शाहरुख़ खान की इस साल प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘रईस’ सुर्ख़ियों में है। इससे पहले आप इस फिल्म को देखने का मन बनाये आपको गुजरात के कुख्यात गैंगस्टर अब्दुल लतीफ़ को जानना पड़ेगा! अब्दुल लतीफ़ कौन था? क्योंकि इसी अब्दुल लतीफ़ के जीवन पर आधारित फिल्म का नाम है ‘रईस’!अब्दुल लतीफ गुजरात में 40 से भी अधिक हत्या के मामलों में आरोपी था। जबकि अपहरण के भी लगभग इतने ही मामलों में उसका नाम शामिल है।
जवानी की दहलीज पार करने के साथ ही कुछ ही वर्षों में लतीफ गैंगस्टर बन चुका था। वह बेरोजगार युवकों को अपनी गैंग में शामिल कर लेता था, इसलिए शहर के मुस्लिम इलाकों में लतीफ गरीबों के लिए मसीहा माना जाने लगा। लतीफ ने बड़े ही शातिर अंदाज में छोटे-मोटे गैंग में फूट डलवाकर उन्हें अपने गिरोह मिला लिया। उसकी पहुँच इतनी ज्यादा हो गयी थी कि गुजरात में उसके नाम का डंका बजने लगा, उसकी पहुँच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जेल में बंद रहते हुए 1985 के गुजरात निकाय चुनावों में पांच सीटों पर चुनाव लड़कर सभी सीटों पर जीत हासिल की। लतीफ को 1995 में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उसे साबरमती जेल अहमदाबाद में रखा गया। नवंबर 1997 में अब्दुल लतीफ ने एक बार भागने की कोशिश की, जिस दौरान गुजरात पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।
पीयूष जैन। अब्दुल लतीफ़ का जन्म अहमदाबाद के कालूपुर नाम के मुस्लिम बाहुल इलाके में हुआ, अब्दुल लतीफ़ के 6 भाई बहन थे। इतने सारे भाई बहन होने की वजह से परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ खास नही थी। इसी कारन अब्दुल लतीफ़ पेसो की लालच में दारु बेचने वाले अल्ला रखा से रिश्ता जोड़ लिया। अब दोनों मिल कर दारु की स्मगलिंग किया करते थे। जिससे अब्दुल लतीफ़ ने खूब पैसे बनाये।
इतने पैसों से अब्दुल लतीफ़ का मन नही भरा। 1990 के दशक में अब्दुल लतीफ़ ने पाकिस्तान में जाकर दाऊद इब्राहिम से एक मुलाकात की। जिसमे दोनों के बीच साथ में मिलकर धंधा करने और भारत में आतंक फैलाने का फैसला हुआ। अब दाऊद इब्राहिम का साथ मिलने पर अब्दुल लतीफ़ गुजरात में आतंक का पर्याय बन चूका था। अब्दुल लतीफ़ की गैंग पुरे गुजरात में चारो और मर्डर हफ्तावसूली किडनैपिंग ड्रग्स चरस के लिए जानी जाने लगी। इसी बीच अब्दुल लतीफ़ को कांग्रेस पार्टी का साथ मिला और मुस्लिम बहुल इलाके कालूपुर में कारपोरेशन के चुनावो में 5 सीट जीत गया । इसके बाद लतीफ़ ने 1993 बॉम्बे ब्लास्ट के लिए पेसो की फंडिंग की जिसमे 293 लोग मारे गए इस घटना के बाद भी वह कई अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहा।
लेकिन 1995 में गुजरात में लतीफ़ + कांग्रेस के गठबंधन से त्रस्त जनता ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता पर बिठाया। जिसके बाद आतंकवादी लतीफ़ को 1997 में एनकाउंटर करके भाजपा सरकार ने गुजरात को आतंक से मुक्त करवाया।
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