डॉलर बाबा – दीनारी बाबा , ये सब हिंदू- धर्म लजायें ;
गोरक्ष पीठ ही धाम है ऐसा , जो अब हिंदू-धर्म बचाये ।
हिंदू अपनी भटकन छोड़ो , धर्म – सनातन अपनाओ ;
भरे पड़े पाखंडी – बाबा , इनसे अपनी जान छुड़ाओ ।
गोरक्ष पीठ कल्याण करेगा, हिंदू उसकी शरण में जाओ ;
धर्म का सच्चा मर्म समझकर,धर्मयुद्ध में विजय को पाओ।
धर्म-युद्ध चल रहा निरंतर , तेरे दुश्मन छद्म रूप में ;
हिंदू- धर्म का चोला ओढ़े , दुश्मन घूमे कई रूप में ।
जिनको हिंदू- नेता माना , डीएनए वही मिलाते हैं ;
हिंदू को धोखे में रखकर , दुश्मन को गले लगाते हैं ।
विश्वास किया जिस पर हिंदू ने , विश्वासभंग वो करता है ;
सबके विश्वास की बातें करके , हिंदू- विश्वास तोड़ता है ।
काशी-धाम के मंदिर तोड़े , व्यास-भवन तक गिरा दिया ;
औरंगजेब की तरह कर रहा , व्यासपीठ को मिटा दिया ।
धर्म – सनातन इसे न भाता , मजहब अच्छे लगते हैं ;
शाहीन-बाग से खुश रहता है, अश्वनी-जितेंद्र बुरे लगते हैं ।
क्या दिल्ली का मौसम गड़बड़ ? बुद्धि उलट सब जाती है ;
पहले जो अच्छे नेता थे , गड़बड़ उनसे करवाती है ।
या फिर कोई और बात है , जाल बिछे हैं मजहब के ;
जरा भी चूके जाल में फंसते , दाना चुगते मजहब के ।
दुनिया भर में मजहबी- मुल्क हैं , हिंदू केवल भारत में ;
हिंदू – राष्ट्र बनाओ भारत , क्यों तेरी जान है आफत में ?
भारत हिंदू – राष्ट्र बनेगा , कल्याण करेगा मानव का ;
इससे उसी को डर लगता है , साथी है जो दानव का ।
देश में दानव भरे पड़े हैं , ये ही मंदिर तुड़वाते हैं ;
हिंदू के धन को लूट- लूट कर , जजिया में बंटवाते हैं ।
हिंदू – राष्ट्र से ये ही डरते , इनकी मत परवाह करो ;
हिंदू – राष्ट्र तो बन के रहेगा , चाहे जितनी आह भरो ।
शक्तिपुंज गोरक्षपीठ है , हिंदू अपनी शक्ति जगाओ ;
हिंदू – शक्ति प्रचंड बनाकर , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
जब तक हिंदू – राष्ट्र न होगा , भारत यूं ही बर्बाद रहेगा ;
वामी ,कामी ,जिम्मी, सेक्युलर , जेहादी आबाद रहेगा ।
यही चाहते बेईमान – नेता , ये उनकी खुदगर्जी है ;
पर हिंदू – राष्ट्र तो बन के रहेगा , ये ईश्वर की मर्जी है ।