श्री कृष्ण बने संदीप-देव हैं , अंकुर-शर्मा हैं अर्जुन ;
देवासुर – संग्राम चल रहा , कौरव – सेना है दुर्जन ।
“एकम् सनातन भारत” क्या है ? ये है अपनी पांडव सेना ;
महासमर संसद – चुनाव है , इसे जीत हमको है लेना ।
हिंदू ! पूर्ण भरोसा रखना , हम ही इसमें जीतेंगे ;
अब्बासी – हिंदू धर्म के द्रोही , सब के सब ये हारेंगे ।
“एकम्-सभा” की ये चिंगारी , वड़वानल ही बन जायेगी ;
धर्म – विरोध भस्म हो सारा , धर्म की सत्ता रह जायेगी ।
हिंदू ! विश्वास बनाये रखना , सत्यमेव जयते ही होगा ;
चरित्रहीन – ढोंगी जो नेता , उनका सत्यानाश ही होगा ।
टाले नहीं कभी टलती है , जो भी कर्मों की गति है ;
जो बोओगे सो काटोगे , कर्मों की बस यही नियति है ।
कितने कुकर्म कर रहा है नेता,खलनायक है जो अभिनेता ;
हस्ती उसकी मिटने वाली , चाहे जितना नाटक करता ।
नाटक-नौटंकी फ्लॉप हो चुकी , जादू उसका टूट चुका है ;
कैसे ह्रदय-सम्राट बना था , सारा भेद ये खुल ही चुका है ।
स्वार्थी , लोभी और लालची , ये ही उसके साथी हैं ;
मास्टर स्ट्रोक वादी भी इसके , सब के सब सफेद हाथी हैं ।
धर्म सदा विजयी होता है , अब भी धर्म ही जीतेगा ;
कालनेमि-रावण जितने हैं , बहुत बुरा परिणाम ही होगा ।
ओ हिंदू ! सदा जागते रहना , इन चोरों से बचकर रहना ;
संदीप देव – अंकुर की जोड़ी , सदा साथ इनका ही देना ।
तारणहार बने हिंदू के , ईश्वर ने इनको भेजा है ;
आशीर्वाद दे रहा धर्म है , हिंदू ने इसे सहेजा है ।
जाको राखे सांईया , मार सके न कोय ;
बाल न बांका कर सके , जो जग बैरी होय ।
हिंदू ! करना संपूर्ण भरोसा , अबकी हमें जीतना है ;
जिस सेना में कृष्ण व अर्जुन , उसको सदा जीतना है ।
अब्बासी-हिंदू की काठ की हांडी,बहुत शीघ्र जलने वाली है;
कुछ ही माह बचे हैं केवल , रात बीतने वाली है ।
सूर्य उदय हो रहा धर्म का , “एकम्-सभा” इसका माध्यम ;
धर्म-सूर्य सर्वोपरि होगा , नहीं पड़ेगा कभी भी मद्धिम ।
जितने भी हैं धर्म के दुश्मन , कोई भी न बच पायेगा ;
सभी दुष्ट अब होंगे दंडित , सही – सही निर्णय होगा ।