मौत के मुॅंह से देश को मोड़ो
कानून का शासन अत्यावश्यक ,सभी सुरक्षित और सुखी हों ;
सबके हों अधिकार सुरक्षित , गुंडे , चोर , डकैत दुखी हों ।
कानून का शासन आ सकता है , केवल भ्रष्टाचार हटाओ ;
अब्बासी-हिंदू नेता को हटाकर , बस अच्छी-सरकार बनाओ ;
जस का तस कानून हो लागू , भ्रष्टाचार की सजा मौत हो ;
भ्रष्टाचार हटेगा ऐसे , जैसे गधे के सिर से सींग साफ हो ।
सारे कष्ट मिटे जनता के , दुख – तकलीफ कहीं न हो ;
नेता – अफसर राह पे आयें , जब भ्रष्टाचार कहीं न हो ।
चरित्रहीन व लम्पट नेता , राजनीति से मिट जायेंगें ;
उन सबकी तो जगह जेल है , वे सब वहीं चले जायेंगें ।
राजनीति का मिटेगा धब्बा , अब्बासी-हिंदू गुंडों का अब्बा ;
ये तो मृत्यु-दण्ड पायेगा , गोल हुआ ही समझो डब्बा ।
फिरकापरस्ती मिट जायेगी , मजहबवाद विदा होगा ;
सेक्यूलरिज्म का जहर मिटेगा , अब्बासी-हिंदू कोई न होगा ।
अमृत-महोत्सव सच में होगा ,अभी तो ये है जहर-महोत्सव ;
अब्बासी-हिंदू के पापाचार से , जन्मा है ये जहर-महोत्सव ।
अब्बासीहिंदू है पापका पुतला,रावण की तरह दहन हो इसका
विजयादशमी मेंइसे जलाओ,रावण की बगल में पुतला इसका
कुंभकरण – मेघनाद की तरह , इसके भी हैं संगी-साथी ;
उनके पुतले भी अगल-बगल हों , बचे न कोई इसका साथी ।
बीज पाप का नष्ट तभी हो , अब्बासी-हिंदू की कौम मिटाओ ;
न्यायपालिका कर्तव्य निभाओ , सब के सब पापी निपटाओ ।
कानून का शासन , न्याय का शासन , पूर्ण सुशासन आयेगा ;
“राम-राज्य” जैसा सर्वोत्तम , लगभग वैसा आ जायेगा ।
यदि धर्मनिष्ठ हो पूरा-शासन , तब सोने पे सुहागा होगा ;
पूरा “राम-राज्य” तब होगा , कोई नहीं अभागा होगा ।
सबसे बड़े अभागे वो हैं , जो धर्म-सनातन छोड़ चुके ;
अपने सौभाग्य को ठोकर मारी,अपनी ही कब्र को खोद चुके ।
पूरी – दुनिया में हिंसा का तांडव , सब म्लेच्छों की करनी है ;
उल्टी-पट्टी पढ़ी सभी ने , अब तो करनी की भरनी है ।
हमको इस हिंसा से बचना है , अच्छी-सरकार बनाना होगा ;
वरना वो दिन दूर नहीं है , हमको दुनिया से मिटना होगा ।
जिस देश के नेता देश के दुश्मन , सोचो कैसे बच पायेगा ?
जागो हिंदू ! अब तो जागो , वरना वक़्त निकल जायेगा ।
अज्ञान, स्वार्थ ,भय ,लालच छोड़ो , भ्रष्टाचार से नाता तोड़ो ;
धर्म- सनातन में आकर के , मौत के मुॅंह से देश को मोड़ो ।