आनंद राजाध्यक्ष। गीता गुर्जर, वो बहादुर महिला, जिसने दिल्ली की सडक पर बनी मजार को तोडा था उसके खिलाफ उस इलाके के थाने में F. I. R दर्ज कर दी गई है और अगर आप सोच रहे होंगे कि किसी इस्लामिक संगठन नें ये काम किया होगा तो ऐसा बिलकुल नहीं है, बल्कि एक हिन्दू * सिपरुद्दीन* ने किया है। The First Line of Defence of Muslims is not Muslims They are Hindus ऐसे हिन्दुओं का उपाय करना होगा पहले। क्योंकि शत्रु तक पहुँचने ही नहीं देंगे ये गद्दार।
इस्लाम की ढाल काफिर होता है … समझिये कैसे! सैफुल इस्लाम (सैफ उल इस्लाम), सैफुद्दीन (सैफ उद दीन) ये नाम तो आप ने सुने होंगे। दीन का अर्थ भी इस्लाम ही है और सैफ का अर्थ है तलवार; और आप को यह तो पता ही है कि केवल तलवार से लड़ा नहीं जाता, तलवार के साथ ढाल अनिवार्य है और ढाल टूटनेपर तलवारबाज काफी कमजोर भी पड़ता है।
ढाल को सिपर कहा जाता है लेकिन मैंने आज तक कोई सिपरुद्दीन या सिपरुल इस्लाम नहीं सुना। स्लीपरुद्दीन (Sleeper उद दीन) मिलेंगे, लेकिन उनकी चर्चा फिर कभी। मतलब मुसलमान केवल तलवार होने में ही मानता है, ढाल होने में नहीं मानता. और अगर बिना ढाल के तलवार कमजोर, तो ढाल की व्यवस्था कैसे करता होगा ?
सिंपल बात है, वो काफिर को अपनी ढाल बनाता है। इस्लाम की कोई किताब में यह नुस्खा नहीं बताया गया लेकिन इस्लाम का इतिहास देखिये, यह बात स्वयं सिद्ध हो जायेगी। आज भी मुसलमान यही करते पाया जाता है। अब जरा ढाल क्या होती है समझिये, ढाल से क्या होता है जानिये। ढाल पर विरोधी का वार झेलकर खुद को बचाया जाता है। ढाल वार झेल झेलकर टूट जाती है तो उसे replace किया जाता है। और तो और, ढाल से शत्रु पर प्रहार भी किया जाता है।
मुसलमान शासकों ने हमेशा हिन्दुओं से लड़ने के लिए हिन्दुओं का इस्तेमाल किया। मानसिंह को राणा जी के खिलाफ, मिर्ज़ा राजा जयसिंह, शिवाजी महाराज के खिलाफ, आसाम में जय सिंह के पुत्र राम सिंह को भेजा लछित बड्फुकन के खिलाफ। गोकुला जाट को जो मुग़ल सेना पकड़ लाई उसका सहसेनापति ब्रह्मदेव सिसोदिया तो महाराणा के खानदान से था (सीधा वंशज नहीं)। ढाल और ढाल से प्रहार के ये सर्वज्ञात उदाहरण हैं, इतिहास खंगालने बैठे तो और भी कई निकलेंगे।
आज की तारीख में देखें तो क्राइम में जो मुसलमान डॉन है वो हमेशा हिन्दुओं को अपने फ्रंट मेन रखता है। धंधे में हिन्दू का पार्टनर बनता है। राजनीति में हिन्दू नेता का बाहुबली बनता है। बिल्डर का माफिया बनता है। हिन्दू पुलिस को अपने काम से लाभ पहुंचाता है। तब ये सब लोग उसकी ढाल बनकर अगर कोई हिन्दू डॉन बन रहा है तो उसका एनकाउंटर कर देते है या उसको जेल में सडा देते हैं। मीडिया में हिन्दू पत्रकार हो हल्ला कर के उस हिन्दू डॉन के एनकाउंटर की मांग करते हैं।
ये हुआ ढाल से प्रहार। बाकी ढाल वार तो झेलते ही रहते हैं। महिला वर्ग को भी अपनी ढाल बनाया जाता है, यह आप का अनुभव होगा ही। अब ढाल जब नाकाम हो जाए तो replace भी की जाती है। नाकाम हुई ढाल कहाँ फेंकी जाती है, उसके साथ क्या होता है किसी को पता नहीं होता, परवाह भी नहीं होती। सैफ, मौका देख कर वार करना नहीं चूकते।
वैसे खुद के बचाव के लिए और भी एक वस्तु प्रयुक्त होती है जो नाकाम होने पर फेंक दी जाती है। उसे हम कंडोम के नाम से जानते हैं, बाकी आप समझदार है क्योंकि यह विवेचन सभ्यता के दायरे से बाहर हो सकता है। काफिर को सोचना है, कब तक ढाल और कंडोम बने रहेंगे ?