सारा कुमारी। सनातन और मध्यम वर्ग का बहुत गहरा संजोग है। मध्यम वर्ग ही किसी देश, समाज और व्यक्ति की उन्नति एवम समृद्धि का परिचायक होता हैं। और केवल सनातन संस्कृति में मध्यम वर्ग को फलने – फूलने का अनुकूल वातावरण मिलता हैं।
जिस देश में मध्यम वर्ग विलुप्त हैं, अर्थात् वहां के नेतृत्व में कमी है। वह एक बीमार समाज हैं। मध्यम वर्ग ही किसी देश के स्वास्थ को सही रखता है। उच्च वर्ग ज्यादातर सत्ता के करीब रहता हैं, सत्ता से ही उसको ईर्धन प्राप्त होता हैं, इसलिए सत्ता की चाटुकारिता भी करता रहता हैं, साथ ही जीवन में भौतिक सुख की कमी नहीं होती थी, अतः उसको ना ही कोई शिकायत होती और ना ही आम आदमी के जीवन की जटिल समस्याओं का कोई आभास होता हैं। वहीं निम्न वर्ग के जीवन का मैक्सिमम समय जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को जुटाने में ही बीत जाता हैं, वो उसके ऊपर उठकर और कोई गहन चिंतन मनन नही कर पाता है। इन दोनों वर्ग की सबसे बड़ी खासियत है की दोनों सत्ता पर बहुत हद तक निर्भर रहते हैं, अतः सत्ता का critical analysis नही कर सकते, उच्च वर्ग तो पढ़ा लिखा होता हैं, और सरकार की गलत नीतियों का आभास भी होता हैं, परंतु उन्हीं नीतियों से उसको फायदा भी हो रहा हैं, तो वो उनके खिलाफ़ कुछ नही बोलता, निम्न वर्ग तो शिक्षित भी नहीं होता और सरकारी योजनाओं पर निर्भर रहता है, इसलिए कुछ बोल नही सकता। और उसका ज्यादातर समय जीविकोपार्जन में ही व्यतीत हो जाता हैं।
वहीं मध्यम वर्ग शिक्षित भी होता हैं, और सरकारी नीतियों का Critical analysis आसनी से कर सकता है। सरकार का ध्यान उसकी गलत नीतियों की तरफ लाता है। अपनी आवाज़ उठाता है। समाज को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करता है। समाज में केवल उच्च और निम्न वर्ग होने से, निम्न वर्ग का शोषण बहुत बढ़ जाता हैं, सत्तासीन और उच्च वर्ग दोनों मिल कर ये काम करते है। इसलिए “मध्यम वर्ग” रक्त धमनियों की तरह होती हैं, जिससे समाज को स्वस्थ बनाए रखने वाले महत्वपूर्ण घटक बहते हैं।
किसी भी समाज में एक बड़ी आबादी के मध्यम वर्ग के होने का मतलब है, समाज अपनी प्रगति के पथ पथ पर अग्रसर है, यदि मध्यम वर्ग को survive करने की अनुकूल परस्थिति प्राप्त हो रहीं है, और ऐसा ही लंबे समय तक चलता रहता हैं, इसका मतलब इसी मध्यम वर्ग में से कुछ आबादी भविष्य में उन्नति करके, उच्च वर्ग में भी जा सकती हैं। मध्यम वर्ग आराम से फल फूल रहा है, मतलब कल को, निम्न वर्ग , ऊपर उठ कर मध्यम वर्ग का हिस्सा हो सकता है। यानि cycle चल रही है। रुका हुआ समाज नहीं है, जीवित समाज हैं। मृत समाज केवल शोषक वर्ग और शोषित वर्ग में आ कर ठहर जाता हैं।
मध्यम वर्ग यानि एक ऐसा वर्ग जो अपनी जीवन की मूलभूत सुविधाओं को पूरा भी कर पा रहा है, और सरकार की नीतियों का मूल्यांकन भी कर पा रहा है, उसमें कमियां या खूबियां भी बता पा रहा है।क्योंकि
