वेणी गूंथ कहां कोई जाने वृंदावन, 11 सितम्बर, द ब्रज फाउंडेशन एवं ब्रज संस्कृति शोध संस्थान वृन्दावन के संयुक्त तत्त्वावधान में वृन्दावन के पौराणिक ब्रह्म कुंड पर त्रिदिवसीय वार्षिक साँझी मेले का आज शुभारम्भ हुआ । साँझी कला वृन्दावनी उपासना का एक अंग है। पितृपक्ष में पंद्रह दिनों तक ठाकुर जी के समक्ष साँझी बना कर उन्हें रिझाया जाता है।
ब्रह्मकुंड पर रविवार से त्रिदिवसीय साँझी मेले की शानदार शुरुआत हुई। मेले के प्रथम दिन जहाँ दिल्ली के कलाकाओं ने ‘बनीठनी से रसिकबिहारी’ नाट्य का मंचन किया वहीं साँझी कलाकार संजय सोनी ने कुंड के जल के ऊपर फूलों से वेणी गूथन लीला को उकेरा।
वृन्दावन के पौराणिक ब्रह्म कुंड पर त्रिदिवसीय वार्षिक साँझी मेला 2022 का शुभारम्भ श्रद्धेय द्वाराचार्य पीपापीठाधीश्वर संत बाबा बलराम दास जी के कर कमलों द्वारा किया गया। श्रद्धेय बाबा बलराम दास जी ने सर्वप्रथम सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की व सांझी की आरती की। तत्पश्चात सांझी प्रदर्शनी का अवलोकन किया।महाराज जी ने कहा कि साँझी वृंदावन का कला गौरव है। साँझी कला के समग्र संरक्षण तथा झ्से जन-जन तक पहुंचाने का सद्प्रयास द ब्रज फाउंडेशन और ब्रज संस्कृति शोध संस्थान द्वारा किया जा रहा है जिसके लिए संस्थान के पदाधिकारी साधुवाद के पात्र हैं।
द ब्रज फाउंडेशन के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर गौरव गोला ने कहा कि इस साँझी मेले का उद्देश्य नई पीढ़ी के मन में साँझी कला के प्रति लगन पैदा करनाहै। इस मेले का आयोजन साँझी कला के प्रति जन-जागरण के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस मेले की बढ़ती प्रसिद्धि और इसमें भाग लेने वाले कलाकारों की संख्या ने इस बात को साबित किया है कि हम अपने प्रयास में सफल रहे हैं।
ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मी नारायण तिवारी ने कहा कि पौराणिक महत्व के इस स्थल को लोगों ने भुला दिया था। 2009 में जब द ब्रज फाउंडेशन ने ब्रह्मकुंड का जीर्णोद्धार कराया तब यह लोगों के सामने आया। ब्रज संस्कृति शोध संस्थान ने यहां लगने वाले ऐतिहासिक साँझी मेले के संदर्भ जुटाए और द ब्रज फाउंडेशन के सहयोग से 2015 से इस साँझी मेले का आयोजन करना प्रारम्भ किया। आज साँझी कला की प्रसिद्धि इतनी है कि अनेक विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं इस पर शोध कार्य कर रहें हैं।
संस्थान के कलाकार विश्वजीत दास, ब्रजगोपाल गुप्ता,मदनमोहन शर्मा, मथुरा से आये कमलेश्वर शर्मा,आगरा की उदयीमान कलाकार भावना राठौड़ एवं अन्य बाल कलाकारों द्वारा बनायीं गयी सुंदर साँझियों ने लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींचा। लोगों ने मुक्तकंठ से वृन्दावनी साँझी कला की प्रशंसा की। इस वर्ष भारी संख्या में दर्शनार्थियों, कलाप्रेमियों व वृन्दावन वासियों ने बढ़ चढ़ कर इसका आनंद लिया। विद्यालयों के छात्र छात्राओं में काफी जोश देखने को मिला।
मेले में अगले 2 दिन शाम 6:00 से रात्रि 9:00 तक, 12 व 13 सितम्बर, को प्रतिष्ठित कलाकारों व छात्र छात्राओं द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर इप्टा मथुरा के योगेश शर्मा, ब्राह्मण महासभा के संस्थापक सुरेशचंद्र शर्मा,अध्यक्ष महेश भारद्वाज, वंशी तिवारी, रामनारायण ब्रजवासी,शाश्वत नारायण तिवारी, एन. एल. शर्मा, जे.पी.सारस्वत, आनंद यादव आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन गोपाल शरण शर्मा ने किया।
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साँझी मेले में दिल्ली के थियेटर ग्रुप फाइव एलिमेंट्स के कलाकाओं द्वारा ब्रज संस्कृति शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित नर्मदाप्रसाद उपाध्याय की पुस्तक बनी-ठनी :-प्रेमकथा से चित्रकला तक पर आधारित नाटक ‘बनीठनी से रसिकबिहारी ‘का मंचन किया गया।कलाकाओं के जीवंत अभिनय ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया
अभिनय करने वाले कलाकारों में साकेत, मानसी मेहता, रवि,आशा सिंह, निधि सक्सेना, रॉबिन खन्ना, भरत किसरो, शिव, मानसी मेहता, श्रीहान, साकेत, नीरज, आदि प्रमुख रहे।
निर्देशन एवं नाट्य लेखन
राखी मानव ने किया