कांग्रेस जब सत्ता में रहती है तब ‘सीबीआई’ उसका तोता होता है और जब सत्ता से बाहर होती है तो उसका ‘पीडी’! कांग्रेस के प्रति ‘पीडी-सी’ वफदारी दिखाते सीबीआई के कुछ अधिकारियों ने सीबीआई की पूरी गरिमा की मिट्टी-पलीद कर दी है। सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा की प्रशांत भूषण, राहुल गांधी और सिद्धार्थ वरदराज के thewire के प्रति वफादारी अभी ठंढी भी नहीं हुई थी कि सीबीआई के डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा की ‘स्वानगिरी’ पर सुप्रीम कोर्ट फट पड़ा। मनीष कुमार द्वारा अलग याचिका चलाए जाने और उसे मीडिया में लीक करने पर सुप्रीम कोर्ट ने घोर नाराजगी जतलाई है। इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट आलोक वर्मा से सीवीसी द्वारा पूछे गये प्रश्न-उत्तर को अदालत से पहले द वायर में छापने को लेकर उनके वकील फली नरीमन को फटकार लगाते हुए कह चुका है कि ‘आप लोग सुने जाने लायक तक नहीं हैं।’
प्रधान न्यायधीश रंजन गोगाई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल औन न्यायमूर्ति के.एम.जोसेफ की पीठ ने साफ कहा कि न्यायालय किसी पक्षकार को नहीं सुनेगा। पीठ ने कहा, हमने मनीष सिन्हा के नागपुर तबादले की याचिका को शीघ्र सुनवाई की अनुमति देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि इसमें सर्वोच्च गोपनीयता बनाए रखने की जरूरत है, लेकिन उन्होंने अदालत से बाहर जाते ही इसे वितरित करना शुरु कर दिया। अदालत ने जो कहा, उसे बिंदुवार समझिए तो पता चलेगा कि किस तरह से सीबीआई का उपयोग कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वफादार प्रशांत भूषण और सिद्धार्थ वरदराजव व वेणु के thewire ने मोदी सरकार को बदनाम कर जनता की नजरों से उसे गिराने की साजिश रची थी-
* वादी मनीष सिन्हा ने अदालत में कहा कि वह गोपनीयता बनाए रखेगा, लेकिन अदालत से बाहर जाते ही याचिका की प्रति सभी को वितरित करने लगा।
* प्रधान न्यायधीश ने कहा, ‘ इस संस्था सीबीआई के सम्मान को बनाए रखने के हमारे प्रयासों से ये लोग- आलोक वर्मा मनीष सिन्हा इत्तेफाक नहीं रखते। वे सभी को गोपनीय दस्तावेज वितरित कर रहे हैं।
* शीर्ष अदालत ने 16 नवंबर को वर्मा से कहा था कि सीवीसी के निष्कर्षों पर जवाब देने का आदेश दिया था और ताज्जुब देखिए कि न्यूज पोर्टल में लेख इसके एक दिन बाद ही 17 नवंबर को प्रकाशित मिला।
* पीठ ने सरकार के शीर्ष पदाधिकारियों- सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय मंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी और सीवीसी के वी.चौधरी- के खिलाफ मनीष सिन्हा की याचिका में लगाये गये आरोपों के आधार पर प्रकाशित मीडिया की रिपोर्ट को दिखाते हुए फटकार लगाई और पूछा आप लोग करना क्या चाहते हैं?
* प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हम जानना चाहते हैं कि क्या चल रहा है? न्यायालय लोगों के लिए अपनी मनमर्जी की अभिव्यक्ति का मंच नहीं है, यह ऐसा स्थान है जहां लोग अपने न्यायिक अधिकारों के बारे में निर्णय के लिए आते हैं। यह कोई मंच नहीं है और हम इसे दुरुस्त करेंगे।’
* प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘हमें नहीं लगता कि आपमें से कोई भी सुनवाई की पात्रता रखता है।’
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाकर साफ स्पष्ट कर दिया कि आलोक वर्मा व मनीष सिन्हा केंद्र सरकार और उसके कुछ अधिकारियों पर बेवजह का सवाल उठाकर साजिश रच रहे हैं। उनका इरादा न्याय पाने का नहीं, बल्कि सुप्रीम अदालत को मंच बनाकर मीडिया के जरिए सरकार को बदनाम करने का है।
CJI Ranjan Gogoi handed over a report of @thewire_in to Fali Nariman which has contents of response of Alok Verma which was supposed to be in sealed cover.
CJI Gogoi deeply upset by the same.
— Bar & Bench (@barandbench) November 20, 2018
आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन ने तो यह तक कहा कि न्यूज पोर्टल और उससे संबंधित पत्रकारों को न्यायालय को तलब करना चाहिए। उन्होंने भी कहा, ‘यह कैसे आ सकता है? यह तो सरासर लीक है। यह जिस तरह से किया गया है, उससे मैं आहत हूं।‘ अब देखना है कि न्यायालय दवायर और उसके पत्रकारों को बुलाकर उस पर कार्रवाई करती है या नहीं?
पाठको को शायद याद हो कि आलोक वर्मा की लड़ाई जिस सीबीआई के अधिकारी राकेश अस्थना से है, उसे सुप्रीम कोर्ट से ही निपटाने की पहली सुपारी प्रशांत भूषण ने ली थी और एक खाली डायरी लेकर अदालत में पहुंच गये थे कि इसमें राकेश अस्थाना को रिश्वत दिए जाने का जिक्र है। अदालत ने इससे पूर्व इसी प्रशांत भूषण को सहारा डायरी अदालत में पेश करने पर साफ कहा था कि कोई अपनी डायरी में किसी का नाम लिख दे तो इससे साबित नहीं होता कि उसने रिश्वत ली है।
प्रशांत भूषण ही वह शख्स हैं, जो आलोक वर्मा के साथ अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के साथ पांच सितारा होटल में गुपचुप मिले थे और मोदी सरकार के खिलाफ राफेल में प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था। आलोक वर्मा द्वारा सीवीसी को दिया गया जवाब जिस तरह से thewire में लीक हुआ है, हो न हो इसमें प्रशांत भूषण की ही भूमिका है। प्रशांत भूषण और thewire के पत्रकारों के रिलेशन जग-जाहिर है।
इसके अलावा सीबीआई के डीआईजी मनीष सिन्हा ने जिस तरह से अजित डोभाल से लेकर मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री पर बिना सबूत सुप्रीम कोर्ट के मंच का इस्तेमाल कर बेबुनियाद आरोप लगाया और उसे राहुल गांधी ने आनन-फानन में ट्वीट किया, वह दर्शाता है कि कांग्रेस की जड़ें नौकरशाही में कितनी गहरी हैं।
राहुल गांधी, उनके मालिकाना हाक वाले नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और पूरा कांग्रेसी कुनबा व कुनबाई पत्रकारों ने मोदी सरकार पर इस बेबुनियाद आरोप को लगाकर जिस तरह से हमला किया, वह साफ दिखाता है कि यह सब मोदी सरकार को बदनाम कर जनता की नजरों में उसे गिराने की साजिश थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने विफल कर दिया। याद रखिए सुप्रीम कोर्ट ने अजित डोभाल आदि पर सवाल उठाने पर साफ कहा है कि यह क्या है? लेकिन दवायर हो या एनडीटीवी का बकैत पांड़े, उनका स्यापा इसी पर चल रहा है।
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