तुझ पर कुछ आरोप लगाये , देश की हिंदू – जनता ने ;
इससे पहले कि सजा सुनाये , दिया है मौका जनता ने ।
पहला आरोप लगा है तुझ पर ,शाहीन बाग क्यों करवाया ?
एक साल तक दिल्ली वालों को, कितना चक्कर लगवाया?
इसके बाद रोड घिरवाया , लाल – किले में ध्वज गिरवाया ;
गुंडागर्दी रोक न पाया , पुलिस को भी कितना पिटवाया ?
अच्छा कानून बना था सीएए, डरकर उसको भी लटकाया ;
कृषि कानून भी कितने अच्छे?डरकर उनको भी पलटाया ।
इसी तरह पश्चिम – बंगाल में , हिंदू – वोटर को मरवाया ;
उनको सताने वाले गुंडे , सीमा से क्यों नहीं भगाया ?
इसी तरह म्यांमारी-गुंडे , जगह-जगह उनको बसवाया ;
हिंदू-धर्म से क्या है नफरत ? जगह-जगह मंदिर तुड़वाया ।
काशी जैसे पवित्र -धाम में , शिव-परिवार का मंदिर तोड़ा ;
परम-पूज्य केदारनाथ जी , उनका व्यास-भवन भी तोड़ा ।
व्यास-भवन कैसे हथियाया ? पानी भरकर उसे गिराया ;
दुर्लभ कितने हिंदू-ग्रंथ थे ? उनको मलबे में नष्ट कराया ।
हिंदू-धर्म का वो पुस्तकालय,पास में थी संस्कृत पाठशाला ;
बेदर्दी से उन्हें गिरा कर , कितना बड़ा-पाप कर डाला ?
हिंदू-धर्म की हानि कर रहा , जितनी कोई कर न पाया ;
ये तो वो ही कर सकता है , जेहादी-मद में जो बौराया ।
पता नहीं क्या तेरे मन में ? पार्टी की कब्र को खोद रहा है ;
पार्टी वाले क्या गूंगे हो गये ? कोई कुछ भी न बोल रहा है ।
पर हिंदू-जनता जाग गयी है , राष्ट्र की दुर्गति देख रही है ;
धर्म-राष्ट्र संग देश बचाने , किसी और को देख रही है ।
अंतिम मौका अभी भी तुझको , अपनी सारी गलती मानो ;
जो कुछ बर्बादी की है अब-तक, उसको ठीक करोगे मानो ।
इसी दिशा में पहला-कदम है , लल्लो – चप्पो बंद करो ;
अल्पसंख्यकवाद मिटा दो सारा , तुष्टीकरण को बंद करो ।
धर्म के दुश्मन गांधी – नेहरू , इनको मटियामेट करो ;
धर्म – सनातन सर्वश्रेष्ठ है , इसको अंगीकार करो ।
भ्रष्टाचार की सजा मौत हो , केवल कानून का शासन हो ;
पक्षपात बिल्कुल भी न हो, केवल योग्यता का आसन हो ।
यदि ये क्षमता न हो तुझमें , तो सेवानिवृत्त हो जाओ ;
योगी-हेमंत हैं आगामी पीएम, धर्म-राष्ट्र संग देश बचाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”