Archana Kumari. इस्लाम में सट्टे लगाना अवैध है और रुपए डकार जाना तो महा हराम लेकिन शाहीन बाग इलाके में ऐसा हुआ कि फिरौती के लिए बदमाशों ने एक मौलाना को अगवा कर लिया। इतना ही नहीं बाद में उसके ही मोबाइल से कॉल कर 25 लाख रुपये की फिरौती मांगी गई।
मामले की जानकारी मिलते ही अपराध शाखा की टीम ने इस सनसनीखेज अपहरण की गुत्थी को सुलझाकर पीड़ित मौलाना को मुक्त करा लिया। पुलिस का कहना है कि मौलाना को अगवा करने के आरोप में उसके पूर्व छात्र समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी सदाकत उर्फ राज (23), उसके सगे भाई मंजर आलम (19), साथी शमीम (26), नबी हसन (23) और फिरदौस (22) को धर दबोचा और सभी बिहार के रहने वाले हैं।
मुख्य आरोपी सदाकत का आरोप है कि उसने पिछले पांच साल में मौलाना मो. मुंतजिर आलम को दुकान खरीदने के लिए धीरे-धीरे 20 लाख रुपये जमा करवाए थे। लेकिन रुपए डकार कर वापस मौलाना रुपये नहीं दे रहा था। इसलिए उसने मौलाना को कुरान पाठ के बहाने अगवा कर लिया। आरोपियों के पास से चार मोबाइल, पीड़ित का आधार, एटीएम व मौलाना को बांधने वाली जंजीर व उसकी चाबियां बरामद की गई।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि छह अप्रैल को शाहीन बाग थाने में मो. मुजम्मिल नामक शख्स ने अपने भाई मौलाना मो. मुंतजिर के गायब होने की सूचना दी थी। पुलिस को उसने बताया कि पांच अप्रैल से उसका भाई अचानक गायब है। इस दौरान किसी ने उसके भाई के ही मोबाइल से व्हाट्सऐप कॉल कर 25 लाख रुपये की फिरौती मांगी है ।
इस जानकारी के बाद फौरन मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई। मामले की जांच में लोकल पुलिस के अलावा अपराध शाखा भी जांच में जुट गई। जांच के दौरान पुलिस को सीसीटीवी फुटेज से कुछ सुराग मिले। पुलिस का कहना है कि एक फुटेज में पीड़ित मौलाना के साथ उसका एक पुरानी छात्र सदाकत देखा गया।
इस पर सदाकत का मोबाइल नंबर जांचा गया तो वह घटना वाले दिन से बंद मिला। इतना ही नहीं उसके पूरे परिवार के मोबाइल बंद मिले। इस बीच सदाकत की पत्नी के मोबाइल की आखिरी लोकेशन की जांच की तो वह हरोला गांव, नोएडा सेक्टर-5 की मिली। जांच में पाया गया कि दरअसल हरोला में सदाकत की ससुराल थी।
पुलिस ने जानकारी जुटाकर शुक्रवार सदाकत को हरोला से दबोच लिया। पूछताछ के बाद उसने मौलाना को अगवा करने की बात कबूल कर ली। पुलिस हिरासत में सदाकत ने बताया कि उसने मौलाना को शाहीन बाग थाना क्षेत्र के अबुल फजल एंक्लेव एन-ब्लॉक के एक फ्लैट में पांचवीं मंजिल पर बंधक बनाकर रखा हुआ है।
इस जानकारी के बाद पुलिस ने फौरन एक टीम का गठन किया। इसके बाद देर रात को टीम ने फ्लैट का दरवाजा तोड़ दिया और मौलाना सकुशल बरामद कर लिया गया। मौके से ही वहां बाकी चार आरोपियों का दबोच लिया गया। पुलिस ने बताया मौलाना के हाथ और पैर लोहे की जंजीर से बंधे हुए थे। पुलिस टीम को देखते ही मौलाना मुंतजिर आलम फूट-फूटकर रोने लगा और पुलिस टीम का धन्यवाद करने लगा।
बाद में चारों आरोपियों को लोकल पुलिस के हवाले कर दिया गया। पूछताछ में आरोपी सदाकत ने बताया कि वह वर्ष 2008 में मौलाना मुंतजिर के मदरसे में छात्र था। जहां वह उसके यहां कुरान पढ़ने जाता था। इसी वजह से उसका मौलाना के घर आना जाना था। बाद में सदाकत ने ओखला इलाके में छोटा से ढाबा खोल लिया।
इस बीच उसे क्रिकेट मैच पर सट्टा खेलने की लत लग गई। उसे ढाबे के लिए अपनी दुकान खरीदनी थी। इसलिए वह सट्टे में कमाए रुपये मौलाना को जमा करने के लिए देने लगा। करीब पांच सालों में उसने 20 लाख से ज्यादा मौलाना को दे दिए। बाद में रुपये वापस मांगने पर मौलाना आना-कानी करने लगा। जिसके बाद सदाकत को जब मौलाना से अपने रुपये नहीं मिले तो उसने मौलाना को अगवा करने की योजना बनाई।
इस काम के लिए उसने अपने भाई और तीन अन्य दोस्त जो उसके गांव के पास के ही थे, उनको प्लान में शामिल किया। पुलिस के अनुसार पकड़ा गया शमीम पर पहले से अपराधिक मामले दर्ज थे। वह मार्च में ही जेल से बाहर आया था। योजना के तहत अबुल फजल में पांचवीं मंजिल पर एक फ्लैट किराए पर लिया गया।
जहां पर वहां कुरान का पाठ करने के बहाने मौलाना को फ्लैट पर बुलाकर बंधक बना लिया गया। बाद में उसके ही मोबाइल फोन से व्हाट्सऐप कॉल कर फिरौती मांगी गई। इस तरह नापाक आरोपियों का खेल का पर्दाफाश हो गया और मौलाना की जान बच गई