सबसे बड़ा राष्ट्र का दुश्मन , हिंदू- नेता गुलफाम है ;
वामी ,कामी ,जिम्मी ,सेक्युलर , जेहादी का गुलाम है ।
धर्म और मजहब न जाने , फिर भी उन्हें बताता है ;
बर्बर – मजहब को अमन बताता , ऐसा रट्टू तोता है ।
पता नहीं क्या इसके मन में ? क्यों इतना गिरता जाता ?
सब कुछ तो है पास में इसके , तब भी ये रोता जाता ।
घर परिवार का हो न सका जो , राष्ट्र का वो क्या होयेगा ?
जो केवल अपने लिये जियेगा , लहू राष्ट्र का पीयेगा ।
बहुत बड़ा धोखा खाया है , भारत के हिंदू – जन ने ;
सीधे – सादे हिंदू को फंसाकर , खूब रुलाया है इसने ।
धर्म – सनातन का ये द्रोही , कितने मंदिर तुड़वाता है ;
तुष्टीकरण बढ़ाता जाता , गजवायेहिंद करवाता है ।
अल्पसंख्यकवाद है इसका मजहब,शाहीन बाग करवाता है;
दुनिया भर को खुश करने को , रोड- जाम करवाता है।
हिंदू को कमजोर कर रहा , जातिवाद बढ़वाता है ;
राष्ट्र का गौरव नष्ट कर रहा , झूठा- इतिहास पढ़ाता है ।
बहुत बड़ा शातिर जिम्मी है , जजिया में राष्ट्र लुटा देगा ;
कुछ दिन और चली मनमानी , इस्लामी-राष्ट्र बना देगा ।
सारे हिंदू खतरा भांपो , मौत नाचती है सर पर ;
धर्म – बचाओ राष्ट्र – बचाओ , जिम्मेदारी है तुम पर ।
हिंदू सब छोड़ो पार्टी- बंदी , धर्म – सनातन अपनाओ ;
प्राणपण से सारे जुट जाओ , देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ।
एकमात्र बस यही मार्ग है , जो हिंदू – धर्म बचायेगा ;
खून – खराबे को रोकेगा , मानवता को बचायेगा ।
वरना अच्छी तरह समझ लो , हिंदू न बच पायेगा ;
तेरा अपना खुद का नेता ही , अब तुझको खा जायेगा ।
जागो हिंदू ! फौरन जागो , वास्तविकता से मत घबराओ ;
शस्त्र-शास्त्र का पूर्ण प्रशिक्षण,गुरुकुल शिक्षा को अपनाओ।
अपने सारे इतिहास को जानो,सच्चे हिंदू इतिहास को जानो
राम – कृष्ण आदर्श हैं तेरे , मानस-गीता की शिक्षा मानो ।
धर्म-सनातन हिंदू अपनायें , विश्वविजय तक हो सकती है ;
पूरा विश्व सदा था हिंदू, इसकी पुनरावृत्ति हो सकती है ।
जीवनरक्षा का बस यही रास्ता,हर हाल में इसको अपनाओ;
सारा गौरव वापस आयेगा , देश को हिंदू- राष्ट्र बनाओ।
“°जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”