विपुल रेगे। आयुष्यमान खुराना की ‘एन एक्शन हीरो’ देखते हुए महसूस हुआ कि फिल्म निर्देशक अनिरुद्ध अय्यर गच्चा खा गए हैं। ये एक इंट्रेस्टिंग कहानी थी और बॉक्स ऑफिस पर बहुत संभावनाएं रखती थी लेकिन स्क्रीनप्ले के झोल ने इसे कहीं का नहीं छोड़ा। मानव एक फ़िल्मी हीरो है, जिससे गलती से एक ऐसा व्यक्ति मारा गया है, जिसका भाई एक खूंखार अपराधी है।
ऐसी कहानियों को बारीकी से न गढ़ा जाए तो झोल होने की आशंका रहती है। राहत की बात है कि फिल्म का बजट कम है और थियेटर्स में फुटफॉल्स औसत है। अनुमान है कि गिरते-पड़ते फिल्म लागत वसूल करने में तो सफल हो ही जाएगी। कहानी कुछ ऐसी है कि फिल्म स्टार मानव खुराना हरियाणा में फिल्म की शूटिंग कर रहा है। एक रात वहां गैंगस्टर भूरा सोलंकी का बेटा विकी सोलंकी आता है।
वह मानव से मिलना चाहता है। मानव उससे नहीं मिलता और वहां से निकल जाता है। इस बात पर गुस्सा होकर विकी मानव की कार का पीछा करता है। दोनों में बहस होती है और मानव के हाथों गलती से विकी मारा जाता है। ये एक गैर इरादतन हत्या है। मानव घबराकर लंदन भाग जाता है। विकी का भाई भूरा मानव से बदला लेने के लिए लंदन जा पहुंचता है। यहाँ दोनों में चूहा-बिल्ली का खेल शुरु हो जाता है।
कहानी को निर्देशक अनिरुद्ध अय्यर बारीकी से ट्रीट करते और कैरेक्टर्स की परिस्थितियों पर विचार करते तो फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा खेल सकती थी। फिल्म के तीन दिन के कलेक्शन उत्साहजनक हैं लेकिन हिट की ओर इशारा नहीं कर रहे हैं। जाहिर है दर्शकों को फिल्म कम पसंद आई है। फिल्म एक शानदार पेस के साथ शुरु होती है लेकिन आधे घंटे बाद ही ढीली पड़ती दिखाई देती है।
इसकी कहानी अन्य ट्रेक्स पर उलझ जाती है। तर्क को निर्देशक ने एकदम ही साइड में रख दिया है। भूरा सोलंकी लंदन में हत्याएं करता जा रहा है लेकिन वहां की पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही है। जब कहानी लंदन की ओर रुख करती है और पुलिस इसमें इन्वॉल्व होती है, तो एक विदेशी कैरेक्टर होना चाहिए था, जो यहाँ नहीं रखा गया है। मानव लंदन में चाहे जिसकी पिटाई करके चला जाता है।
ये सब बातें फिल्म को तर्क से परे ले जाती है। बचा रह जाता है तो आयुष्यमान का ग्लैमर। हालांकि उनका समय ठीक नहीं चल रहा है फिर भी आयुष्यमान ने पूरी मेहनत की है लेकिन निर्देशक ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है। जयदीप अहलावत भूरा की भूमिका में अच्छे दिखे हैं। आयुष्यमान और जयदीप का संघर्ष रेखांकित किया जाता तो अच्छे परिणाम मिल सकते थे।
जब कहानी में दुबई के एक डॉन की एंट्री होती है’ तब फिल्म तर्क की पटरी से पूरी तरह उतर जाती है। इसके बाद फिल्म प्रिडिक्टेबल हो जाती है। फिल्म में ‘वॉव मूमेंट’ नहीं है, संगीत बेदम है। रविवार को फिल्म ने अच्छा जंप लिया था लेकिन सोमवार से कलेक्शन पुनः गिर गए। इस सप्ताह ओटीटी पर रिलीज हुई ‘फ्रेडी’ ने ही सही मायने में मैदान मारा है। ‘एन एक्शन हीरो’ में ऐसा कुछ नहीं, जो आपके टिकट के पैसे वसूल करा सके।
यदि आप आयुष्यमान खुराना के प्रशंसक हैं तो एक बार थिएटर का रुख कर सकते हैं। फिल्म में केवल आयुष्यमान ही देखने योग्य है।