चित्रांश सक्सेना। दिल्ली के कनॉट प्लेस में आर्य समाज मंदिर से भाजपा प्रवक्ता एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने भारत बचाओ आंदोलन के साथ ही जनता के समक्ष रखी 5 कानूनों की मांग। भारत में बेहाल शिक्षा व्यवस्था, अस्थिरता बढ़ाते कानूनों और तेजी से बढ़ रहे घुसपैठ, धर्मांतरण और जनसंख्या विस्फोट की समस्याओं को गंभीरता से जनता के समक्ष रखा और इनको रोकने के दिल्ली में बड़े आंदोलन की घोषणा की। इसके साथ ही सरकार से इन समस्याओं के निवारण हेतु संविधान में 5 मुख्य कानूनों को लाने की माँग रखी।
अश्विनी उपाध्याय के साथ आर्य समाज से विनय आर्य, जूना अखाड़ा से संत धनेश्वर, अनिल चौधरी और अन्य सभी के साथ मंच साझा करते हुए 8 अगस्त को अंग्रेजी कानूनों का बहिष्कार करने और उनकी एक कॉपी जलाकर विरोध में सम्मिलित होने का आवाहन दिया। भारत छोड़ो आंदोलन की 79 वर्षगांठ पर “अंग्रेजी कानून भारत छोड़ो” के नारे साथ अश्विनी उपाध्याय जनता संग सभी अंग्रेजी कानूनों की होली जलाएंगे। इस आंदोलन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा “जिस प्रकार महात्मा गांधी ने 1942 में अंग्रेज भारत छोड़ो का नारा जनता को दिया, वैसे ही हम काले अंग्रेजी कानून भारत छोड़ो का नारा लेकर 8 अगस्त को जंतर मंतर पहुंचे”।
अश्वनी उपाध्याय जी ने हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय से समान नागरिक संहिता पर बड़ी सफलता प्राप्त हुई है उन्होंने सरकार से इस पर नए कानूनों को जल्द से जल्द लाने की भी गुहार लगाई। हलाकि समान नागरिक संहिता भाजपा सरकार के घोषणा पत्रों में कई बार इंगित हुआ है किन्तु इस पर सरकार की प्राथमिकता नहीं दिख रही। अश्विनी कहते हैं इस बार भारत में वह आंदोलन होगा जो शांतिपूर्ण और स्पष्ट हो। आगे उन्होंने पिछले 4 सालों में हुए आंदोलनों पर करारा प्रहार करते हुए भारत के इतिहास में सबसे शर्मनाक आंदोलन कहा जिनका कोई देह नहीं, माँगें नहीं और ना ही कोई मुखिया है।
अश्विनी उपाध्याय ने कहा जिस आंदोलन में कोई देह नहीं उसे कोई गंभीरता से क्यों लेगा? अश्विनी उपाध्याय ने कहा “जिस प्रकार श्री कृष्ण ने 5 गांव मांगे थे हम केवल 5 कानून की मांग रख रहे हैं: समान शिक्षा, समान नागरिक संहिता, घुसपैठ नियंत्रण कानून, धर्मांतरण नियंत्रण कानून और जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग रख रहे हैं”। आगे वे कहते हैं “जिस प्रकार भारत में शिक्षा पर भी भेदभाव हो रहा है,हम चाहते हैं कि भारत में सभी वर्ग के लोगों को और धर्मों को एक ही शिक्षा प्राप्त हो। धार्मिक पुस्तकें ना पढ़ाई जाएं, जिसे धार्मिक पढ़ाई करनी है वे अपने घर में पढ़ें”।
जनसंख्या नियंत्रण कानून पर उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना करते हुए अश्वनी उपाध्याय कहते हैं “लोगों को केवल दो या तीन बच्चे करने के लिए सरकार द्वारा “इंसेंटिव” दिए जाएं और तीन से अधिक बच्चे करने पर उचित दंड का प्रावधान हो”। उन्होंने तो ये तक कह दिया जो चार या अधिक बच्चे करें उसे “राष्ट्रद्रोह” में गिना जाए।
समान नागरिक संहिता पर बोलते हुए अश्विनी जी ने कहा जिस प्रकार आज भारत में प्रत्येक वस्तु का स्वदेशी करण हो रहा है उसी प्रकार कानूनों का स्वदेशी करण होना चाहिए”। “पर्सनल लॉ” को इंगित करते हुए वे कहते हैं जिस प्रकार भारत में कई सारे कानून विशेष धर्म और समुदाय के लिए बनाए गए उन्हें हटाकर एक कानून बनना चाहिए। सभी धर्म, जाति, समुदायों के लिए अलग-अलग कानून होना चाहिए और कोई “पर्सनल लॉ” की सुविधा ना हो। इसके लिए उन्होंने “यूनिफॉर्म सिविल कोड” की मांग करी है और “वन नेशन वन पीनल कोड” “वन नेशन वन सिविल कोड” का नारा दिया।
अंत में जनसंख्या नियंत्रण पर बनाए कानूनों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा “जिस प्रकार जनसंख्या नियंत्रण पर हमने हरनाथ सिंह अनिल यादव और सुब्रमण्यम स्वामी को कानून का ड्राफ्ट उपलब्ध कराया, उसी प्रकार जिस भी मंत्री को कानूनों का ड्राफ्ट चाहिए हो वह हमें संपर्क कर सकता है। आगे सभी 5 कानूनों पर अगर सरकार ड्राफ्ट माँगेगी तो हम देने को तैयार हैं”। 8 अगस्त को आमंत्रित करते हुए उन्होंने जनता का आवाहन किया कि सभी भारी बात मात्रा में जंतर मंतर आए और देश के आंदोलन में सहयोग करें। आगामी 8 अगस्त के लिए उन्होंने नारा दिया “एक हाँथ माचिस, एक हाँथ अंग्रेजी कानून”।