सांधल कला में कुछ शांतिदूत जो मुला जाट है अन्य हिन्दुओं के साथ बहुत प्यार से रहते थे, ये जरा भी कट्टर नहीं थे पर इस गांव के भाईचारे पर जिहादियों की नजर लग गई, पंजाब, यूपी, दिल्ली से तब्लिकी जमात के मौलाना आते हैं और इन मुला जाट को इस्लाम की शिक्षा देते हैं इन्हे बताया जाता है कि आसमानी किताब के अनुसार तुम लोग इस दुनिया जहां के मालिक हो और काफिरों को सताना, मारना तुम्हारा फ़र्ज़ है, बस वही से फसाद शुरू हुआ, अब निजी घरों को मस्जिद बना लिया, भोपू से कान फॉडू अज़ान होने लगी, बाहरी मौलाना तकरीर देने लगे, शांतिदूतो को हिन्दुओं के ख़िलाफ़ भड़काने का काम शुरू हुआ, प्रोपगेंडा होने लगे । लोकल मुस्लिमों द्वारा यूपी, बिहार अन्य प्रांतों से शांतिदूत आ कर बसाए गए कि ये मेरा बुआ का, मामा का, मौसा का लड़का है। उनके काम धंधे सेट कराए गए।
अब हिन्दू ठहरा हिन्दू उसे जगाना आसान नहीं, आरोप है कि दिनांक 09.04.2023 को रात 9 बजे मस्जिद (अवैध ढांचा) नमाज़ पढ़ते समय 20 से 25 से ज्यादा हिन्दू युवाओं ने हमला किया। अच्छा पहली बात रात 9 बजे कौन सी नमाज़ होती है भाई, अगर कोई नई रवायत शुरू की है तो गांव के लोग पूछेंगे तो सही ना। जो कोई पूछने जाएगा (विपुल), उसका सिर फाड़ दिया, मार देना चाहते थे, फिर दूसरे युवा पता करने गए तो तैयार बैठे जिहादियों ने हमला किया दोनों और से झड़प हुई, फिर विक्टिम कार्ड खेलते हुए उन हिन्दू युवाओं पर भी मामला दर्ज कराया जिनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं था जिससे उनका कैरियर समाप्त हो जाय। शांतिदूतो को पता है कल हिन्दू पंचायत करेंगें, अपने बच्चो के भविष्य की दुहाई देंगें फिर मस्जिद बनाने देंगें और वो भी अपने खर्च पर।
अब बात गिद्ध मिडिया की जो इस तरह के मामलों की हमेशा भूखी होती है जिसका कोई हिंदू मुसलमान एंगल हो, जिसमे हमेशा शांतिदूत ही विक्टिम ही होता है, बढ़ा चढ़ा कर, तत्थों को तोड़ मरोड़ कर मामले को वास्तविकता से परे कर दिया जाता है। heading पढ़ी आपने “हमलावरों ने बच्चो व महिलाओ को भी नहीं छोड़ा”, दिखाया कि कुछ महिलाओं के सिर पर पट्टी बधी है जो रोते हुए कहती हैं कि नमाज़ पढ़ते समय हमला किया। भाई महिलाओ को कब से मस्जिद में नमाज पढ़ने की इजाजत दे दी इस्लाम ने? क्यों झूठ बोलती हो। जरा भी शर्म नहीं इस तरह का विक्टिम कार्ड खेलते हुए।
अब पुलिस का रवैया देखो गिरफ्तार किए बच्चे दिखाए 10 मीडिया कहती है 16, जबकि 4 बच्चे अभी भी पुलिस ने अवैध कस्टडी में है। लगता है, अब पुलिस इन बच्चो को फरार दिखाकर आज पेश करेगी जिससे इन्हे जमानत मिलने न पाए। गिरफ्तार बच्चो को वकील से भी नहीं मिलने दिया। विपुल जिसका जेहादियों ने सिर फाड़ा उसे मरहम पट्टी से भी वंचित रखा गया। कोर्ट के कहने पर भी एफआईआर की कॉपी नहीं दी। 24 घंटे से ज्यादा समय बीत गया है पर अभी भी पूरी FIR upload नहीं की है केवल 2 पेज डाले गए जिसमें एफआईआर की शिकायत नहीं है, क्या ये सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की अवमानना नहीं है। समझ नहीं आ रहा कि पुलिस क्या छिपाना चाहती है। किस के इशारे पर हिन्दुओं को दबाया जा रहा है। थाना में केवल 30 हिन्दू थे पर इन्हे काउंटर करने के लिए 150 पुलिसकर्मी, आंसुगैस आदि साजो सामान के साथ तैयार थे। क्या हम हिंदू आतंकी है।
ध्यान रहे ये कथा एक इस गांव तक सीमित नहीं है, अपने आसपास नज़र घुमाइए जहां कहीं कुछ मुला जाट रहते मिलेंगे वहां ये कहानी या तो घट चुकी होगी या जल्द ही घटने ही वाली है, इसका बड़ा परिणाम होगा उदाहरण मेवात है।
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