जिसमे समय समय पर, इसकी अशुद्धियों को निकाला भी जाता रहा है, और अभी भी इसमें सुधार के दरवाज़े हमेशा खुले हैं। इसलिए सनातन संस्कृति से बढ़िया कोई संस्कृति हो ही नहीं सकती।
आइए, सरल शब्दों में, केवल हमारे दिन प्रतिदिन के जीवन में किस तरह से सनातन या अब्राहिमिक मजहब का असर पड़ता हैं, इसको जानते हैं। क्योंकि जीवन काल इतना लंबा नहीं है, की हम सब इसके गुढ़ रहस्यों का गहन अध्ययन कर सकें। सभी साहित्यों को पढ़ कर समझ सकें। तो आम जन मानस पर इसके पड़ने वाले प्रभाव से समझने की कोशिश करते है, तीनों में बेहतर कौन हैं।
सनातन की खूबसूरती
1. संवेदना – सनातन में हर जीव, प्रकृति से प्रेम और उसके संरक्षण की शिक्षा दी जाती हैं। जबकि अभ्रहिमक में जो आपके ईश्वर को न माने वो नर्क का हकदार है। और सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति ये हैं कि, ईसाई और इस्लाम में राजा को अपनी प्रजा से संवेदना नहीं रहती, जबकि सनातन परंपरा में राजा के लिए प्रजा की care करना राजा का प्रथम कर्तव्य में होता हैं। प्रजा के कल्याण में ही वो सदा लगा रहता हैं।
2. ईसाई और इस्लाम में Aristrocrat और Peseant या अशरफ़ और पसमांदा की बात कही गई है, जबकि सनातन में हर नागरिक का सामान महत्व बताया गया है।
3. स्त्रियों का सम्मान – ईसाइयों में कुछ 100 वर्ष पूर्व स्त्रियों को डायन कह कर मारा जाता था, शिक्षा और वोटिंग के अधिकार बहुत बाद में दिए गए, इस्लाम में महिलाओं के लिए घर की खेती, पिता की संपत्ति में बेटो से आधा हक, दो स्त्रियां और एक पुरुष की गवाही same हैं, आदि बातो का वर्णन है। जबकि सनातन में विदुषी स्त्रियों का वर्णन है, नवरात्रों में देवी समान पूजा जाता हैं, देवियों का वर्णन है।
4. मिडिल क्लास – ये सबसे बड़ी खूबसूरती है सनातन परंपरा की, आज आप यूएस, और युरोप का हाल देख रहे हैं, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, new world order के तहत्, एक बहुत सुंदर पिक्चर बनाई थी, जिसमे मिडिल क्लास फल – फूल रहा था, मात्र 75 वर्ष भी नही चल पाई ये व्यवस्था, और चरमराने लगी, अभी इनफ्लेशन से मिडिल क्लास जनता त्राहि त्राहि कर रही हैं, gulf में तो केवल वहीं region समृद्ध है जहां जनसंख्या कम और भरपूर मात्रा में crude oil मिल गया, बाकी किसी इस्लामिक राष्ट्र में, इस्लाम को मानते हुए, मिडिल क्लास पनप नहीं सकता। पकिस्तान जो हमसे टूट कर ही एक हिस्सा बना था, सबकुछ दिया उसको, आज उसकी बदहाली हमारे सामने है। जबकि सनातन संस्कृति में हजारों सालों तक लगातर समृद्ध मिडिल क्लास रहा हैं, और शायद कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आती तो वो आगे भी चलती रहती।
5. उत्तम शिक्षा – सनातन संस्कृति में सर्वप्रथम हर एक व्यक्ती के मानसिक उन्नति पर जोर दिया जाता है, जबकि ईसाई का किला मात्र सही शिक्षा से, प्रिंटिंग प्रेस के आते ही ढह गया, और अब SM में सही बातें पता लगने से, इस्लाम का किला भी ढह रहा हैं, गलत और झूठी शिक्षा से ही इन दोनों मजहबों का का प्रचार प्रसार संभव था। जबकि सनातन संस्कृति का उत्थान केवल सही शिक्षा से सम्भव है।
6. शारीरिक विकास – योग, ध्यान, व्रत, शाकाहारी भोजन, मौसम और जगह के अनुसार खाद्ध उद्पादन का जीवन में समावेश। इंद्रियों पर कंट्रोल, और उच्च नैतिक मूल्य आज भी सच्चे सनातनियों में आसानी से पाए जाते है। जो की मज़हबी लोगों में गौड़ हैं।
7. पारिवारिक मूल्य – केवल सनातन में हर संबध का सही नाम और सही से सम्मान करना सिखाया जाता हैं।बाकी मज़हब में हर रिश्ते का नाम भी सही से नहीं दिया गया है। केवल अंकल आंटी में ही सभी रिश्ते सिमट गए , और एक में तो cousin भाइयों से शादी हो जाती हैं। Divorce या तलाक का कोई शब्द ही नहीं है, हिंदूओं में।
8. हर त्यौहार ॠतृओं और प्रकृति के सामंजस्य से बने हैं। किसी में भी natural resources का दोहन नहीं होता है।
9. सामाजिक समरसता – केवल भारत में हर पंथ हर मज़हब को मानने वाले लोगो को सैदव पनाह मिली और आज भी भारत इकलौता देश है, जहां इतने पंथ के लोग रहते है, और मेजोरिटी हिंदू समाज होने की वजह से ही आय दिन दंगे नहीं हो रहे, ऐसा किसी और देश में देखने को नहीं मिलेगा, सम्भव ही नहीं है। खासकर के जहां इस्लाम को मानने वाले लोग इतनी संख्या में रहते हों, ये तो जहां केवल इस्लाम हो वहां भी आपस में ही इतने विभेद कर के सदैव लड़ते ही रहते हैं।
10. Cosmic गणना – जो गणना सनातन साहित्य में हमारे पूर्वज कर गए हैं, उस तक अभी भी बड़े बड़े साइंटिस्ट नहीं पहुंच पाए हैं।
इसलिए धरती पर सुख शांति से सभी जीवों और प्रकृति के survival के लिए सनातन संस्कृति का रहना बहुत जरूरी है । अन्यथा धरती पर आने वाले विनाश को कोई नहीं रोक सकता।
जय हिन्द जय भारत