मध्यम वर्ग को अपनी स्तिथि बनाए रखने के लिए, विद्या अर्जन पर निर्भर होना पड़ता हैं। इसलिए अपने आसपास के परिवेश को भली भांति समझ सकता है। दुसरे देश एवम समाज तथा वहां के नेतृत्व का अपने देश, समाज और शासक से तुलनात्मक अध्ययन भी कर सकता है। केवल मध्यम वर्ग सरकार की गलत नीतियों की खुल कर आलोचना कर सकता है, क्योंकि सरकारी योजनाओं पर उसकी निर्भरता नगण्य रहती हैं।
अति प्राचीन सप्त सिंधु सभ्यता की स्टडी करने पर यही बात सामने आई की वहां पर एक बहुत बड़ी संख्या में मध्यम वर्ग की आबादी लगभग 1000 सालों तक रहीं हैं। आज के समय में इसकी परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। हालांकि पश्चिमी देशों ने विश्व भर से लूट कर, दो विश्व युद्ध के बाद New world order के नाम पर, ऐसे समाज का निर्माण किया था, जिसमें स्वस्थ मध्यम वर्ग था, परंतु क्या हुआ, मात्र 75 साल में ये संरचना निढाल हो कर गिर रही हैं। पाकिस्तान जो कभी सनातन संस्कृति का ही भाग था, वहां भी 1947 के बाद धीरे धीरे मध्यम वर्ग विलुप्त होता गया और दो ही वर्ग अब बचे हैं, शोषित वर्ग और शोषक वर्ग। दोनों ही जगह अत्यंत भयावह स्थिति बन चुकी हैं। इसलिए अभ्राहिमिक मूल्यों पर चलने वाली कोई भी सरकार, कभी भी मध्यम वर्ग को फलने फूलने नहीं देगी, बल्की भरपूर प्रयास करेगी की मध्यम वर्ग को समाप्त किया जाए। ताकी शोषण करने वालो को खुली छूट मिले। कोई रोके टोके नहीं। और शोषक वर्ग को पता ही ना चले उनके rights क्या है, उनको किस तरह प्राप्त करना है।
व्यक्ति कितना भी सनातन को झुठला दे, उससे दूर भागे, परंतु ऐसा करने पर परिणाम यहीं आयेगा, दो ही वर्ग बचेंगे, शोषक वर्ग और शोषित वर्ग। क्योंकि अभ्रहिमिक् मज़हब ज्ञान परम्परा से कोसों दूर हैं। इस्लाम और इसाई की ईमारत झूठ पर खड़ी है, ज्ञान परंपरा के शत्रु है ये दोनो मज़हब। बगैर ज्ञान के, किसी को पता ही नहीं उनका सही कर्तव्य क्या है, राजा सत्ता लोलुप हो जाएगा, चाटुकार दरबारियों से घिर जायेगा, और ये सब मिलकर भोली भाली, आश्रित जनता का शोषण करने लगेंगे।
इसलिए यदि आपको आभास हो रहा हैं कि हमारे देश में भी मध्यम वर्ग विलुप्त हो रहा हैं तो ये आने वाले कल में एक बड़े खतरे की और इंगित कर रहा है। वैसे हमारे यहां के आंकड़े बता रहे है की पढ़ा लिखा मध्यम वर्ग बड़ी संख्या में देश छोड़ रहा हैं। जो थोड़े बहुत देश में रहकर ही आवाज उठा रहे है, उनको चुप कराया जा रहा हैं। और जो मुस्लिम और ईसाई भाई बंधु अभी इसमें चुप्पी लगा कर, तमाशा देख रहें है, अपने पादरी और मौलवी का साथ दे रहे है, ऐसा ना हो कल उनको या उनकी आने वाली पीढ़ी को भी पछताना पड़े। ऐसा ना हो अंत में उनको भी शोषण का शिकार होना पड़े, जैसे आज पश्चिमी देशों में, ईसाई और पाकिस्ताम में मुस्लिमों का हो रहा हैं। क्योंकि शोषक वर्ग, शोषण करते समय, मज़हब नहीं देखता।