अनुज अग्रवाल :-
तिरूपति बालाजी के प्रसाद में मांस, मछली मिलाने की सनातन के विरुद्ध घिघोनी साज़िश करने वाले आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ईसाई जगन रेड्डी ने यह कुकर्म अपने दोनों चाचाओं को टीटीके ट्रस्ट का कर्ताधर्ता बनाकर लगातार पाँच वर्षों तक अंजाम दिया। इन पाँच वर्षों तक वे लगातार संसद में मोदी सरकार को बाहर से समर्थन देते रहे और अभी भी दे रहे हैं। जगन रेड्डी के पिता दिवंगत वाईएसआर रेड्डी जब अभिवाजित आन्ध्रप्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने तब सोनिया गांधी के प्रभाव में क्रिप्टो क्रिश्चियन बन गए और तब प्रदेश में बड़ी मात्रा में ईसाईयत को फैलाया और इसके लिए आवश्यक धन का प्रबंध सबसे बड़े लोहे घोटाले को अंजाम देकर किया दिया। आज दुनिया में आंध्र – तेलंगाना में सबसे ज़्यादा चर्च हैं और एक तिहाई जनता कच्ची पक्की ईसाई बन चुकी है।
उस समय कम से कम बीस लाख करोड़ रुपयों का लोह अयस्क अवैध रूप से चीन निर्यात किया गया। २०१० में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी रहस्यमयी मृत्यु के बाद उनकी अवैध कमाई पर क़ब्ज़े के लिए सोनिया और जगन में लंबी लड़ाई चली और कुल 15 लाख करोड़ की काली कमाई में से दो तिहाई जगन के हिस्से में आया और एक तिहाई सोनिया के। चंद्र बाबू नायडू वर्षों तक इस घोटाले के हज़ारों दस्तावेज लेकर घूमते रहे। हालाँकि सोनिया , जगन को किसी भी क़ीमत पर कांग्रेस में शामिल करने को तैयार नहीं हुई तब चर्च की सहायता और लूट के पैसों के दम पर जगन अपनी अलग पार्टी बनाकर आंध्र के मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे और चर्च के हिंदू विरोधी एजेंडे को गुपचुप बढ़ाते रहे।
चूँकि घोटाले की जड़े कर्नाटक तक फैली थी इसलिए रेड्डी ब्रदर और येदियुरेप्पा भी भी इसकी चपेट में आए। मोदी सरकार व भाजपा को चाहिए कि जगन रेड्डी से किसी भी प्रकार का समर्थन वापस कर उन पर और उनके गैंग पर देश और धर्म द्रोह का केस कर मृत्युदंड की सजा दिलाने की हरसंभव कोशिश करें।
अध्यक्ष, मौलिक भारत
साभार : www.maulikbharat.co.in