संदीप-देव ! तुमसे ये कहना
हिंदू को आगे आना होगा , सीना अपना तानना होगा ;
सारे सक्षम हिंदू मिल जाओ , हिंदूवादी दल लाना होगा ।
तब ही हिंदू-अस्तित्व बचेगा , जब सक्षम हिंदू-दल होगा ;
अभी तो ऐसा कोई नहीं है , एक नया दल लाना ही होगा ।
हिंदू ! अपने बीच से ढूॅंढो , चरित्रवान व साहसी नेता ;
पूरे भारत-वर्ष में ढूॅंढो , सुभाष-चंद्र के जैसा नेता ।
कुम्भ में जितने भी हिंदू हैं , वे ही इसकी पहल करें ;
शंकराचार्यों के सानिध्य में जाओ,मार्गदर्शन उनका प्राप्त करें ।
बड़ा सुनहरा – मौका है ये , हिंदू ! इसमें नहीं चूकना ;
शंकराचार्यों का सत्संग करो व धर्म-मार्ग पर सदा ही चलना ।
संदीप-देव ! तुमसे ये कहना, राजनीति यूॅं ही मत छोड़ो ;
बीच-भंवर में फंसा है हिंदू , मंझधार में उनको मत छोड़ो ।
महाकुम्भ में जाना होगा , हिंदू-हित की बात बढ़ाओ ;
शिल्पी,विशाल,अक्षय को लेना , मधुकिश्वर दीदी को लाओ ।
आशीर्वाद शंकराचार्यों का , समझो सौभाग्य साथ होगा ;
“महा-विष्णु” की कृपा साथ है , हर एक प्रयत्न सफल होगा ।
जम्मू के नेता की बात को छोड़ो, समझो एक बुरा-सपना था ;
कटु-अनुभव जीवन का पाया,भ्रम टूट गया जो भी अपना था।
शेष नहीं अब कोई भी भ्रम,अब व्यर्थ न होगा कोई परिश्रम ;
तुम पाॅंचो हो धर्म के योद्धा , धर्म-युद्ध जीतोगे हरदम ।
जल्दी से प्रोग्राम बनाओ , तुम पाॅंचो ही कुम्भ में जाओ ;
हिंदू-धर्म बहुत संकट में , हिंदू-पार्टी अभिलम्ब बनाओ ।
माना कि जले दूध से हो तुम , फूंक-फूंक कर मट्ठा पीते हो ;
अब कभी न तुम धोखा खाओगे , धर्म हेतु ही तुम जीते हो ।
धर्म – सनातन साथ तुम्हारे , सदा तुम्हारी जय होगी ;
भविष्य-मालिका भविष्य का दर्शन,अंतिमविजय धर्म की होगी
धर्म सदा रक्षक है तेरा , सर्वत्र – विजय तेरी होगी ;
भूले से चूक हुयी थी पहले, अब इसकी पुनरावृत्ति न होगी ।
राजनीति को जान चुके हो , चमत्कार होगा इस बार ;
एक राय होकर तुम पाॅंचों , ठोस पहल करना इस बार ।
धर्म – नीति का उठेगा परचम , गंदी – राजनीति हारेगी ;
हिंदू – मन में विश्वास जगेगा , धर्म – चेतना जाग्रत होगी ।
गंगोत्री सबसे ऊपर है , नीचे है सारा जलप्रवाह ;
शंकराचार्य गंगोत्री धर्म की , सदा मिलेगी तुमको राह ।
इससे श्रेष्ठ विकल्प हो कोई , तो तुम उसको आगे लाओ ;
पर ठोस काम करना ही होगा , हर हालत में धर्म बचाओ ।