आखिर अयोध्या मामले को लेकर वह घड़ी आ गई जिसका इंतजार देश भर के राम भक्त कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने के लिए पांच जजों की संविधान पीठ का गठन कर दिया है। हालांकि यह संविधान पीठ पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के फैसले को पलट कर बनाई गई है। मालूम हो कि इससे पहले चार जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच गठित करने की बात कही थी। लेकिन इसके बाद पांच जजों की संविधान पीठ गठित करने का फैसला अचंभित तो करता ही है।
10 जनवरी को 5 जजों की बेंच करेगी अयोध्या मसले पर सुनवाई। बेंच के सदस्य हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे, एन वी रमना, यु यु ललित और डी वाई चंद्रचूड़। पहले कोर्ट में 3 जजों की बेंच मामला सुन रही थी। हाई कोर्ट में भी 3 जजों की बेंच ने ही फैसला दिया था pic.twitter.com/lYa3RhhJQ5
— Nipun Sehgal (@Sehgal_Nipun) January 8, 2019
पांच सदस्यीय संविधान पीठ का नेतृत्व स्वयं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई करेंगे। उनके अलावा इस संविधान पीठ में वरिष्ठता के आधार पर सबसे वरिष्ठ चार जजों को सदस्य बनाया गया है। इनमें शामिल चारों वरिष्ठ जजों को भावी मुख्य न्यायाधीश को रूप में देखा जा रहा है। इस संवैधानिक बेंच में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के अलावा स्टिस एसए बोड़े, एनवी रमन्ना, यूयू ललित और डीवाई चन्द्र चूड़ हैं।
मालूम हो अयोध्या मामले में 4 जनवरी को सुनवाई हुई थी। लेकिन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली दो जजों वाली बेंच ने महज 40 सेंकेड सुनवाई की और इस मामले की सुनवाई तीन जजों वाली बेंच से करवाने की बात कही थी। लेकिन अब इस मामले की सुनवाई के लिए पांच जजों वाली संवैधानिक बेंच गठित कर दी गई है। सवाल उठता है कि जब पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले की सुनवाई तीन जजों वाली बेंच से करवाने की घोषणा कर दी थी, तो फिर पांच सदस्यीय संविधान पीठ गठन क्यों किया गया? कहीं राम मंदिर बनने का विरोध कर रहे मुसलिम संगठनों के दबाव में तो यह फैसला नहीं किया गया? क्योंकि अयोध्या मामले के मुसलिम पक्षकार शुरू से ही पांच सदस्यीय संविधान पीठ की मांग करते रहे हैं।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय बेंच पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा सुनवाई कराने की उनकी मांग खारिज कर चुकी है। न्यायमूर्ति ने कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में इस मामले की सुनवाई तीन सदस्यी बेंच ही करेगी। इसके लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के गठन की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन वर्तमान मुख्य न्यायाधीश ने उनके फैसले को पलटते हुए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन कर दिया है। इस पीठ में सुप्रीम कोर्ट के अन्य सबसे वरिष्ठ चार जजों को सदस्य बना गया है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के जिन वरिष्ठ चार जजों ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था उनमें से दो जज इस पीठ के सदस्य बने हैं। इससे यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या रंजिशन दीपक मिश्रा के फैसला को तो नहीं पलटा गया है ? क्योंकि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुरू में तीन सदस्यी बेंच गठित करने की बात कही थी। लेकिन अचानक पाचं जजों वाली संविधान पीठ गठन करने का फैसला कुछ संदेह तो पैदा करता ही है।
URL : SC formed five member constitutional bench to hear ayodha case !
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